विदेशोी बाजारों में तेजी से ज्यादातर तेल-तिलहन की कीमतों में सुधार
राजेश राजेश अजय
- 19 May 2025, 08:35 PM
- Updated: 08:35 PM
नयी दिल्ली, 19 मई (भाषा) विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच देश के तेल-तिलहन बाजार में सोमवार को सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल तथा बिनौला तेल कीमतों में सुधार दिखा जबकि सुस्त कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन तथा सहकारी संस्था नेफेड की बिकवाली जारी रहने से सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।
मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में सुधार का रुख है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में सुधार और स्थानीय मांग में आई तेजी के बीच सरसों तेल-तिलहन कीमतों में सुधार रहा जबकि विदेशों में तेजी के कारण सोयाबीन तेल कीमतों में मजबूती रही। कच्चे पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन के केवल भाव ऊंचे बोले जा रहे हैं पर कारोबार में तेजी नहीं है। कम उपलब्धता के बीच मामूली मांग में वृद्धि के कारण बिनौला तेल कीमत में भी सुधार आया।
दूसरी ओर, सहकारी संस्था, नेफेड की सोयाबीन की बिकवाली जारी रहने के बीच सोयाबीन तिलहन के भाव पूर्ववत रहे। वहीं पहले से अपने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे के हाजिर दाम पर सरकारी बिकवाली जारी रहने के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के भाव भी पूर्वस्तर पर यथावत रहे।
सूत्रों ने कहा कि सरकार को विशेष रूप से मूंगफली पर ध्यान देना होगा जिसकी जल्द ही बुवाई होने वाली है। यही नीचे दाम पर बिकने की स्थिति बनी रही तो आगे इसकी बिजाई प्रभावित हो सकती है। यही हाल सोयाबीन का भी है और इसका हाजिर दाम भी एमएसपी से काफी कम है। विशेषकर मूंगफली तो ऐसा तेल है जिसे निर्यात की सामग्री माना जाता है और देश में उच्च आयवर्ग के उपभोक्ताओं के बीच इसकी अधिक खपत है। मूंगफली, सरसों जैसे खाद्य तेलों का विकल्प नहीं है। अगर कीमत मे मंदा रहा तो इसकी बिजाई प्रभावित हो सकती है।
प्रमुख तेल संगठन, सोपा के कार्यकारी निदेशक, डी एन पाठक ने भी सरकार को बताया है कि नेफेड की बिकवाली से अप्रैल में सोयाबीन के दाम टूटे हैं। उन्होंने इस बात के लिए भी आगाह किया है कि इससे सोयाबीन की आगामी बिजाई प्रभावित हो सकती है और किसान किसी और लाभकारी फसल की तरफ रुख कर सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन डीगम तेल का आयात करने का भाव 97 रुपये किलो बैठता है जबकि हाजिर बाजार में यही तेल 93 रुपये किलो के भाव बेचा जा रहा है। आयातकों को पैसों की परेशानी की वजह से संभवत: लागत से नीचे दाम पर बेचने की मजबूरी आ रही है। इस ओर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि सोयाबीन की समस्या को तो कुछ लोग उठा भी रहे हैं पर मूंगफली की समस्या तो कोई संस्था या संगठन उठा भी नहीं रहा है। सरकार को अपनी ओर से मूंगफली किसानों की दुर्दशा की ओर ध्यान देकर उनकी समस्याओं का निवारण करना चाहिये।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 6,550-6,625 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 5,775-6,150 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,150 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल - 2,260-2,560 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,950 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,455-2,555 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,455-2,590 रुपये प्रति टिन।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,300 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,150 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,300 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 11,850 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,400 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 12,100 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,450-4,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,200-4,250 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश