जैन पर्व के दौरान पशुवध पर नौ दिन के प्रतिबंध से अन्य समुदाय भी कर सकते हैं ऐसी मांग : अदालत
गोला दिलीप
- 07 Jul 2025, 03:56 PM
- Updated: 03:56 PM
मुंबई, सात जुलाई (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने पूछा कि क्या वह जैन समुदाय के नौ दिवसीय ‘पर्युषण पर्व’ के दौरान पशुओं के वध पर रोक लगा सकता है और क्या ऐसा कोई आदेश अन्य समुदायों द्वारा उनके त्योहारों जैसे गणेश चतुर्थी व नवरात्रि के दौरान इसी तरह की पाबंदियों की मांग के लिए रास्ता खोल देगा।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मरने की पीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो जैन समुदाय के एक ट्रस्ट द्वारा दायर की गई थी। इस याचिका में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) और नासिक व पुणे के नगर निकायों द्वारा 2024 में पारित उन आदेशों को चुनौती दी गई है, जिनमें पिछले साल पर्युषण पर्व के दौरान केवल एक दिन के लिए पशुवध पर प्रतिबंध लगाया गया था।
जैन समुदाय ने 21 अगस्त से नौ दिन के लिए पशु वध पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया है।
ट्रस्ट ने जैन धर्म के विभिन्न पहलुओं, विशेष रूप से अहिंसा पर जोर देते हुए कहा कि यदि पर्युषण पर्व के दौरान पशु वध होता है, तो यह जैन धर्म के मूल सिद्धांतों के लिए हानिकारक होगा।
इस पर अदालत ने सवाल किया कि क्या वह ऐसा कोई आदेश पारित कर सकती है।
अदालत ने कहा, ‘‘ऐसा न हो कि कल को हर दूसरा धर्म भी इसी तरह की मांग करने लगे। आप (जैन समुदाय) को पर्युषण पर्व के लिए नौ दिन का आदेश मिल जाएगा, फिर कोई अन्य समुदाय आकर गणेश चतुर्थी और नवरात्रि जैसे त्योहारों के लिए इसी तरह के आदेश की मांग करेगा।’’
पीठ को यह जानकारी दी गई कि महाराष्ट्र सरकार पहले ही साल में 15 दिन ऐसे अधिसूचित कर चुकी है, जब पशु वध पर रोक रहती है, जिसमें पर्युषण पर्व का एक दिन भी शामिल है।
अदालत ने पूछा कि क्या वह किसी नीतिगत निर्णय में हस्तक्षेप कर सकती है, क्योंकि उसे यह जानकारी नहीं है कि राज्य की कुल जनसंख्या में कितने प्रतिशत लोग शाकाहारी और कितने मांसाहारी हैं।
उच्च न्यायालय ने पूछा, ‘‘किस वैधानिक दायित्व के तहत बूचड़खाने को नौ दिनों के लिए बंद रखने का आदेश दिया जाना चाहिए?’’
पीठ ने बीएमसी, नासिक, पुणे और मीरा-भायंदर नगर निगमों को निर्देश दिया कि वे नौ दिनों के लिए पशु वध पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध करने वाले ट्रस्ट के प्रतिवेदन पर निर्णय लें और 18 अगस्त तक अपना फैसला दें।
पीठ ने ट्रस्ट को निर्देश दिया कि वह अपने प्रतिवेदन को पुनर्विचार के लिए इन चारों नगर निकायों (बीएमसी, नासिक, पुणे और मीरा-भायंदर) के समक्ष पेश करे।
भाषा गोला