शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ ने मुंबई में एक कैंटीन कर्मचारी को थप्पड़ मारा, विपक्ष ने आलोचना की
शफीक वैभव
- 09 Jul 2025, 07:32 PM
- Updated: 07:32 PM
मुंबई, नौ जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना के विधायक संजय गायकवाड़ ने बासी भोजन परोसे जाने को लेकर मुंबई में विधायक हॉस्टल कैंटीन के एक कर्मचारी को कथित तौर पर थप्पड़ मार दिया।
बुलढाणा विधायक के इस कृत्य का वीडियो वायरल हुआ है, जिसकी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ-साथ विपक्षी दलों ने भी निंदा की।
फडणवीस ने बुधवार को कहा कि गायकवाड़ द्वारा मुंबई में ‘आकाशवाणी एमएलए’ हॉस्टल की कैंटीन के एक कर्मचारी को थप्पड़ मारने की घटना से सभी विधायकों के बारे में यह गलत संदेश गया है कि वे सत्ता का दुरुपयोग करते हैं।
उपमुख्यमंत्री एवं शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने भी अपनी पार्टी के नेता के कृत्य को ‘‘अनुचित’’ बताया।
हालांकि, मंगलवार रात को हुई इस घटना के बाद बुलढाणा से विधायक गायकवाड़ ने अपने आचरण का बचाव करते हुए कहा कि उन्हें ‘‘शिवसेना शैली’’ की प्रतिक्रिया के लिए बाध्य होना पड़ा, क्योंकि भोजन की गुणवत्ता के बारे में उनकी पूर्व की शिकायतों का समाधान नहीं किया गया था। गायकवाड़ ने कहा कि उन्हें अपने कृत्य पर कोई पछतावा नहीं है।
यह घटना ‘आकाशवाणी एमएलए’ हॉस्टल में हुई और इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है।
वीडियो में विधायक गायकवाड़ कैंटीन संचालक को फटकार लगाते हुए, बिल के भुगतान से इनकार करते हुए और ‘बिलिंग काउंटर’ पर बैठे कर्मचारी को थप्पड़ मारते हुए नजर आ रहे हैं।
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए गायकवाड़ ने एक क्षेत्रीय समाचार चैनल से कहा, ‘‘मैंने दो-तीन बार पहले भी भोजन की खराब गुणवत्ता की शिकायत की थी। लेकिन इस बार तो भोजन बिल्कुल खराब था। मैं यह मुद्दा विधानसभा के मौजूदा सत्र में जरूर उठाऊंगा।’’
सूत्रों के अनुसार, मंगलवार रात को गायकवाड़ ने विधायक हॉस्टल के कैंटीन से खाना मंगवाया था। जब उनके कमरे में दाल और चावल पहुंचा, तो वह बासी और बदबूदार लगा।
सूत्रों ने बताया कि इससे नाराज होकर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के विधायक गायकवाड़ सीधे कैंटीन में पहुंचे और उनकी वहां प्रबंधक से तीखी बहस हुई।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विधायक भोजन की गुणवत्ता को लेकर बेहद गुस्से में थे और उन्होंने वहां मौजूद अन्य लोगों से भी कहा कि वे इस खाने का बिल न चुकाएं। बहस के दौरान उन्होंने कैंटीन संचालक को थप्पड़ भी मार दिया।
बुधवार को विधान भवन परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए गायकवाड़ ने कहा कि उन्होंने विधायक हॉस्टल में खाने की गुणवत्ता का मुद्दा कई बार उठाया है। विधायक ने कहा कि वह यह मुद्दा खाद्य एवं औषधि प्रशासन मंत्री नरहरि जिरवाल के समक्ष भी उठा चुके हैं।
गायकवाड़ ने कहा, ‘‘जिरवाल ने मुझे बताया कि उन्होंने लगभग तीन महीने पहले कुछ नमूने जांच के लिए भेजे थे और अभी तक रिपोर्ट नहीं मिली है। हजारों लोग विधानसभा सत्र के दौरान विधायक हॉस्टल में गुणवत्तापूर्ण भोजन के लिए आते हैं, लेकिन ठेकेदार ने कभी इसमें सुधार नहीं किया।’’
उन्होंने कहा कि लोगों द्वारा भोजन की गुणवत्ता के बारे में कई शिकायतों के बावजूद, हर बार किसी न किसी तरह एक ही ठेकेदार को ठेका मिल जाता है।
विधायक ने कहा, ‘‘मैं पिछले 10-15 सालों से विधायक हॉस्टल का दौरा कर रहा हूं और कई बार शिकायतें दर्ज करा चुका हूं। मंगलवार रात, जब मैं कैंटीन के कर्मचारियों से मिलने गया, तो अन्य लोगों ने भी स्वीकार किया कि मुझे दिया गया खाना न केवल स्वाद में खराब था, बल्कि सड़ा हुआ भी था। उसमें से बदबू आ रही थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आखिरकार मैं भी एक इंसान हूं। मुझे शिवसेना की शैली में जवाब देना पड़ा क्योंकि बाकी सभी कोशिशें बेअसर रहीं।’’
गायकवाड़ ने दावा किया कि ऐसा खाना देकर ये कैंटीन संचालक ‘‘लोगों की जान से खेल रहे हैं।’’
जब गायकवाड़ से पूछा गया कि उन्होंने कैंटीन कर्मचारी को क्यों पीटा, तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं एक विधायक और एक योद्धा हूं। मेरी शिकायतें अनसुनी होने पर मैं अपना आपा खो बैठा। कई शिकायतों के बावजूद अगर कोई ध्यान नहीं देता, तो क्या करें? क्या मुझे मर जाना चाहिए? मुझे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है।’’
विधान परिषद में यह मुद्दा शिवसेना (उबाठा) विधायक अनिल परब ने उठाया, जिन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक पर सत्ता के नशे में होने का आरोप लगाया और कहा कि ऐसी घटनाओं से मुख्यमंत्री फडणवीस की छवि को भी नुकसान पहुंचता है।
फडणवीस ने सदन में कहा, ‘‘ऐसा आचरण किसी को भी शोभा नहीं देता। यह राज्य विधानमंडल और एक विधायक की छवि पर असर डालता है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि कैंटीन में भोजन को लेकर कोई समस्या है तो इसकी औपचारिक शिकायत की जा सकती है और इस पर कार्रवाई की जाएगी।
फडणवीस ने कहा, ‘‘सभी विधायकों के बारे में लोगों के बीच गलत संदेश जाता है कि वे सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं।’’
गायकवाड़ के व्यवहार के बारे में पूछे जाने पर उपमुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि अगर कुछ गलत हो रहा है, तो कानूनी कार्रवाई हो सकती है, लेकिन लोगों की पिटाई करना अनुचित है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने संजय गायकवाड़ से कहा है कि उनकी हरकतें अनुचित थीं। मैं उनके कृत्यों का समर्थन नहीं करता।’’
शिवसेना की सहयोगी राकांपा के एमएलसी अमोल मिटकरी ने कहा कि वह गायकवाड़ के कृत्य का समर्थन नहीं करते, लेकिन उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे उचित हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘कैंटीन में खाने की गुणवत्ता खराब है। इसमें कुछ सुधार होना चाहिए।’’
शिवसेना (उबाठा) की राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने गायकवाड़ के इस बर्ताव के लिए उनकी आलोचना की।
चतुर्वेदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘शाह सेना के विधायक संजय गायकवाड़ से मिलिए। पिछले साल इन्होंने यह धमकी दी थी और ऐलान किया था कि जो भी राहुल गांधी की जीभ काटेगा, उसे 11 लाख रुपये इनाम में देंगे। अब यही व्यक्ति असहाय कैंटीन कर्मचारी को पीटते हुए नजर आ रहा है। लेकिन ठहरिए, यहां किसी समाचार चैनल पर रोष या बहस नहीं दिखाई दे रही, शायद इसलिए क्योंकि यह भाजपा के सहयोगी दल से हैं।’’
गायकवाड़ पहले भी अपने बयानों को लेकर विवादों में रह चुके हैं। उन्होंने पिछले साल सितंबर में कहा था कि जो कोई भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आरक्षण प्रणाली को खत्म करने संबंधी टिप्पणी के कारण उनकी जुबान काटेगा, वह उसे 11 लाख रुपये का इनाम देंगे।
बुलढाणा पुलिस ने बाद में उनके खिलाफ एक मामला दर्ज किया था।
इस साल अप्रैल में, संजय गायकवाड़ ने पुलिस को लेकर कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, लेकिन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की फटकार के बाद उन्होंने खेद जताया था।
इससे पहले, पिछले साल मार्च में गायकवाड़ का एक वीडियो सोशल मीडिया पर आया था जिसमें वह एक युवक को डंडे से पीटते हुए दिखाई दे रहे थे। इस पर विपक्ष ने उनकी कड़ी आलोचना की थी और कहा था कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है।
गायकवाड़ ने बाद में कहा कि उन्होंने युवक को इसलिए पीटा क्योंकि वह एक असामाजिक गिरोह का हिस्सा था और उसने एक पुलिसकर्मी पर हमला किया था।
भाषा शफीक