मयंक की पीठ की चोट एक साल में तीन बार उभरने से बीसीसीआई और एनसीए शर्मसार
नमिता
- 15 May 2025, 09:53 PM
- Updated: 09:53 PM
नयी दिल्ली, 15 मई (भाषा) बीसीसीआई के ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ (पूर्व में एनसीए) को उस समय शर्मिंदगी उठानी पड़ी जब भारत के सबसे तेज गेंदबाज मयंक यादव की पीठ में चोट लगने के कारण उन्हें इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के बचे मैचों से बाहर होना पड़ा।
आईपीएल मीडिया विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘यादव को पीठ में चोट लगी है और वह बचे सत्र से बाहर हो गए हैं।’’
न्यूजीलैंड के विलियम ओ राउरके बचे हुए टूर्नामेंट के लिए लखनऊ सुपर जायंट्स में उनकी जगह लेंगे।
‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ (सीओई) छह महीने के ‘रिहैबिलिटेशन’ के बाद वापसी करने वाले मयंक ने दो मैच में आठ ओवरों में 100 रन दिए और सिर्फ दो विकेट लिए।
उनकी गति में कम से कम 15 किमी प्रति घंटे की गिरावट आई थी और गेंदबाजी एक्शन में बदलाव हुआ है।
रिकॉर्ड के लिए मयंक ने 30 मार्च 2024 और चार मई 2025 के बीच नौ टी20 मैच खेले हैं जो ठीक 13 महीने और चार दिन है।
इन नौ मैचों में उन्होंने पिछले साल लखनऊ के लिए चार टी 20 मैच खेले थे जब उन्होंने लगातार 150 किमी प्रति घंटे की गेंद डालकर धमाल मचाया था।
हालांकि पहला ब्रेकडाउन उस साल अप्रैल में हुआ था और वह छह महीने तक बाहर रहे। उसके बाद अजीत अगरकर और गौतम गंभीर ने उन्हें बांग्लादेश श्रृंखला के लिए भारत की टी20 अंतरराष्ट्रीय टीम में शामिल कर लिया।
श्रृंखला खत्म होने तक उनकी पीठ की चोट फिर उभर आई और वह एनसीए तथा फिर नवनिर्मित सीओई में रिहैबिलिटेशन के कारण पूरे घरेलू सत्र से चूक गए।
एनसीए में काम कर चुके ‘स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग ट्रेनर’ ने गोपनीयता की शर्त पर पीटीआई को बताया, ‘‘अब जब नितिन पटेल चले गए हैं तो आप नहीं जानते कि मयंक के रिहैबिलिटेशन के बारे में किससे पूछा जाए। अगला सवाल जो पूछा जाना चाहिए कि क्या उन्हें समय से पहले ‘फिट’ होने का प्रमाण पत्र दिया गया था, बिना यह सुनिश्चित किए कि उनकी पीठ की चोट दो मैचों के भीतर फिर से उभर सकती है? मयंक यादव और उमरान मलिक की चोट के रिहैबिलिटेशन की समयसीमा में बहुत कुछ कमी रह गई है। ’’
मयंक की उम्र अभी केवल 22 साल है और उनके सामने क्रिकेट के कई साल हैं लेकिन लगातार होने वाली इस चोट के कारण चयन समिति का उन पर से भरोसा उठ जाएगा।
उनके पास बीसीसीआई के तेज गेंदबाज का अनुबंध है और वह पिछले एक साल से बोर्ड के अंतर्गत हैं, लेकिन बार-बार चोट लगने के कारण उन्हें विदेशी विशेषज्ञों से सलाह लेने की जरूरत पड़ सकती है लेकिन सीओई ने इस पर पूरी तरह से आपत्ति जताई है।
भाषा