दिल्ली में पालतू जानवरों की दुकानों में बड़े पैमाने पर क्रूरता और अवैध कृत्य किए जा रहे: सर्वेक्षण
खारी मनीषा
- 14 May 2025, 02:10 PM
- Updated: 02:10 PM
नयी दिल्ली, 14 मई (भाषा) एक नयी सर्वेक्षण रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राष्ट्रीय राजधानी में पालतू जानवरों की दुकानों में खुलेआम नियमों का उल्लंघन कर छोटी उम्र के कुत्तों को बेचा जा रहा है और भीडभाड़ व गंदे तथा छोटे बाड़ों में उन्हें रखा जा रहा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय के पशु कानून प्रकोष्ठ द्वारा किए गए सर्वेक्षण में दिल्ली में संचालित पालतू जानवरों की 34 दुकानों की स्थिति को दिखाया गया है।
सर्वेक्षण में पाया गया कि यहां पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण (पालतू पशु दुकान) नियम, 2018 का उल्लंघन खुले आम हो रहा है।
रिपोर्ट में उजागर किया गया कि इन दुकानों में कानून के तहत निर्धारित उम्र से कम आयु के कुत्तों को बेचा जा रहा है, उन्हें गंदगी वाली, छोटी जगहों में रखा जा रहा है जो पशु कल्याण कानूनों की अवहेलना की ओर इशारा करता है।
‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साझा की गई रिपोर्ट में कहा गया कि पालतू जानवरों की कई दुकानें बिना लाइसेंस संचालित की जा रही हैं, उचित चिकित्कसा देखभाल का अभाव है और संचालक अवैध तरीके से प्रजनन कराने वालों (ब्रीडर्स) से जानवरों को खरीद रहे हैं।
पशु कानून प्रकोष्ठ की संयोजक प्रोफेसर सुनंदा भारती ने कहा, ‘‘बेजुबान जानवर तो अपनी पीड़ा नहीं बता सकते लेकिन उनकी सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों की अनदेखी साफ देखी जा रही है।’’
भारती ने कहा, ‘‘यह रिपोर्ट दिखाती है कि जानवरों की सुरक्षा के लिए कानून तो बने हैं लेकिन इन्हें लागू नहीं किए जाने से इनका कोई मतलब नहीं रह गया है। अधिकारियों को अब कार्रवाई करने की जरूरत है।’’
रिपोर्ट में नियमों का उल्लंघन करने वाली पालतू जानवरों की इन दुकानों को तत्काल बंद करने, नियमों का उल्लंघन कर रखे गए जानवरों को जब्त करने और वन्यजीवों और जानवरों की अवैध बिक्री को रोकने के लिए सख्त निगरानी सहित तत्काल कदम उठाने की मांग की गई है।
पशु कानून प्रकोष्ठ के छात्र संयोजक अंकुर अरोड़ा ने कहा, ‘‘अगर हस्तक्षेप नहीं किया गया तो इस तरह के उल्लंघन से अनगिनत जानवरों को नुकसान पहुंचता रहेगा और उनके हित की रक्षा के लिए बनाया गया कानून कमजोर होगा।’’
उन्होंने कहा कि मौजूदा कानूनों को लागू करने में विफलता यह संदेश देती है कि क्रूरता के खिलाफ कार्रवाई करने वाला कोई नहीं है।
भाषा खारी