ऑपरेशन सिंदूर:शिवसेना (उबाठा) ने ‘तिरंगा यात्रा’ के लिए भाजपा की निंदा की; कहा, बदला पूरा नहीं हुआ
संतोष मनीषा
- 14 May 2025, 04:12 PM
- Updated: 04:12 PM
मुंबई, 14 मई (भाषा) शिवसेना (उबाठा) ने बुधवार को भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के उपलक्ष्य में निकाली जा रही ‘तिरंगा यात्रा’ के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ देश का बदला अब भी पूरा नहीं हुआ है।
इस मुद्दे पर रविवार को भाजपा के शीर्ष नेताओं, जिनमें केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा शामिल थे, के बीच विचार-विमर्श के बाद 11 दिवसीय राष्ट्रव्यापी ‘तिरंगा यात्रा’ शुरू की गई।
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया, ‘‘भारत ने पाकिस्तान को सबक नहीं सिखाया। इसके बजाय उसने (अमेरिकी राष्ट्रपति) डोनाल्ड ट्रंप के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।’’
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने दावा किया, ‘‘राष्ट्रपति ट्रंप ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के पूरा होने से पहले भारत को युद्ध से हटने की धमकी दी थी। जब यह लगभग तय हो गया था कि पाकिस्तान की हार होगी, तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘व्यावसायिक लालच’ के लिए ट्रंप की धमकी के आगे झुककर युद्ध को रोक दिया।’’
शिवसेना (उबाठा) ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का राष्ट्र के नाम ‘संदेश’ (सोमवार को उनके संबोधन के संदर्भ में जिसमें उन्होंने बताया था कि भारत ने पाकिस्तान को कैसे सबक सिखाया) निरर्थक था।
विपक्षी दल ने कहा कि पहलगाम हमले का बदला लेने से पहले यात्रा निकालना और राजनीति करना भाजपा का पाखंड है। पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले में आतंकवादियों ने 26 लोगों की हत्या की थी।
शिवसेना (उबाठा) ने कहा कि भाजपा पहलगाम हमले के बाद उसी तरह की राजनीति कर रही है, जैसी उसने 2019 के पुलवामा आतंकी हमले के बाद की थी।
सीमा पार से चार दिनों तक ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद 10 मई को भारत और पाकिस्तान संघर्ष विराम के लिए राजी हुए थे।
ट्रंप ने दावा किया था कि उनके प्रशासन ने दोनों देशों के बीच ‘परमाणु संघर्ष’ को रोक दिया, और दक्षिण एशियाई दोनों पड़ोसी देशों से कहा कि अगर वे शत्रुता समाप्त करते हैं तो अमेरिका उनके साथ ‘बहुत अधिक व्यापार’ करेगा।
ट्रंप ने यह भी घोषणा की थी कि भारत और पाकिस्तान ‘पूर्ण और तत्काल युद्धविराम’ पर सहमत हो गए और यह ‘अमेरिका की मध्यस्थता’ में रातभर चली लंबी बातचीत के बाद हुआ।
बाद में ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक पोस्ट में उन्होंने कश्मीर मसले के ‘समाधान’ के लिए भारत और पाकिस्तान के साथ काम करने की पेशकश की, लेकिन युद्ध रोकने के ‘ऐतिहासिक और साहसिक निर्णय’ पर पहुंचने में दोनों देशों की मदद करने का श्रेय वाशिंगटन को दिया।
नयी दिल्ली में भारत सरकार के सूत्रों ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के सैन्य परिचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) में जल, थल और नभ में सभी तरह की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाइयों को रोकने को लेकर एक सहमति बनी और इसमें कोई तीसरा पक्ष शामिल नहीं है।
भारत इस रुख पर कायम है कि कश्मीर मुद्दा एक द्विपक्षीय मामला है और किसी तीसरे पक्ष के लिए कोई जगह नहीं है।
भाषा संतोष