पाकिस्तान के पत्रों से सिंधु जल संधि पर भारत का रुख नहीं बदलेगा: जल शक्ति मंत्री
सुभाष पवनेश
- 26 Jun 2025, 08:41 PM
- Updated: 08:41 PM
नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल ने बृहस्पतिवार को कहा कि सिंधु जल संधि के निलंबन को रद्द करने के लिए पाकिस्तान का पत्र लिखना एक औपचारिकता भर है और इससे इस मामले में भारत का रुख नहीं बदलने वाला है।
पाकिस्तान ने भारत को कई बार पत्र लिखकर संधि पर अपने फैसले की समीक्षा करने को कहा है।
पाटिल ने यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सिंधु जल संधि के तहत मिलने वाला पानी कहीं नहीं जाएगा।
संधि पर पाकिस्तानी नेता बिलावल भुट्टो की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर पाटिल ने कहा कि भुट्टो ने राजनीतिक कारणों से कई बातें कही हैं।
पाकिस्तानी नेता ने सिंधु जल संधि को निलंबित किये जाने को लेकर हाल में भारत को धमकी दी थी।
पाटिल ने कहा, ‘‘उन्होंने खून और पानी बहने की बात भी कही, लेकिन हम ऐसी खोखली धमकियों से नहीं डरते।’’
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया गया था।
वहीं, जल शक्ति मंत्री ने बांग्लादेश के साथ लंबे समय से लंबित तीस्ता जल बंटवारे समझौते पर कहा कि इस पर किसी भी प्रगति के लिए पडो़सी देश (बांग्लादेश) में राजनीतिक स्थिरता जरूरी है।
पाटिल की यह टिप्पणी इस अटके हुए समझौते को लेकर चिंताओं के बीच आई है, जो इन दोनों पड़ोसी देशों के बीच एक दशक से भी अधिक समय से एक विवादास्पद मुद्दा रहा है।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बांग्लादेश यात्रा के दौरान इस समझौते के लिए एक व्यापक रूपरेखा पर सहमति बन गई थी, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध के कारण इसे अंतिम रूप देने में देरी हुई।
पाटिल ने एक सवाल के जवाब में संवाददाताओं से कहा, ‘‘बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिति फिलहाल स्थिर नहीं है। इसलिए, यह देश कोई भी निर्णय लेने की स्थिति में नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब वहां हालात कुछ ठीक हो जाएंगे, तभी हम आगे बढ़ पाएंगे।’’
बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले सिक्किम और पश्चिम बंगाल से होकर बहने वाली तीस्ता नदी उत्तरी बांग्लादेश में सिंचाई और कृषि के लिए महत्वपूर्ण है।
बांग्लादेश ने अपने किसानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए, खास तौर पर शुष्क मौसम के दौरान, तीस्ता नदी के पानी का उचित हिस्सा मांगा है।
हालांकि, भारत ने जल की अपनी आवश्यकताओं और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के साथ आम सहमति बनाने की जरूरत का हवाला दिया है।
भाषा सुभाष