प्राकृतिक खेती एक वैज्ञानिक प्रयोग, स्वास्थ्य के लिए बेहतर: अमित शाह
रमण अजय
- 09 Jul 2025, 10:36 PM
- Updated: 10:36 PM
(तस्वीरों के साथ)
अहमदाबाद, नौ जुलाई (भाषा) केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि प्राकृतिक खेती एक वैज्ञानिक प्रयोग है और अधिक उपज समेत इसके कई लाभ हैं। उन्होंने आगाह किया कि रासायनिक उर्वरकों के साथ गेहूं की खेती से अक्सर कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं।
शाह ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति रसायनों और उर्वरकों से मुक्त भोजन करता है, तो उसे किसी दवा की आवश्यकता नहीं होगी।
वरिष्ठ भाजपा नेता ने यह भी कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद, वह अपना शेष जीवन प्राचीन भारतीय ग्रंथों वेदों, उपनिषदों और प्राकृतिक खेती को देंगे।
शाह ने कहा, ‘‘मैंने पहले ही निर्णय ले लिया है कि जब भी मैं सेवानिवृत्त होऊंगा, मैं अपना शेष जीवन वेदों, उपनिषदों और प्राकृतिक खेती को समर्पित करूंगा। प्राकृतिक खेती एक वैज्ञानिक प्रयोग है जिसके कई लाभ हैं।’’
केंद्रीय मंत्री ने यह बात ‘सहकार संवाद’ के दौरान कही। यह अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के अवसर पर अहमदाबाद में गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान की महिला सहकारी कार्यकर्ताओं के साथ एक संवाद था।
शाह के गुजरात दौरे के दौरान अहमदाबाद की साइंस सिटी में पिछले शनिवार और रविवार को हुई इस बातचीत का वीडियो और प्रेस विज्ञप्ति बुधवार को जारी की गई।
उन्होंने कहा कि उर्वरकों का उपयोग करके उगाया गया गेहूं थायराइड, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कैंसर का कारण बन सकता है।
शाह ने कहा, ‘‘अगर आप रसायनों और उर्वरकों से मुक्त भोजन का सेवन करते हैं, तो आपको किसी दवा की आवश्यकता नहीं होगी। फसल की पैदावार भी बढ़ेगी, जो प्राकृतिक खेती का एक और लाभ है। अपने खेत में इस कृषि तकनीक को लागू करने के बाद मेरी उपज में डेढ़ गुना वृद्धि हुई है।’’
प्राकृतिक खेती एक ऐसी कृषि पद्धति है जो रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग के बिना, प्रकृति के सिद्धांतों का पालन करती है। यह एक पारंपरिक, रसायन-मुक्त खेती का तरीका है जो मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को बढ़ाने पर केंद्रित है।
पीआईबी की एक विज्ञप्ति के अनुसार, ‘सहकार संवाद’ को संबोधित करते हुए, शाह ने कहा कि गुजरात के आणंद जिले में एक सहकारी विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी गई है और इसका नाम भारत के सहकारी आंदोलन के जनक माने जाने वाले त्रिभुवनदास पटेल के नाम पर रखा जाएगा।
भाषा रमण