सतत विकास के लिए निजी पूंजी जरूरी: सीतारमण
रमण अजय
- 30 Jun 2025, 10:18 PM
- Updated: 10:18 PM
नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि सतत विकास को आगे बढ़ाने के लिए निजी पूंजी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह एक जरूरत और महत्वपूर्ण अवसर दोनों है।
आधिकारिक बयान के अनुसार, स्पेन के सेविला में अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंच के ‘लीडरशिप’ शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि निजी निवेश से पूंजी का सही उपयोग होता है, उत्पादकता बढ़ती है, नवोन्मेष और प्रौद्योगिकी के विकास और उसके सही उपयोग को बढ़ावा मिलता है। ये सभी समावेशी, सतत आर्थिक विकास के लिए जरूरी हैं।
वित्त मंत्री ने अस्थिर एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) प्रवाह और बढ़ती वैश्विक अनिश्चितता के दौर में कहा कि निजी पूंजी, विकास वित्त के एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में उभरी है।
उन्होंने कहा, ‘‘हाल के वर्षों में, हमने निजी निवेश में उत्साहजनक वृद्धि देखी है। इसे पारंपरिक स्रोतों के साथ-साथ नये वित्तीय साधनों के आने से समर्थन मिला है। हालांकि, निजी पूंजी जुटाना अब भी आवश्यकता से काफी कम है। इसमें निम्न और मध्यम आय वाले देशों को बहुत ही छोटा हिस्सा मिल रहा है।’’
सीतारमण ने कहा कि यह निवेश बाधाओं को दूर करने और विकास प्राथमिकताओं के अनुरूप वित्तीय प्रवाह को बेहतर बनाने के लिए लक्षित प्रयासों की तत्काल आवश्यकता को बताता है।
उन्होंने कहा, ‘‘निजी पूंजी जुटाना केवल एक वित्तपोषण रणनीति नहीं है बल्कि यह विकास के लिए अनिवार्य है। समन्वित कार्रवाई, विचारशील विनियमन और साझा महत्वाकांक्षा के साथ, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि निजी निवेश समावेशी, टिकाऊ और मजबूत विकास के लिए एक ताकत बन जाए।’’
सीतारमण ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए प्रमुख चुनौतियों का भी जिक्र किया, जिसमें पूंजी की उच्च लागत, बैंक से कर्ज लिये जाने योग्य परियोजनाओं की कमी, नियामकीय और संस्थागत बाधाएं, सीमित स्थानीय क्षमता और जोखिम की उच्च धारणाएं शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि निजी पूंजी को प्रभावी रूप से जुटाने के लिए एक बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता होती है, जिसमें मजबूत अंतरराष्ट्रीय सहयोग के साथ ठोस घरेलू सुधार शामिल है।
वित्त मंत्री ने सात रणनीतिक क्षेत्रों का उल्लेख किया, जहां बदलाव जरूरी होने के साथ प्राप्त करने योग्य भी है।
उन्होंने कहा कि मजबूत घरेलू वित्तीय बाजार, संस्थागत सुधारों के माध्यम से जोखिमों को दूर करना, निवेश के अवसरों में पैमाने का लाभ लाना और मिश्रित वित्त का विस्तार जरूरी है।
इसके अलावा, बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) और विकास वित्त संस्थानों (डीएफआई) को निजी पूंजी जुटाने के लिए मजबूत भूमिका निभाने की जरूरत है।
उन्होंने यह भी कहा कि उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाएं की संरचनात्मक ताकत और दीर्घकालिक मजबूती को बेहतर ढंग से दर्शाने के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग के तौर-तरीकों को विकसित किए जाने की जरूरत है। वर्तमान सरकारी साख की व्यवस्था प्राय: प्रमुख बुनियादी बातों को कम करके आंकती हैं।
सीतारमण ने कहा कि रेटिंग पद्धतियों में सुधार से न केवल निष्पक्षता बढ़ेगी बल्कि वित्तपोषण लागत भी कम होगी और निजी निवेश की मात्रा में भी वृद्धि होगी।
सीतारमण सोमवार को तीन देशों...स्पेन, पुर्तगाल, ब्राजील की आधिकारिक यात्रा पर रवाना हुईं। वह ब्रिक्स के सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नर की बैठक (एफएमसीबीजी) सहित विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगी।
उनकी तीन देशों की यात्रा पांच जुलाई को संपन्न होगी।
भाषा रमण