दिल्ली सिंचाई विभाग में 4.6 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में अभियंता और ठेकेदार गिरफ्तार
राजकुमार संतोष
- 30 Jun 2025, 08:11 PM
- Updated: 08:11 PM
नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा) दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण (आईएंडएफसी) विभाग में 4.6 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के आरोप में एक निलंबित अधिशासी अभियंता और एक निजी ठेकेदार को गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि दोनों आरोपियों--सीडी-सप्तम संभाग के अधिशासी अभियंता (फिलहाल निलंबित) गगन कुरील तथा ‘मेसर्स बाबा कंस्ट्रक्शन कंपनी’ के स्वामी अरुण गुप्ता ने धोखाधड़ी करते हुए कथित तौर पर ऐसे निर्माण कार्यों के लिए 4.6 करोड़ रुपये से अधिक के भुगतान करवाये जो कभी हुए ही नहीं।
विभाग की सतर्कता शाखा को मिली शिकायत के बाद यह मामला सामने आया। जांच से पता चला कि ये अनियमितताएं उत्तरी दिल्ली के सिरसपुर गांव में जल निकासी और सड़क परियोजनाओं से संबंधित हैं। इन जल निकासी एवं सड़क परियोजनाओं का काम केवल कागजों पर हुआ।
संयुक्त पुलिस आयुक्त (एसीबी) मधुर वर्मा ने कहा, ‘‘सत्यापन के दौरान पाया गया कि चार अलग-अलग मामलों में, मूल रुप से कोई निर्माण कार्य नहीं होने के बावजूद 100 प्रतिशत निविदा राशि वितरित की गई थी। इसमें उत्तरी दिल्ली के सिरसपुर गांव में जल निकासी और सड़क परियोजनाएं और बुराड़ी में रखरखाव कार्य शामिल थे।’’
जांचकर्ताओं के अनुसार, मेसर्स बाबा कंस्ट्रक्शन कंपनी को सिरसपुर में सीमेंट कंक्रीट (आरसीसी) नालियों और सड़कों के निर्माण के लिए लगभग 5.3 करोड़ रुपये के तीन ठेके दिए गए थे। धरातल पर कोई काम नहीं होने के बावजूद, ठेकेदार को धोखाधड़ी से 4.2 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए।
दूसरे मामले में, ‘मेसर्स अंबा कंस्ट्रक्शन कंपनी’ को बुराड़ी में सीटीपी नेटवर्क पर मरम्मत और पेंटिंग कार्यों के लिए 38.98 लाख रुपये के अनुबंध के बदले 43.74 लाख रुपये मिले। फिर से, सत्यापन से पता चला कि कोई काम नहीं किया गया था।
आगे जांच करने पर धोखाधड़ी के एक परिष्कृत पैटर्न का पता चला जिसमें जाली बैंक गारंटी प्रस्तुत करना, कम्प्यूटरीकृत मापन पुस्तकों (सीएमबी) में हेरफेर करना, तथा कार्यों के निष्पादन को गलत तरीके से स्थापित करने के लिए सामग्री परीक्षण रिपोर्ट तैयार करना शामिल था।
जांच में पता चला कि विभाग को ठेकेदार द्वारा 2.24 करोड़ रुपये की तीन फर्जी प्रदर्शन बैंक गारंटी सौंपी गयी थी। बाद में सत्यापन से पुष्टि हुई कि ये रंगीन प्रिंटआउट थे तथा किसी वैध बैंक द्वारा जारी नहीं किये गये थे।
दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया गया और उन पर भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम और पूर्ववर्ती भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।
कानूनी कार्रवाई शुरू करने से पहले भ्रष्टाचार रोकथाम(संशोधन) अधिनियम, 2018 की धारा 17ए के तहत पूर्व मंजूरी ली गई थी
भाषा राजकुमार