भाजपा की फूट डालो और राज करो वाली पुरानी चाल है: आदित्य ठाकरे
प्रीति माधव
- 07 Jul 2025, 09:31 PM
- Updated: 09:31 PM
मुंबई, सात जुलाई (भाषा) शिवसेना (उबाठा) के विधायक आदित्य ठाकरे ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की उस टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की है, जिसमें उन्होंने (दुबे) महाराष्ट्र में हिंदी भाषी लोगों के खिलाफ बढ़ती हिंसा के लिए मनसे प्रमुख राज ठाकरे और उनके चचेरे भाई उद्धव के संबंध में विवादित बयान दिया था।
दुबे ने कथित तौर पर कहा था, ‘‘पटक-पटक के मारेंगे।’’
गोड्डा के सांसद ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हिंदी भाषी लोगों को मुंबई में मारने वाले यदि हिम्मत है तो महाराष्ट्र में उर्दू भाषियों को मार कर दिखाओ । अपने घर में तो कुत्ता भी शेर होता है? कौन कुत्ता कौन शेर खुद ही फ़ैसला कर लो।’’
उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ने दुबे पर पलटवार करते हुए उनकी ‘‘बेशर्म’’ टिप्पणियों के जरिए लोगों को भाषाई आधार पर बांटने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
आदित्य ने ‘पीटीआई-वीडियो’ से कहा, ‘‘दुबे उत्तर भारतीयों का चेहरा नहीं हैं। वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये टिप्पणियां मराठी और हिंदी भाषी लोगों को बांटने के इरादे से की गई हैं। ये भाजपा की रणनीति का हिस्सा हैं, जब कोई विवाद न हो तो उसे पैदा करना तथा फूट डालो और राज करो।’’
महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री ने कहा कि विभिन्न राज्यों से लोग अपने सपने पूरे करने के लिए महाराष्ट्र आते हैं और सौहार्दपूर्ण ढंग से रह रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘वे यहां खुशी-खुशी अपना कारोबार करते हैं। लेकिन कुछ तत्व अपने स्वार्थी एजेंडे के लिए महाराष्ट्र को जलाना चाहते हैं।’’
आदित्य ने कहा कि शिवसेना (उबाठा) हिंदी भाषा के खिलाफ नहीं है बल्कि उसका लक्ष्य महाराष्ट्र पर हिंदी भाषा थोपने के भाजपा के कदम का विरोध जताना है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे प्रवक्ता आनंद दुबे भी उत्तर भारत से हैं।’’
बोरीवली के भाजपा विधायक संजय उपाध्याय और राकांपा (एसपी) नेता रोहित पवार ने भी दुबे की कथित टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की।
संजय उपाध्याय ने कहा, ‘‘लोगों में कटुता पैदा करने वाले बयान देने से बचना चाहिए। यहां विभिन्न राज्यों से लोग आते हैं। मराठी लोगों के समर्थन के कारण वे (अपने प्रयासों में) सफल होते हैं। इसलिए मराठी भाषा या संस्कृति के खिलाफ बयान देना निंदनीय है।’’
उपाध्याय ने कहा कि सभी भाषाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाषाएं लोगों को एकजुट करती हैं और इन्हें एकता तोड़ने के साधन के रूप में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के विधायक रोहित पवार ने भी दुबे पर उनकी टिप्पणी के लिए निशाना साधा।
उन्होंने कहा, ‘‘हम किसी भी भाषा के खिलाफ नहीं हैं, चाहे वह हिंदी हो, गुजराती हो या मारवाड़ी हो। लेकिन महाराष्ट्र में जन्मे लोगों को चाहे वे मराठी जानते हों या नहीं, मराठी भाषा, उसकी पहचान और संस्कृति का सम्मान करना चाहिए।’’
पवार ने कहा, ‘‘अगर कोई यहां आकर मराठी या महाराष्ट्र की संस्कृति को चुनौती दे तो हम उसे कैसे स्वीकार कर सकते हैं? मैं दुबे जी से कहना चाहता हूं कि आप बिहार चुनाव पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और हिंदू-मुस्लिम विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।’’
उद्धव और राज ठाकरे हाल ही में लगभग 20 साल बाद मराठी भाषा के समर्थन में एक मंच पर आए। उन्होंने महाराष्ट्र में हिंदी थोपे जाने का विरोध करने की शपथ ली। उन्होंने यह कदम ऐसे समय में उठाया आया जब राज्य सरकार ने प्राथमिक स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी लागू करने वाले सरकारी आदेश (जीपीएस) को वापस ले लिया।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) द्वारा मराठी भाषा को लेकर विरोध जताए जाने के बीच अभिनेता एवं गायक दिनेश लाल यादव ने ठाकरे बंधुओं को चुनौती दी है कि वे भोजपुरी बोलने के कारण उन्हें महाराष्ट्र से बाहर निकाल कर दिखाएं। यादव को ‘निरहुआ’ के नाम से जाना जाता है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा था, ‘‘मैं खुली चुनौती दे रहा हूं। मैं मराठी नहीं बोलता। मैं भोजपुरी बोलता हूं और महाराष्ट्र में रहता हूं। आप गरीब लोगों को क्यों भगा रहे हैं? हिम्मत है तो मुझे भगाओ। मैं आपको चुनौती दे रहा हूं, चाहे मुंबई में ही क्यों न हो।’’
भाषा प्रीति