अगले वर्ष भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता 'मानवता सर्वप्रथम' दृष्टिकोण पर आधारित होगी : प्रधानमंत्री मोदी
प्रशांत पारुल
- 07 Jul 2025, 10:39 PM
- Updated: 10:39 PM
रियो डी जेनेरियो, सात जुलाई (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि जलवायु महत्वाकांक्षा और वित्तपोषण के बीच की खाई को पाटने में विकसित देशों पर विशेष जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता में “मानवता सर्वप्रथम” दृष्टिकोण अपनाया जाएगा।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में सोमवार को अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि भारत (ब्रिक्स) समूह को एक नये स्वरूप में परिभाषित करने के लिए काम करेगा और इसका उद्देश्य ‘‘सहयोग एवं स्थिरता के लिए लचीलेपन एवं नवाचार का निर्माण करना’’ होगा।
भारत अगले वर्ष ब्रिक्स की अध्यक्षता करेगा।
उन्होंने कहा, “जिस प्रकार हमने अपनी अध्यक्षता के दौरान जी-20 को व्यापकता दी, एजेंडे में ‘ग्लोबल साउथ’ के मुद्दों को प्राथमिकता दी, उसी प्रकार ब्रिक्स की अध्यक्षता के दौरान हम इस मंच को जन-केंद्रित और मानवता सर्वप्रथम की भावना के साथ आगे ले जाएंगे।”
मोदी ‘पर्यावरण, सीओपी-30 और वैश्विक स्वास्थ्य’ विषय पर आयोजित सत्र में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा, “भारत के लिए जलवायु न्याय कोई विकल्प नहीं है; यह एक नैतिक कर्तव्य है। भारत का मानना है कि जरूरतमंद देशों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और किफायती वित्तपोषण के बिना जलवायु कार्रवाई जलवायु वार्ता तक ही सीमित रहेगी।”
मोदी ने तर्क दिया कि जलवायु महत्वाकांक्षा और वित्तपोषण के बीच की खाई को पाटने में विकसित देशों पर विशेष और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा, “हमें उन सभी देशों को साथ लेकर चलना होगा, जो विभिन्न तनावों के कारण खाद्य, ईंधन, उर्वरक और वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “भविष्य को लेकर जो आत्मविश्वास विकसित देशों में है, वही आत्मविश्वास इन देशों में भी होना चाहिए। किसी भी प्रकार के दोहरे मानदंडों के साथ मानवता का सतत और समावेशी विकास संभव नहीं है।”
मोदी ने कहा कि भारत अपनी ब्रिक्स अध्यक्षता के तहत सभी विषयों पर घनिष्ठ सहयोग जारी रखेगा।
उन्होंने कहा, “भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता के तहत, हम ब्रिक्स को एक नये रूप में परिभाषित करने के लिए काम करेंगे। ब्रिक्स का अर्थ होगा-सहयोग और स्थिरता के लिए लचीलेपन तथा नवाचार का निर्माण करना।”
ब्रिक्स के शीर्ष नेताओं ने ब्राजील के तटीय शहर में समूह के दो दिवसीय वार्षिक शिखर सम्मेलन में विश्व के समक्ष उपस्थित विभिन्न चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नयी दिल्ली के दृष्टिकोण पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, “दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होने के बावजूद, भारत समय से पहले पेरिस प्रतिबद्धताओं को पूरा करने वाला पहला देश है। हम 2070 तक 'नेट जीरो' के लक्ष्य की ओर भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “पिछले 10 वर्षों में भारत में सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता में 4,000 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।”
मोदी ने कहा कि भारत के लिए जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण सुरक्षा सदैव उच्च प्राथमिकता वाले विषय रहे हैं।
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