शुभांशु शुक्ला, तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में दाखिल
आशीष पवनेश
- 26 Jun 2025, 08:32 PM
- Updated: 08:32 PM
(फोटो सहित)
नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) भारत के शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के धरती से 28 घंटे की यात्रा के बाद बृहस्पतिवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में प्रवेश करने पर वहां के चालक दल के सदस्यों ने उन्हें गले लगाकर और हाथ मिलाकर गर्मजोशी से स्वागत किया।
ड्रैगन श्रृंखला के पांचवें अंतरिक्ष यान, जिसका नाम ग्रेस है, को उत्तरी अटलांटिक महासागर के ऊपर भारतीय समयानुसार अपराह्न 4:01 बजे अंतरिक्ष स्टेशन के हार्मनी मॉड्यूल के साथ वहां संचार, विद्युत संपर्क और दबाव स्थिरीकरण स्थापित करने में दो घंटे का समय लगा।
नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘एक्सिओम 4 के चालक दल- कमांडर पैगी व्हिटसन, इसरो के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, पोलिश इंजीनियर स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की, और मिशन विशेषज्ञ टिबोर कापू ड्रैगन अंतरिक्ष यान से बाहर निकले और पृथ्वी की निचली कक्षा में अपने घर पर नजर डाली।’’
यह पहली बार है जब कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा पर पहुंचा है।
अपनी पांचवीं अंतरिक्ष उड़ान पर पहुंची व्हिटसन ने कहा, ‘‘हम यहां आकर खुश हैं। एकांत में रहने का यह एक लंबा वक्त था।’’
नासा के सीधे प्रसारित वीडियो लिंक में अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष स्टेशन के पास आते हुए दिखाया गया और ‘डॉकिंग’ प्रक्रिया भारतीय समयानुसार अपराह्न 4:15 बजे पूरी हुई।
बुधवार को फ्लोरिडा से 12:01 बजे प्रक्षेपित होने के 28 घंटे से अधिक की यात्रा के बाद, ड्रैगन अंतरिक्ष यान ने अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने की तैयारी के लिए थ्रस्टर को फायर करके धीमी और संतुलित गति से आगे बढ़ना शुरू किया।
अंतरिक्ष यान जटिल प्रक्रियाओं के माध्यम से तेजी से आगे बढ़ा, जिससे मिशन नियंत्रण को "वेपॉइंट-1" और "वेपॉइंट-2" पर दो ठहरावों को छोड़ना पड़ा, जिससे डॉकिंग लगभग 30 मिनट पहले हो गई।
अंतरिक्ष स्टेशन से मात्र 20 मीटर की दूरी पर, अंतरिक्ष यान ने लेजर आधारित सेंसर और कैमरों के एक समूह का इस्तेमाल करते हुए, कक्षीय प्रयोगशाला के हार्मोनी मॉड्यूल पर डॉकिंग पोर्ट के साथ जुड़ने की प्रक्रिया शुरू की।
अंतरिक्ष यान के डॉकिंग के बाद, दोनों के जुड़ने की प्रक्रिया हुई जब यान और आईएसएस को एक दूसरे के साथ हुक के 12 सेट से जोड़ा गया और संचार और ऊर्जा संपर्क स्थापित किए गए।
अंतरिक्ष यान और आईएसएस के बीच संचार और ऊर्जा संपर्क स्थापित होने के साथ ही ‘डॉकिंग’ प्रक्रिया पूरी हो गई।
अंतरिक्ष स्टेशन के चालक दल ने अनिवार्य रिसाव जांच और हैच खोलने की प्रक्रियाएं पूरी कीं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ड्रैगन अंतरिक्ष यान के अंदर दबाव आईएसएस के समान ही हो-जो पृथ्वी पर समुद्र तल के दबाव के स्तर के अनुरुप था।
अंतरिक्ष यात्री व्हिटसन भारतीय समयानुसार शाम 5:53 बजे अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचीं, उनके बाद शुक्ला, स्लावोज और कापू भी अंतरिक्ष स्टेशन में पहुंचे।
भारतीय वायुसेना के टेस्ट पायलट शुक्ला अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरने वाले दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री बन गए हैं। इससे पहले भारत के राकेश शर्मा 1984 में अंतरिक्ष में आठ दिन रहे थे।
पोलिश इंजीनियर स्लावोज़ मिशन विशेषज्ञ और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी परियोजना के अंतरिक्ष यात्री हैं। स्लावोज अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले अपने देश के दूसरे व्यक्ति हैं और 1978 के बाद से पहले व्यक्ति हैं।
मैकेनिकल इंजीनियर और मिशन विशेषज्ञ कापू, अंतरिक्ष में रॉकेट से जाने वाले हंगरी के दूसरे अंतरिक्ष यात्री हैं। हंगरी का आखिरी अंतरिक्ष मिशन 45 साल पहले हुआ था।
अंतरिक्ष स्टेशन में सात अंतरिक्ष यात्री हैं- नासा से निकोल एयर्स, ऐनी मैकक्लेन और जॉनी किम, जेएएक्सए (जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी) से ताकुया ओनिशी और रोस्कोस्मोस अंतरिक्ष यात्री किरिल पेसकोव, सर्गेई रियाज़िकोव और एलेक्सी ज़ुब्रित्स्की।
भाषा आशीष