आबकारी विभाग में अब भ्रष्टाचार का नामोनिशान नहीं : मंत्री नितिन अग्रवाल
अरुणव सलीम राजकुमार अनुराग अजय
- 09 Jul 2025, 08:59 PM
- Updated: 08:59 PM
(अरुणव सिन्हा)
लखनऊ, नौ जुलाई (भाषा) उत्तर प्रदेश के आबकारी एवं मद्य निषेध मंत्री नितिन अग्रवाल ने बुधवार को कहा कि समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के शासनकाल में आबकारी विभाग भ्रष्टाचार का प्रतीक था लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अब विभाग में भ्रष्टाचार का नामोनिशान तक नहीं है।
अग्रवाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से विशेष बातचीत में कहा कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश की आबकारी नीति अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय बन गई है। यही वजह है कि पंजाब और कर्नाटक समेत छह राज्यों ने उत्तर प्रदेश की आबकारी नीति का अध्ययन करने के लिए अपनी अपनी टीमें भेजी हैं।
उन्होंने प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा, “समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के समय में आबकारी विभाग भ्रष्टाचार का प्रतीक था।”
अग्रवाल ने कहा, “आज, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में साल 2017 से अबतक आठ साल हो चुके हैं और आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार का नामोनिशान तक नहीं है।”
उन्होंने बताया कि छह राज्यों- ओडिशा, मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और पंजाब की टीमों ने आबकारी नीति का अध्ययन करने के लिए यहां का दौरा किया है।
राज्यों को पसंद आने वाली नीतिगत विशेषताओं के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा कि दूसरे राज्यों के दल उत्तर प्रदेश के खजाने में बढ़ोतरी करने वाले आबकारी राजस्व मॉडल का अध्ययन करने आए थे। ‘साथ ही उन्होंने उत्तर प्रदेश में लागू की गई लॉटरी प्रणाली का भी अध्ययन किया।’
अग्रवाल ने कहा, “कुछ राज्य उत्तर प्रदेश की तरह (अपनी) नीति को लागू करना चाहते हैं। इन राज्यों के आबकारी आयुक्तों ने हमारे आबकारी आयुक्त से मुलाकात की है। इसके अलावा दौरा करने वाले अधिकारियों ने हमारे आबकारी विभाग द्वारा डिस्टिलरी से खुदरा विक्रेताओं तक शराब की बोतलों की वास्तविक स्थिति जानने के लिए लागू किए गए ‘ट्रैक एंड ट्रेस’ तंत्र का भी अध्ययन किया।”
मंत्री ने कहा कि 2017-18 में विभाग का राजस्व 17,320.10 करोड़ रुपये था, जो 2024-25 में बढ़कर 52,573.07 करोड़ रुपये हो गया।
अग्रवाल ने आबकारी विभाग के राजस्व के आंकड़ों का ब्योरा देते हुए कहा कि 2018-19 में राजस्व 23,927.56 करोड़ रुपये (38.14 प्रतिशत की वृद्धि), 2019-20 में 27,324.80 करोड़ रुपये (14.20 प्रतिशत की वृद्धि), 2020-21 में 30,061.08 करोड़ रुपये, 2021-22 में 36,321.12 करोड़ रुपये (20.82 प्रतिशत की वृद्धि) और 2022-23 में 41,252.24 करोड़ रुपये (13.58 प्रतिशत की वृद्धि) रही है।
उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 में विभाग ने 45,570.47 करोड़ रुपये (10.47 प्रतिशत की वृद्धि) का राजस्व अर्जित किया।
अग्रवाल ने बताया कि चालू वित्त वर्ष (2025-26) की पहली तिमाही में विभाग का प्रदर्शन अभूतपूर्व रहा है और इसने 14,400 करोड़ रुपये के राजस्व लक्ष्य का 98.81 प्रतिशत हासिल कर लिया है।
मंत्री ने बुधवार को लखनऊ में आयोजित ‘आबकारी निवेशक शिखर सम्मेलन’ को भी संबोधित किया।
उत्तर प्रदेश आबकारी नीति 2025-26 गत एक अप्रैल से लागू हो गई है। इसके तहत अलग-अलग विदेशी शराब और बीयर की दुकानों को मिश्रित दुकानों से बदला जा रहा है। इससे दुकानों की संख्या बढ़ाए बिना खुदरा घनत्व बढ़ रहा है।
इसी साल फरवरी में प्रदेश मंत्रिमंडल ने चालू वित्त वर्ष के लिए आबकारी नीति को मंजूरी दी थी, जिसमें शराब और भांग की दुकानों के आवंटन के लिए ई-लॉटरी प्रणाली शुरू करने सहित कई प्रमुख बदलाव शामिल हैं।
सरकार ने पहली बार ‘मिश्रित दुकानों’ की अवधारणा भी शुरू की है, जिसमें अलग-अलग बीयर और विदेशी शराब की दुकानों को एक में समाहित कर दिया गया है।
उत्तर प्रदेश आबकारी नीति 2025-26 में विभाग ने 63,000 करोड़ रुपये का आबकारी लक्ष्य भी तय किया है।
भाषा अरुणव सलीम राजकुमार अनुराग