अमेरिकी कंपनी ने वेदांता को 'अस्थिर कर्ज पर टिका ताश का घर' बताया, समूह ने आरोपों को नकारा
प्रेम अजय
- 09 Jul 2025, 07:22 PM
- Updated: 07:22 PM
नयी दिल्ली, नौ जुलाई (भाषा) अमेरिका की वित्तीय शोध कंपनी ‘वायसराय रिसर्च’ ने बुधवार को अरबपति अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाली ब्रिटिश कंपनी वेदांता रिसोर्सेज को एक ‘परजीवी’ बताते हुए कहा कि यह अपनी भारतीय इकाई को ‘व्यवस्थित रूप से खत्म’ कर रही है।
वेदांता समूह ने इन सभी आरोपों को ‘चुनिंदा भ्रामक सूचनाओं पर आधारित और आधारहीन' बताते हुए कहा कि इसे समूह से संपर्क किए बगैर तैयार किया गया है। उसने कहा कि इसके पीछे मकसद समूह को बदनाम करने का है।
इस अमेरिकी कंपनी ने भारतीय खनन कंपनी वेदांता लिमिटेड की ब्रिटेन स्थित मूल कंपनी वेदांता रिसोर्सेज के कर्ज के खिलाफ ‘शॉर्ट पोजीशन’ लेने की बात कही है। उसने आरोप लगाया कि यह समूह ‘अस्थिर कर्ज, लूटी गई संपत्तियों और लेखांकन संबंधी कपट की नींव पर बना ताश का घर है।’
वायसराय रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘वीआरएल एक ‘परजीवी’ मूल कंपनी है जिसका अपना कोई महत्वपूर्ण परिचालन नहीं है, जो पूरी तरह से अपने मरते हुए ‘मेजबान’ वेदांता लिमिटेड (वीईडीएल) से निकाली गई नकदी पर निर्भर है।’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि वेदांता रिसोर्सेज अपने कर्ज बोझ को कम करने के लिए वीईडीएल को व्यवस्थित रूप से खाली कर रही है, जिससे परिचालन कंपनी को लगातार बढ़ते ऋणभार को उठाने और अपने नकदी भंडार को समाप्त करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
वायसराय रिसर्च ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में वीईडीएल को दिए गए लाभांश पर 5.6 अरब डॉलर की मुक्त नकदी प्रवाह की कमी का सामना करना पड़ा है जबकि वित्त वर्ष 2021-22 से इसका शुद्ध ऋण 6.7 अरब डॉलर (लगभग 200 प्रतिशत) बढ़ गया है।
रिपोर्ट कहती है, ‘‘वीईडीएल ने अपने नकदी भंडार को खत्म कर दिया है और उधारी जुटाने एवं कार्यशील पूंजी मदों के 'परिसमापन' की अपनी क्षमता भी गंवा दी है।’’
रिपोर्ट कहती है, ‘‘यह लूट वीईडीएल के बुनियादी मूल्य को नष्ट कर रही है, जो वीआरएल के अपने लेनदारों के लिए प्राथमिक गारंटी है।’’
वायसराय रिसर्च ने 85 पृष्ठ की इस रिपोर्ट में कहा है कि वह वेदांता लिमिटेड की मूल कंपनी और बहुलांश हिस्सेदारी रखने वाली वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड (वीआरएल) के ऋण बॉन्ड की कीमत भविष्य में गिरने पर दांव लगा रही है।
ऋण खंड की कीमत के आगे चलकर गिरने पर दांव लगाने को बॉन्ड की 'शॉर्ट सेलिंग' भी कहा जाता है। यह शेयर कारोबार की एक रणनीति है जहां निवेशक बॉन्ड या अन्य ऋण साधनों की कीमत में गिरावट से लाभ कमाने की कोशिश करता है।
यह रिपोर्ट जारी होने के बाद वेदांता के शेयर में 7.8 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई लेकिन बाद में यह सुधरकर कारोबार के अंत में करीब 3.3 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ।
अमेरिकी फर्म ने वीआरएल को ‘भारी कर्ज में डूबी मूल कंपनी’ बताते हुए कहा, ‘‘समूह की पूरी संरचना आर्थिक रूप से अस्थिर है, परिचालन के स्तर पर कमजोरी है और लेनदारों के लिए एक गंभीर, कम-मूल्यांकन वाला जोखिम पैदा करती है।’’
वेदांता ने इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए बयान में कहा, ‘‘यह रिपोर्ट समूह को बदनाम करने के लिए चुनिंदा भ्रामक सूचनाओं और निराधार आरोपों का एक दुर्भावनापूर्ण मिश्रण है।’’
इसमें कहा गया, ‘‘यह रिपोर्ट हमसे संपर्क का कोई प्रयास किए बगैर, केवल झूठे प्रचार के मकसद से जारी की गई है। इसमें सिर्फ पहले से ही सार्वजनिक रूप से उपलब्ध विभिन्न सूचनाओं का संकलन है, लेकिन इसे तैयार करने वालों ने बाजार की प्रतिक्रिया से फायदा उठाने के लिए संदर्भ को सनसनीखेज बनाने की कोशिश की है।’’
अमेरिकी कंपनी ने वेदांता समूह में कुछ भौतिक मात्रात्मक और गुणात्मक विसंगतियों को 'धोखाधड़ी के समान' बताते हुए ‘बैट एंड स्विच फंडिंग मॉडल’ का उल्लेख किया है। उसका कहना है कि वेदांता लिमिटेड नई पूंजी जुटाने के लिए ऐसी बेतुकी परियोजनाओं का प्रवर्तन करती है जिनका वह वहन नहीं कर सकती। बाद में यह पूंजी मूल कंपनी को उसके ऋण चुकाने के लिए दे दी जाती है।
इस रिपोर्ट में वेदांता के ब्याज व्यय के उसकी दर्ज दरों से कहीं अधिक होने, परिसंपत्तियों के मूल्यों में वृद्धि के प्रमाण, परिचालन वाली अनुषंगी कंपनियों द्वारा लाभ एवं परिसंपत्तियों के मूल्यों को कृत्रिम रूप से बढ़ाने के लिए व्यवस्थित रूप से पूंजीकृत किए जाने का आरोप लगाया गया है।
इसके अलावा अरबों डॉलर के विवादित व्यय को बही-खाते से बाहर रखने और वित्तीय रिपोर्ट में दर्ज नहीं करने की बात भी कही गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘वेदांता का मामला प्रबंधन और लेखा परीक्षकों के स्तर पर व्यवस्थित परिचालन विफलताओं को पेश करता है, जिसमें अनुचित लेखा परीक्षक विकल्प भी शामिल हैं।’’
यह रिपोर्ट वेदांता लिमिटेड के चेयरमैन अनिल अग्रवाल द्वारा वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में कंपनी के शेयरधारकों को संबोधित करने से एक दिन पहले आई है।
वेदांता ने इस संदर्भ का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘रिपोर्ट आने का समय संदिग्ध है और यह आगामी कॉरपोरेट पहल को कमजोर करने वाली हो सकती है। हमारे हितधारक ऐसी चालों को समझने के लिए पर्याप्त समझदार हैं।’’
इसके जवाब में वायसराय समूह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा कि वेदांता ने उसके काम को अस्वीकार करने का कोई प्रयास किए बगैर ही उनकी ‘विस्तृत संदर्भों वाली’ रिपोर्ट को खारिज कर दिया है।
वायसराय रिसर्च ने कहा, ‘‘इसका कारण शायद यह है कि वे हमारे निष्कर्षों का खंडन नहीं कर सकते हैं। हम अपने काम को लेकर प्रतिबद्ध हैं और सवालों के जवाब देने को तैयार हैं।’’
वेदांता समूह के खिलाफ आई इस रिपोर्ट ने अदाणी समूह के खिलाफ जनवरी, 2023 में आई हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट की यादें ताजा कर दी हैं। हिंडनबर्ग ने अदाणी समूह की कंपनियों पर शेयरों के भाव में हेराफेरी करने और वित्तीय लेखा में गड़बड़ी के आरोप लगाए थे।
हालांकि, अदाणी समूह ने उन सभी आरोपों का खंडन करते हुए उन्हें ‘निराधार’ और ‘दुर्भावनापूर्ण’ बताया था। लेकिन इस रिपोर्ट के कारण अदाणी समूह के शेयरों के मूल्य में 150 अरब डॉलर तक की भारी गिरावट आ गई थी।
बाद में अदाणी समूह के शेयरों के भाव सुधरते हुए नुकसान की काफी हद तक भरपाई करने में सफल रहे। वहीं हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने कारोबार बंद करने की घोषणा कर दी है।
भाषा प्रेम
प्रेम