खराब जीवन शैली जनित बीमारियां चिंता का विषय, डॉक्टर कर सकते हैं मदद : राजनाथ सिंह
सलीम नोमान
- 20 May 2025, 09:10 PM
- Updated: 09:10 PM
लखनऊ, 20 मई (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खराब जीवन शैली से उत्पन्न होने वाली बीमारियों पर चिंता जाहिर करते हुए मंगलवार को कहा कि ऐसी अनेक बीमारियां हैं जिनसे संतुलित जीवनचर्या के जरिए निपटा जा सकता है।
रक्षा मंत्री ने राजधानी स्थित के.एन.एस. मेमोरियल अस्पताल के 25वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा, ''जब बीमारियों का कारण सीधे जीवन शैली से जुड़ने लगे तो हमें सोचना होगा कि हम कहां पर गलती कर रहे हैं। भारत को आज मधुमेह की राजधानी कहा जाने लगा है। भारत में लगभग 10 करोड़ से अधिक लोग मधुमेह से ग्रस्त हैं और 14 करोड़ लोग मधुमेह के मुहाने पर खड़े हैं। आधुनिक जीवन में हम अपने स्वास्थ्य को ही सबसे ज्यादा अपेक्षित करते हैं।''
उन्होंने कहा, ''हमें अपनी जीवन शैली को नियंत्रित करने की आवश्यकता को समझने की जरूरत है। ऐसी अनेक बीमारियां हैं जिनसे हम संतुलित जीवनचर्या अपना कर लड़ सकते हैं। यह काम डॉक्टर कर सकते हैं।''
उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का है और जाहिर सी बात है कि कोई भी राष्ट्र विकसित तभी बनेगा जब उसके नागरिक स्वस्थ होंगे।
रक्षा मंत्री ने कहा, “मैं आप सब से एक अच्छी जीवन शैली अपनाने की अपील करता हूं।''
सिंह ने उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की सराहना करते हुए कहा, ''उत्तर प्रदेश में भाजपा की ‘डबल इंजन’ सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति कृत संकल्पित है। उत्तर प्रदेश में एंबुलेंस सेवा, त्वरित उपचार और स्वास्थ्य अवसंरचना के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहुत शानदार काम किया है जिसकी चर्चा देश के दूसरे राज्यों में भी होती है।''
उन्होंने पूर्वांचल में फैलने वाली जापानी इंसेफेलाइटिस की बीमारी की रोकथाम के लिये उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, ''वर्ष 2017 से पहले पूर्वांचल और खासकर गोरखपुर में जुलाई से सितंबर के बीच बारिश के महीने में जापानी इंसेफेलाइटिस से बड़ी संख्या में बच्चों की दुर्भाग्यपूर्ण मौत हो जाती थी।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ऐसा पिछले 40-50 वर्षों से लगातार चल रहा था और सरकारों ने इसे नियति का खेल मान लिया था, लेकिन 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा की ‘डबल इंजन’ की सरकार बनने के बाद अगले कुछ सालों में पूरी तस्वीर ही पलट गई।
सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार ने इस बीमारी से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर काम शुरू किया और खुद मुख्यमंत्री हर स्तर पर उसकी निगरानी कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि अब न सिर्फ पूर्वांचल, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में जापानी इंसेफेलाइटिस से मरने वाले बच्चों की संख्या अब ना के बराबर रह गई है।
भाषा सलीम