टाटा पावर की चालू वित्त वर्ष में 25,000 करेड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की योजना
रमण अजय
- 14 May 2025, 09:45 PM
- Updated: 09:45 PM
नयी दिल्ली, 14 मई (भाषा) टाटा पावर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) प्रवीर सिन्हा ने बुधवार को कहा कि कंपनी वित्त वर्ष 2025-26 में 25,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की योजना बना रही है। इसके अलावा, कंपनी उत्तर प्रदेश में दो वितरण कंपनियों के लिए बोली लगाने की भी इच्छुक है।
सिन्हा ने नये वित्त वर्ष के लिए योजनाओं को साझा करते हुए यह भी कहा कि टाटा पावर परमाणु परियोजनाओं के मामले में कानूनी बदलावों का इंतजार कर रही है और उसी के अनुरूप कदम उठाएगी।
उन्होंने कंपनी के वित्तीय नतीजे की घोषणा के बाद ये बातें कही। टाटा पावर का एकीकृत शुद्ध लाभ पिछले वित्त वर्ष (2024-25) की जनवरी-मार्च तिमाही में 25 प्रतिशत बढ़कर 1,306.09 करोड़ रुपये रहा है।
उत्पादन, पारेषण और वितरण तथा नवीकरणीय ऊर्जा सहित प्रमुख कारोबार क्षेत्रों के मजबूत प्रदर्शन से कंपनी का मुनाफा बढ़ा है।
सिन्हा ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए कंपनी की पूंजीगत व्यय योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2025-26 के लिए पूंजीगत व्यय 25,000 करोड़ रुपये है। इसमें से 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा, 20 प्रतिशत उत्पादन (पंप हाइड्रो सहित) और 30 प्रतिशत पारेषण और वितरण क्षेत्रों के लिए है।’’
उन्होंने कहा कि कंपनी ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 20,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की योजना बनाई थी, लेकिन कुछ पारेषण और नवीकरणीय परियोजनाओं में देरी के कारण यह 16,000 करोड़ रुपये से कुछ अधिक रहा है।
परमाणु परियोजनाओं के बारे में सीईओ ने कहा कि कंपनी इस को लेकर उत्सुक है, लेकिन कोई भी प्रगति कानूनी चीजें स्पष्ट होने के बाद ही होगी।
सिन्हा ने कहा, ‘‘हम विशेष रूप से नागरिक दायित्व और निजी क्षेत्र की भागीदारी मामले में परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधनों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि ये मानसून सत्र में होंगे। हम साइट मूल्यांकन, जल व्यवस्था और प्रौद्योगिकी समीक्षा के साथ तैयारी कर रहे हैं, लेकिन अगला कदम कानूनी स्पष्टता पर निर्भर करता है।’’
उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण में रुचि के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सिन्हा ने कहा कि कंपनी इस अवसर पर गौर करेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘हां, हमारी इसमें (उत्तर प्रदेश डिस्कॉम में) बहुत रुचि है और इस महीने के अंत तक बोली दस्तावेज मिलने की उम्मीद है। हम निश्चित रूप से इसमें भाग लेंगे।’’
उत्तर प्रदेश में सरकार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि. (पीवीवीएनएल) और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि. (डीवीवीएनएल) का निजीकरण करने की प्रक्रिया में है। ये दोनों वितरण कंपनियां उत्तर प्रदेश के 75 में से 42 जिलों में बिजली आपूर्ति करती हैं।
भाषा रमण