एयर कंडीशनर का तापमान निर्धारित करने का प्रावधान फिलहाल लागू होने की संभावना नहीं: पर्यावरण मंत्री
अनुराग रमण
- 27 Jun 2025, 05:46 PM
- Updated: 05:46 PM
नयी दिल्ली, 27 जून (भाषा) केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने शुक्रवार को कहा कि एयर कंडीशनर (एसी) के तापमान को 20 डिग्री सेल्सियस से 28 डिग्री सेल्सियस के दायरे में करने की योजना को जल्द लागू करने की संभावना नहीं है और इसे समय के साथ धीरे-धीरे लागू किया जाएगा।
भारत जलवायु शिखर सम्मेलन में जब उनसे पूछा गया कि एसी के तापमान की नई सीमा कब लागू की जाएगी, तो यादव ने कहा कि ऐसी कोई भी स्थिति ‘2050 के बाद ही उत्पन्न हो सकती है।’
उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि यह तुरंत होगा, समय के साथ इसके लिए धीरे-धीरे क्षमताएं बनाई जाएंगी।”
यादव ने कहा कि जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करना राष्ट्रीय परिस्थितियों और सीबीडीआर-आरसी (साझा लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियां और संबंधित क्षमताएं) सिद्धांत के अनुरूप किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जलवायु निकाय को प्रस्तुत भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) या राष्ट्रीय जलवायु योजना, ‘अपने लोगों तक ऊर्जा की पहुंच’ सुनिश्चित करने पर जोर देती है।
सीबीडीआर-आरसी के सिद्धांत का अर्थ है कि सभी देशों को जलवायु परिवर्तन से लड़ना होगा, लेकिन विकसित देशों को और अधिक प्रयास करना चाहिए, क्योंकि ऐतिहासिक रूप से उत्सर्जन के लिए वे अधिक जिम्मेदार हैं और उनके पास अधिक संसाधन हैं।
इसी महीने केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने कहा था कि भारत में एयर कंडीशनर जल्द ही 20 डिग्री सेल्सियस से 28 डिग्री सेल्सियस की सीमा के भीतर काम करेंगे और इसे अनिवार्य बनाया जाएगा। उन्होंने कहा था कि इस सीमा से कम या अधिक तापमान पर काम करना प्रतिबंधित होगा।
ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) के अनुसार, भारत में ज्यादातर एसी वर्तमान में 20 से 21 डिग्री सेल्सियस के बीच निर्धारित किए जाते हैं, हालांकि आदर्श आरामदायक सीमा 24 से 25 डिग्री सेल्सियस है।
बीईई ने आराम और ऊर्जा उपयोग के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए एयर कंडीशनर को 24 से 25 डिग्री सेल्सियस पर निर्धारित करने की सलाह दी है। इसमें कहा गया है कि तापमान को बहुत कम, लगभग 20 से 21 डिग्री सेल्सियस पर रखने से बिजली की बर्बादी होती है।
एजेंसी का यह भी कहना है कि एसी का तापमान सिर्फ एक डिग्री बढ़ाने से करीब छह प्रतिशत बिजली की बचत हो सकती है। इसे 20 डिग्री सेल्सियस से बढ़ाकर 24 डिग्री सेल्सियस करने से 24 प्रतिशत तक ऊर्जा की बचत हो सकती है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (यूसी) बर्कले में इंडिया एनर्जी एंड क्लाइमेट सेंटर (आईईसीसी) द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत में हर साल एक से 1.5 करोड़ नए एसी लगाए जाते हैं, और अगले दशक में 13 से 15 करोड़ एसी बढ़ने की उम्मीद है। नीतिगत हस्तक्षेप के बिना, एसी अकेले 2030 तक 120 गीगावाट और 2035 तक 180 गीगावाट बिजली की अधिकतम मांग को बढ़ा सकते हैं, जो अनुमानित कुल मांग का लगभग 30 प्रतिशत है।
अध्ययन में कहा गया है कि सबसे तेजी से विकसित हो रही प्रमुख अर्थव्यवस्था अगले 10 वर्षों में कमरे के एसी की ऊर्जा दक्षता को दोगुना करके गंभीर बिजली की कमी से बच सकती है और उपभोक्ताओं को 2.2 लाख करोड़ रुपये (26 अरब डॉलर) तक की बचत करा सकती है।
भाषा अनुराग