सरकार कितनी भी कोशिश कर ले, अदाणी से जुड़े 'घोटाले' को छिपाया नहीं जा सकता : कांग्रेस
हक सुरभि मनीषा
- 20 May 2025, 12:02 PM
- Updated: 12:02 PM
नयी दिल्ली, 20 मई (भाषा) कांग्रेस ने मंगलवार को कुछ खबरों का हवाला देते हुए दावा किया कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अदाणी समूह में हिस्सेदारी रखने वाले दो फंड को शेयरहोल्डिंग संबंधी जानकारी न देने के लिए दंड और लाइसेंस रद्द करने की चेतावनी दी है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि सरकार चाहे जितनी कोशिश कर ले, भारत के सबसे बड़े घोटाले को छुपाया नहीं जा सकता, सच्चाई सामने आ ही रही है।
सेबी या अदाणी समूह की ओर से फिलहाल इस दावे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। हालांकि अतीत में इस कारोबारी समूह ने अनियमितता और भ्रष्टाचार के सभी आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज किया है।
रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, "डबल इंजन वाली मोदानी गाथा जारी है। बताया जा रहा है कि सेबी ने 'एलारा कैपिटल' द्वारा नियंत्रित मॉरीशस स्थित दो ऑफशोर फंड - एलारा इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड और वेस्पेरा फंड को शेयरहोल्डिंग संबंधी जानकारी न देने के लिए दंड और लाइसेंस रद्द करने की चेतावनी दी है। "
उन्होंने दावा किया कि इन फंड पर 'स्टॉक पार्किंग' का आरोप है यानी इन्हें अदाणी समूह द्वारा अपनी ही कंपनियों में बेनामी निवेश के लिए मुखौटे के रूप में इस्तेमाल किया गया, जो सेबी के नियमों का उल्लंघन है।
रमेश का कहना है, "बताया जा रहा है कि इन दोनों फंड्स ने अपराध स्वीकार किए बिना और टोकन शुल्क का भुगतान किए बिना मामले को निपटाने की पेशकश की है, जो 'मोदानी' के लिए सबसे सुविधाजनक तरीका है।"
उनके मुताबिक, दिसंबर, 2022 में इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड का 98.78 प्रतिशत निवेश तीन अदाणी कंपनियों में था, जबकि जून 2022 में वेस्पेरा फंड का 93.9 प्रतिशत निवेश केवल अदाणी एंटरप्राइजेज में था।
रमेश ने आरोप लगाया कि सेबी की कार्रवाई ऊपर से भले ही आगे बढ़ती दिखे, लेकिन हकीकत यह है कि उच्चतम न्यायालय ने इस जांच को दो महीने में पूरा करने का निर्देश दिया था और अब दो साल से ज्यादा का समय बीत चुका है।
उन्होंने कहा कि इस देरी से फायदा सिर्फ ''मोदानी" को हुआ है।
कांग्रेस नेता ने दावा किया, "सरकार चाहे जितनी कोशिश कर ले, भारत के सबसे बड़े घोटाले को छुपाया नहीं जा सकता, सच्चाई सामने आ ही रही है। और अगर सच्चाई भारत की समझौता कर चुकी संस्थाओं से सामने नहीं आई, तो वह विदेशी न्यायिक व्यवस्थाओं के माध्यम से जरूर सामने आएगी - जिन्हें "मोदानी" ना खरीद सकते हैं, ना धमका सकते हैं, और ना ही अपने साथ मिला सकते हैं।"
भाषा हक सुरभि