निर्वाचन आयोग कार्यालय के बाहर प्रदर्शन मामला: डेरेक ओ’ब्रायन, अन्य तृणमूल नेताओं को जमानत
सुरेश माधव
- 13 May 2025, 07:54 PM
- Updated: 07:54 PM
नयी दिल्ली, 13 मई (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने पिछले साल अप्रैल में निषेधाज्ञा लागू होने के बावजूद निर्वाचन आयोग के कार्यालय के सामने प्रदर्शन करने के मामले में डेरेक ओ’ब्रायन, सागरिका घोष और साकेत गोखले समेत तृणमूल कांग्रेस के 10 नेताओं को मंगलवार को जमानत दे दी।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा मित्तल ने तृणमूल नेताओं- शांतनु सेन, डोला सेन, नदीमुल हक, विवेक गुप्ता, अर्पिता घोष, अबीर रंजन विश्वास और सुदीप राहा की जमानत याचिका स्वीकार कर ली।
तृणमूल के नौ नेता अदालत के समक्ष स्वयं उपस्थित हुए, जबकि विवेक गुप्ता वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये पेश हुए।
अदालत ने उन छह नेताओं (ओ’ब्रायन, हक, गोखले, सागरिका, अर्पिता एवं विश्वास) को 10-10 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी, जो वर्तमान सांसद हैं। शेष को 10-10 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही जमानत राशि पर राहत दी गई।
न्यायाधीश ने जमानत देते हुए कहा कि आरोपपत्र आरोपियों की गिरफ्तारी के बिना ही दाखिल किया गया था।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘चूंकि वर्तमान आरोपपत्र बिना किसी गिरफ्तारी के दाखिल किया गया है, इसलिए आरोपी संख्या-एक से छह को 10,000 रुपये के जमानती मुचलके पर जमानत दी जाती है। शेष आरोपियों को 10,000 रुपये के जमानती मुचलके और इतनी ही राशि पर जमानत दी जाती है।’’
अदालत का यह आदेश तब आया जब आरोपी अदालत की ओर से जारी समन के मद्देनजर अदालत में पेश हुए।
अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 21 मई की तारीख तय की।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, मामले में आरोपी तृणमूल नेता पिछले साल आठ अप्रैल को निर्वाचन आयोग के मुख्य द्वार के बाहर एकत्र हुए और उन्होंने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 (एकत्र होने पर रोक) लागू होने के बावजूद एवं अनुमति लिए बिना तख्तियां और बैनर लेकर विरोध प्रदर्शन किया।
पुलिस ने आरोप लगाया कि निषेधाज्ञा के बारे में सूचित किए जाने के बावजूद उन्होंने विरोध प्रदर्शन जारी रखा जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई।
पिछले साल हुए आम चुनावों से पहले तृणमूल नेताओं ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के खिलाफ प्रदर्शन किया था और उनके प्रमुखों को बदलने की मांग की थी। तृणमूल के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने अपनी मांग को लेकर निर्वाचन आयोग की पूर्ण पीठ से मुलाकात के बाद विरोध प्रदर्शन की घोषणा की थी।
पार्टी ने आरोप लगाया कि केंद्रीय जांच एजेंसियां भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के इशारे पर विपक्षी दलों को निशाना बना रही हैं।
भाषा सुरेश