न्यायालय ने ‘एलजीबीटीक्यूआईए’ लोगों के रक्तदान पर रोक को लेकर सवाल उठाया, विशेषज्ञों की राय मांगी
आशीष अविनाश
- 14 May 2025, 10:24 PM
- Updated: 10:24 PM
नयी दिल्ली, 14 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र को निर्देश दिया कि वह ट्रांसजेंडर, समलैंगिक लोगों और यौनकर्मियों को रक्तदान से रोकने वाले चिकित्सा दिशा-निर्देशों में पूर्वाग्रह को दूर करने के लिए विशेषज्ञों की राय ले।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ‘‘एलजीबीटीक्यूआईए प्लस’’ समुदाय के ऐसे लोगों द्वारा रक्तदान पर पूर्ण प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
पीठ ने केंद्र की वकील, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा, ‘‘क्या हम एक तरह का अलग-थलग समूह नहीं बना रहे हैं? इन तरीकों से लांछन, पक्षपात और पूर्वाग्रह सभी बढ़ रहे हैं।’’
भाटी ने कहा कि याचिकाओं में जिन दिशा-निर्देशों को चुनौती दी गई है, वे भारतीय रक्त संचरण परिषद द्वारा जारी किए गए थे, जिसने इन श्रेणियों को ‘‘उच्च जोखिम’’ वाला माना था तथा उन्हें रक्तदान करने से रोक दिया था।
न्यायमूर्ति सिंह ने कहा, ‘‘मुझे चिंता इस बात की है...क्या हम सभी ट्रांसजेंडर को जोखिम भरा बताकर अप्रत्यक्ष रूप से इन समुदायों को कलंकित करने जा रहे हैं? जब तक आप कुछ चिकित्सा साक्ष्यों के साथ यह नहीं दिखा सकते कि ट्रांसजेंडर और इन बीमारियों के बीच किसी तरह का संबंध है। आप यह नहीं कह सकते कि सभी ट्रांसजेंडर इस तरह की गतिविधियों में शामिल हैं, यहां तक कि सामान्य व्यक्ति भी ऐसी गतिविधियों में शामिल होते हैं।’’
वहीं, न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि इस मुद्दे पर विशेषज्ञों की राय भी जरूरी है। पीठ ने भाटी से कहा, ‘‘आप कृपया उनसे चर्चा करें ताकि एक समुदाय के रूप में उन्हें कलंकित न किया जाए। इसके साथ ही, सभी चिकित्सा सावधानियां लागू रह सकती हैं।’’
याचिकाओं में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय रक्त संचरण परिषद और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन द्वारा जारी रक्तदाता चयन और रक्तदाता रेफरल पर 2017 के दिशानिर्देशों को चुनौती दी गई है। ‘‘एलजीबीटीक्यूआईए प्लस’’ समुदाय के सदस्यों ने शीर्ष अदालत में तीन याचिकाएं दायर की हैं।
केंद्र ने याचिकाओं पर अपने जवाब में ‘‘पर्याप्त साक्ष्य’’ का हवाला देते हुए कहा कि ट्रांसजेंडर, समलैंगिकों और महिला यौनकर्मियों को ‘‘एचआईवी, हेपेटाइटिस बी या सी संक्रमण का खतरा’’ है।
शीर्ष अदालत ने छह सितंबर, 2023 को कहा था कि रक्त प्राप्त करने वाले को स्वच्छ रक्त चढ़ाए जाने का आश्वासन दिया जाना चाहिए।
मार्च 2021 में मामले की सुनवाई करते हुए, अदालत ने तीन श्रेणियों के लोगों को रक्तदाता होने से बाहर रखने वाले रक्तदाता चयन और रक्तदाता रेफरल के 2017 के दिशानिर्देशों को चुनौती देने वाली एक अलग याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा था।
भाषा आशीष