श्रमिक संगठनों की हड़ताल, केरल में पूर्ण बंद
सिम्मी रंजन
- 09 Jul 2025, 04:07 PM
- Updated: 04:07 PM
तिरुवनंतपुरम, नौ जुलाई (भाषा) केंद्र सरकार की कथित श्रमिक विरोधी नीतियों के विरोध में श्रमिक संगठनों द्वारा आहूत 24 घंटे की राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल के कारण केरल में दुकानें, कार्यालय एवं स्कूल बंद रहे, सार्वजनिक वाहन सड़कों से नदारद रहे और सड़कें सुनसान रहीं।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) शासित राज्य के शहरों, कस्बों और गांवों में हड़ताल का व्यापक असर देखा गया।
राज्य की सड़कों पर केवल निजी वाहन ही दिखाई दिए और कई जगहों पर लोग बस अड्डों और रेलवे स्टेशन पर फंस गए। कई इलाकों में पुलिसकर्मी उनकी मदद के लिए पहुंचे और उन्हें सरकारी वाहनों से अस्पतालों सहित उनके गंतव्यों तक पहुंचाया गया।
विभिन्न श्रमिक संगठनों से जुड़े प्रदर्शनकारियों ने राज्य भर में केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए मार्च निकाले और हड़ताल के बावजूद चल रहीं बस और ऑटो को बीच रास्ते में ही रोक दिया।
प्रदर्शनकारियों ने सुबह कोच्चि और कोल्लम में केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) की बस सेवा बाधित कर दी और कर्मचारियों के साथ बहस भी की।
कोच्चि में बस कर्मचारियों ने कहा कि वे भाजपा के श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ से जुड़े हैं और उन्होंने प्रदर्शन में सहयोग न करने का फैसला किया है।
उन्होंने हालांकि आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें यात्रा पूरी करने के लिए पर्याप्त सहायता प्रदान नहीं की।
केएसआरटीसी के एक वाहन चालक की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है जिसमें वह हैलमेट पहनकर बस चलाता दिख रहा है।
बाद में, प्रदर्शनकारियों ने पथनमथिट्टा से कोल्लम जा रही उसकी बस को भी बीच रास्ते में रोक दिया।
सुबह के समय हालांकि तिरुवनंतपुरम की सड़कों पर कुछ ऑटो रिक्शा चलते देखे गए लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उन्हें भी रोक दिया।
वाहन सड़कों से नदारद रहे तथा विभिन्न क्षेत्रों के कर्मचारियों ने एकजुटता दिखाते हुए काम नहीं किया जिससे सड़कें सुनसान रहीं।
स्वास्थ्य सेवा, आपातकालीन सेवाएं तथा दूध आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाओं को हालांकि हड़ताल से छूट दी गई है ताकि आम लोगों को परेशानी नहीं हो।
राज्य में छोटी-छोटी दुकानों से लेकर सुपरमार्केट और शॉपिंग मॉल तक सभी दुकानें बंद रहीं।
अधिकारियों ने सरकारी कर्मचारियों के हड़ताल के दिन छुट्टी लेने पर रोक लगा दी। इसके बावजूद सरकारी कार्यालयों और संस्थानों में उपस्थिति उल्लेखनीय रूप से कम रही, क्योंकि राष्ट्रव्यापी हड़ताल को माकपा शासित राज्य में श्रमिक संगठनों और वामपंथी संगठनों का जबरदस्त समर्थन मिला।
श्रमिक संगठनों के संयुक्त मंच ने इस राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल का आह्वान किया है जिसमें 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों के साथ-साथ स्वतंत्र अखिल भारतीय क्षेत्रीय महासंघ और संघ शामिल हैं।
भाषा सिम्मी