बीसीआई ने उसके अधिकारों को कमजोर करने के प्रयास के लिए एसआईएलएफ की निंदा की
पारुल अविनाश
- 30 Jun 2025, 08:19 PM
- Updated: 08:19 PM
नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा) बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने भारत में विदेशी वकीलों और विधि फर्म के प्रवेश के मुद्दे को लेकर सोसाइटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म्स (एसआईएलएफ) को एक बार फिर फटकार लगाई है।
बीसीआई ने एसआईएलएफ पर उसके अधिकारों को लगातार कमजोर करने का प्रयास करने और भ्रामक बयान प्रसारित करने का आरोप लगाया है।
बीसीआई ने भारत में विदेशी वकीलों और विधि फर्म के पंजीकरण एवं विनियमन के लिए हाल ही में अपने संशोधित नियम अधिसूचित किए थे।
उसने 29 जून को जारी एक बयान में कहा कि एसआईएलएफ इस मुद्दे पर प्रेस विज्ञप्तियां जारी कर रहा है, जिनके शब्द पेशेवर कदाचार के दायरे में आते हैं और शीर्ष बार निकाय ऐसे बयानों के लिए जिम्मेदार लोगों को नोटिस जारी करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
बीसीआई सचिव श्रीमंतो सेन ने बयान में कहा, "एसआईएलएफ की ओर से अपनी प्रेस विज्ञप्तियों में इस्तेमाल भाषा पेशेवर कदाचार के समान है। यह संस्था, जो मुट्ठी भर बड़ी विधि फर्म के प्रभुत्व और नियंत्रण में है, लगातार बीसीआई के अधिकारों को कमजोर करने का प्रयास कर रही है, जो वैधानिक निकाय है।"
उन्होंने कहा, "कानूनी बिरादरी और आम जनता के बीच गलत धारणा पैदा करने के मकसद से जानबूझकर भ्रामक बयानबाजी न केवल गलत सूचना फैलाने के समान है, बल्कि हर समय पेशे की गरिमा और अखंडता बनाए रखने के अधिवक्ताओं के व्यापक कर्तव्य का भी स्पष्ट उल्लंघन है।"
बयान में विदेशी वकीलों और फर्म के प्रवेश से देश के कानूनी क्षेत्र के प्रभावित होने संबंधी एसआईएलएफ की टिप्पणी को "अतिशयोक्तिपूर्ण और बेहद हानिकारक" करार दिया गया है। इसमें कहा गया है कि नियंत्रित विदेशी भागीदारी ने प्रतिस्पर्धी, आधुनिक, वैश्विक रूप से एकीकृत कानूनी क्षेत्र को बढ़ावा दिया है, जिससे अंततः ग्राहकों को सशक्त बनाया गया है, युवा वकीलों को अवसर प्रदान किए गए हैं और भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को मजबूत किया गया है।
बयान में कहा गया है कि भारतीय विधि फर्म के बीच एकाधिकार न होने का एसआईएलएफ का दावा "बेबुनियाद" है।
इसमें कहा गया है, "जैसा कि बीसीआई के बयानों में बताया गया है, कुछ बड़ी फर्म ने विदेशी ग्राहकों और नेटवर्क के साथ अनौपचारिक संबंधों का लाभ उठाकर कॉर्पोरेट और मध्यस्थता के काम पर व्यवस्थित रूप से एकाधिकार कर लिया है। इस एकाधिकार ने छोटी, मध्यम आकार की और क्षेत्रीय फर्म के साथ-साथ युवा और गतिशील अधिवक्ताओं को मूल्यवान सीमा-पार कानूनी अवसरों से वंचित कर दिया है।"
बयान के मुताबिक, बीसीआई की राय में विधि फर्म की सुरक्षा के नाम पर "सनसनीखेज या भ्रामक" प्रेस विज्ञप्तियां जारी करना, जबकि वास्तव में ऐसा निजी वाणिज्यिक हितों की रक्षा के लिए किया गया था, बीसीआई नियमों के तहत निषिद्ध व्यक्तिगत या वर्गीय लाभ के लिए पेशे के दुरुपयोग के समान है।
भाषा पारुल