न्यायालय ने विधायक एम. जगन मूर्ति को अपहरण मामले में गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया
अमित नरेश
- 30 Jun 2025, 06:30 PM
- Updated: 06:30 PM
नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने विधायक एम. जगन मूर्ति को सोमवार को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान कर दिया, जिन्होंने एक लड़के के अपहरण के कथित मामले में अपनी गिरफ्तारी की आशंका जतायी थी।
मूर्ति को "पूवई" जगन मूर्ति के नाम से भी जाना जाता है। वह पुरात्ची भारतम पार्टी के अध्यक्ष हैं, जो तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) की सहयोगी पार्टी है। मूर्ति के वी कुप्पम विधानसभा सीट से विधायक हैं।
न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने विधायक द्वारा दायर अपील पर तमिलनाडु पुलिस को नोटिस जारी किया।
पीठ ने कहा, ‘‘यदि याचिकाकर्ता को पुलिस थाने - थिरुवलंगडु में दर्ज प्राथमिकी के संबंध में गिरफ्तार किया जाता है, तो उन्हें 25,000 रुपये के निजी मुचलके पर रिहा किया जाएगा, बशर्ते वह यह वचन दें कि वह जांच में सहयोग करेंगे और गवाहों को धमकी नहीं देंगे या सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे।’’
शीर्ष अदालत मूर्ति द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने मद्रास उच्च न्यायालय के 27 जून के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।
उन्होंने दावा किया कि सह-आरोपी के इकबालिया बयान के आधार पर उन्हें इस मामले में फंसाया जा रहा है, जबकि उनके खिलाफ कथित अपराध से जुड़े कोई प्रत्यक्ष या पुष्ट सबूत नहीं हैं।
मूर्ति ने दलील दी कि यह मामला राजनीति से प्रेरित है और इसका इरादा उनकी छवि खराब करना है।
उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि उनके खिलाफ कार्यवाही में आगे बढ़ने के लिए "प्राथमिक सामग्री" मौजूद है।
अपहृत लड़के के बड़े भाई ने अपनी जाति से बाहर थेनी जिले की एक युवती से विवाह किया था और यह विवाह कथित तौर पर युवती के परिवार की इच्छा के विरुद्ध था।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि शिकायतकर्ता (मां) के बड़े बेटे को सोशल मीडिया के माध्यम से हुई जान-पहचान के कारण थेनी जिले की एक युवती से प्यार हो गया और 15 अप्रैल को दोनों ने शादी कर ली।
प्राथमिकी में कहा गया है कि दुल्हन के पिता ने विधायक और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) एच. एम. जयराम के साथ मिलकर जोड़े का पता लगाने की साजिश रची। इसमें कहा गया है कि इसके बाद एक गिरोह ने 7 जून को तड़के शिकायतकर्ता के छोटे बेटे को उसके घर से अगवा कर लिया।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि जब पुलिस ने शिकायतकर्ता की शिकायत के बाद तलाश तेज कर दी, तो पुलिस की तलाशी से बचने के लिए उसे अपहरण के कुछ घंटे के भीतर पेरम्बक्कम बस स्टैंड के पास छोड़ दिया गया।
भाषा अमित