सरकार में प्रतिभा का अभाव, इंटर्नशिप योजना विफल रही: कांग्रेस
हक हक वैभव
- 19 May 2025, 01:48 PM
- Updated: 01:48 PM
नयी दिल्ली, 19 मई (भाषा) कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की ‘प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना’ बुरी तरह विफल रही है क्योंकि सरकार के पास योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जरूरी प्रतिभाओं का अभाव है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि जातिगत जनगणना पर व्यापक सार्वजनिक परामर्श किया जाए क्योंकि ‘‘अगर इसे मोदी सरकार के हवाले छोड़ दिया गया, तो वह इसमें भी जरूर गड़बड़ी पैदा कर देगी।’’
रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘जैसे-तैसे सत्ता में वापसी के बाद से, विचारहीन और थकी हुई मोदी सरकार ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के ‘न्याय पत्र’ (लोकसभा चुनाव का घोषणापत्र) से प्रेरणा लेना शुरू कर दिया। 4 जून 2024 के बाद, मोदी सरकार ने ‘एंजेल टैक्स’ वापस लेने, रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं लागू करने, इंटर्नशिप योजना शुरू करने और जातिगत जनगणना कराने पर सहमति व्यक्त की है।’’
उन्होंने दावा किया कि सच्चाई यह है कि मोदी सरकार आज भी भारी ‘टैलेंट डेफ़िसिट’ (प्रतिभा के अभाव) से जूझ रही है और इन योजनाओं का क्रियान्वयन बेहद खराब रहा है।
उनका कहना है, ‘‘अब सामने आई रिपोर्ट से स्पष्ट हो गया है कि बजट में घोषित इंटर्नशिप योजना भी बुरी तरह विफल रही है।’’
रमेश के अनुसार, प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना के लिए आवंटित धन का इस्तेमाल भी बेहद कम हुआ है। उन्होंन कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए शुरू में तय किए गए 2,000 करोड़ रुपये के बजट को घटाकर 380 करोड़ रुपये कर दिया गया और उसमें भी फरवरी 2025 तक केवल 21.1 करोड़ रुपये ही खर्च किए जा सके।
उन्होंने कहा, ‘‘यह आंशिक रूप से कार्यक्रम में कम रुचि के कारण है। विभिन्न कंपनियों ने इंटर्नशिप के 82,000 प्रस्ताव दिए, लेकिन केवल 28,000 छात्रों ने इन्हें स्वीकार किया और उनमें से भी सिर्फ़ 8,725 ने वास्तव में ज्वॉइन किया। यानी महज सात प्रतिशत छात्रों ने इस योजना के तहत इंटर्नशिप शुरू की। कई इंटर्न तो असंतोष के चलते बीच में ही छोड़कर चले गए।’’
रमेश ने कहा कि यह न केवल इस कार्यक्रम की विश्वसनीयता, बल्कि सरकार की अपनी प्रमुख योजनाओं को लागू करने की क्षमता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘इसलिए कांग्रेस लगातार यह मांग कर रही है कि जातिगत जनगणना पर व्यापक सार्वजनिक परामर्श किया जाए क्योंकि अगर इसे मोदी सरकार के हवाले छोड़ दिया गया, तो वह इसमें भी जरूर गड़बड़ कर देगी।’’
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