तुलबुल परियोजना पर उमर अब्दुल्ला के बयान से उनके और विपक्षी नेता महबूबा मुफ्ती के बीच वाकयुद्ध छिड़ा
राजकुमार माधव
- 16 May 2025, 06:34 PM
- Updated: 06:34 PM
(फाइल फोटो के साथ)
श्रीनगर, 16 मई (भाषा) तुलबुल नौवहन बैराज परियोजना का काम फिर से शुरू करने के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के आह्वान को लेकर उनके (उमर) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के बीच शुक्रवार को तीखा वाकयुद्ध शुरू हो गया।
उमर अब्दुल्ला ने महबूबा पर उसे गंदगी के स्तर तक गिरा देने का आरोप लगाया है।
दोनों के बीच यह वाकयुद्ध तब शुरू हुआ जब उमर अब्दुल्ला ने सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के निलंबित रहने के मद्देनजर वुलर झील पर तुलबुल नौवहन परियोजना को बहाल करने का आह्वान किया और महबूबा ने इस आह्वान को ‘गैर-जिम्मेदाराना’ और ‘खतरनाक रूप से भड़काऊ’ बताया।
मुख्यमंत्री ने पलटवार करते हुए कहा कि वह इस बात को स्वीकार करने से इनकार कर रही हैं कि सिंधु जल संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ ‘ऐतिहासिक विश्वासघात’ है, क्योंकि वह ‘ओछे’ प्रचार और सीमा पार के कुछ लोगों को खुश करने की ‘अंध लालसा’ में डूबी हुई हैं।
उमर अब्दुल्ला ने बृहस्पतिवार को ‘एक्स’ पर पोस्ट किया था कि क्या आईडब्ल्यूटी के निलंबन के मद्देनजर वुलर झील पर तुलबुल नौवहन बैराज परियोजना पर काम फिर से शुरू हो सकता है।
अब्दुल्ला ने अपने निजी ‘एक्स’ हैंडल पर लिखा, ‘‘उत्तरी कश्मीर में वुलर झील। वीडियो में आप जो निर्माण कार्य देख रहे हैं, वह तुलबुल नौवहन बैराज है। इसे 1980 के दशक के प्रारंभ में शुरू किया गया था, लेकिन सिंधु जल संधि के चलते पाकिस्तान के दबाव में इसे छोड़ना पड़ा था। अब जबकि सिंधु जल संधि को ‘अस्थायी रूप से निलंबित’ कर दिया गया है, तो क्या हम इस परियोजना को फिर से शुरू कर पाएंगे।’’
उन्होंने कहा कि अगर तुलबुल परियोजना पूरी हो जाती है, तो इससे झेलम का इस्तेमाल नौवहन के लिए करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘इससे हमें नौवहन के लिए झेलम का इस्तेमाल करने का लाभ मिलेगा। इससे खासकर सर्दियों में निचले हिस्से में बिजली परियोजनाओं से बिजली उत्पादन में भी सुधार होगा।’’
केंद्र सरकार ने पिछले महीने पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था, जिसके तहत भारत और पाकिस्तान जल साझा करते थे।
हालांकि, पीडीपी प्रमुख ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि परियोजना को बहाल करने का उनका आह्वान ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ है।
पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकीं महबूबा ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया,‘‘भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का तुलबुल नौवहन परियोजना को बहाल करने का आह्वान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।’’
उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान न केवल ‘गैर-जिम्मेदाराना’ हैं, बल्कि ‘खतरनाक रूप से भड़काऊ’ भी हैं।
उन्होंने कहा,‘‘ऐसे समय में जब दोनों देश पूर्ण युद्ध के कगार से पीछे हटे हैं तथा जम्मू-कश्मीर में निर्दोष लोगों की जान गयी है, व्यापक विनाश हुआ और लोग अपार पीड़ा झेल रहे हैं, तब ऐसे बयान न केवल गैर-जिम्मेदाराना हैं, बल्कि खतरनाक रूप से भड़काऊ भी हैं।’’
पीडीपी अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हमारे लोग भी देश के अन्य लोगों की तरह शांति के हकदार हैं। पानी जैसी आवश्यक और जीवनदायी चीज को हथियार बनाना न केवल अमानवीय है, बल्कि इससे उस मामले का अंतरराष्ट्रीयकरण होने का खतरा भी है, जो द्विपक्षीय मामला बना रहना चाहिए।’’
इस पर उमर अब्दुल्ला ने ‘एक्स’ पर जवाब दिया, ‘‘ दरअसल दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि सस्ती लोकप्रियता पाने और सीमा पार बैठे कुछ लोगों को खुश करने की अपनी अंधी लालसा के कारण आप यह मानने से इनकार कर रही हैं कि सिंधु जल संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के हितों के साथ सबसे बड़ा ऐतिहासिक विश्वासघात है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने हमेशा इस संधि का विरोध किया है और आगे भी करते रहेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘ स्पष्ट रूप से एक अनुचित संधि का विरोध करना किसी भी तरह से युद्धोन्माद नहीं है, यह उस ऐतिहासिक अन्याय को ठीक करने के बारे में है जिसने जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपने पानी का उपयोग करने के अधिकार से वंचित किया है।’’
तब महबूबा ने उमर अब्दुल्ला के दादा शेख मोहम्मद अब्दुल्ला को इस वाकयुद्ध में घसीटते हुए जवाब दिया, ‘‘ समय बताएगा कि कौन किसको खुश करना चाहता है। वैसे, यह याद रखना जरूरी है कि आपके आदरणीय दादा शेख साहब ने सत्ता खोने के बाद दो दशक से ज्यादा समय तक (जम्मू कश्मीर का) पाकिस्तान में विलय की वकालत की थी। लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी फिर मिल जाने के बाद उन्होंने अचानक अपना रुख बदल दिया और भारत के साथ हाथ मिला लिया।’’
उन्होंने कहा,‘‘इसके विपरीत पीडीपी लगातार अपनी मान्यताओं और प्रतिबद्धताओं पर कायम रही । आपकी पार्टी के विपरीत, जिसकी निष्ठा राजनीतिक लाभ के अनुसार नाटकीय रूप से बदल गई है, हमें अपने समर्पण को सही ठहराने के लिए तनाव को बढ़ाने या युद्धोन्मादी बयानबाजी करने की आवश्यकता नहीं है। हमारे कार्य स्वयं बोलते हैं।’’
तब उमर अब्दुला ने पीडीपी और भाजपा के पिछले गठबंधन का हवाला देते हुए कहा,‘‘क्या आप वास्तव में यही सबसे अच्छा कर सकती हैं? एक ऐसे व्यक्ति पर तुच्छ प्रहार करना जिसे आपने खुद कश्मीर का सबसे बड़ा नेता कहा है। आप इस बातचीत को जिस गर्त में ले जाना चाहते हैं, मैं उससे ऊपर उठकर दिवंगत मुफ्ती साहब और 'उत्तरी ध्रुव दक्षिणी ध्रुव' को इससे बाहर रखूंगा।’’
सत्तारूढ़ नेशनल कांफ्रेंस के नेता अब्दुल्ला ने कहा,‘‘आप किसी के भी हितों की वकालत करते रहिए और मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों के हितों की वकालत करता रहूंगा ताकि वे अपनी नदियों का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर सकें। मैं पानी को रोकने नहीं जा रहा हूं, बस अपने लिए इसका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करूंगा। अब मुझे लगता है कि मैं कुछ वास्तविक काम करूंगा और आप पोस्ट करते रह सकते हैं।’’
भाषा
राजकुमार