बम की धमकी वाले ईमेल की जांच में पुलिस उलझी, ‘डार्क वेब’ और ‘वीपीएन’ बड़ी चुनौती
खारी माधव
- 16 Jul 2025, 05:36 PM
- Updated: 05:36 PM
नयी दिल्ली, 16 जुलाई (भाषा) दिल्ली के स्कूल और कॉलेजों को पिछले लगातार तीन दिनों से मिल रही बम से उड़ाने की धमकियों ने पुलिस की मुश्किलों को बहुत बढ़ा दिया है। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि ये धमकी भरे ईमेल ‘एन्क्रिप्टेड नेटवर्क’ (ऐसा तंत्र जिसमें कोई तीसरा सेंध नहीं लगा सकता) के जरिए भेजे गए हैं, जिससे उनके स्रोत का पता लगाना बेहद मुश्किल हो गया है।
दिल्ली पुलिस के साइबर विशेषज्ञों और धमकियों की जांच कर रहे वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि धमकी भेजने वाले ‘वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क’ (वीपीएन) और ‘डार्क वेब’ का इस्तेमाल कर रहे हैं।
‘डार्क वेब’ आमतौर पर गूगल, बिंग जैसे सर्च इंजनों से दिखाई नहीं देता और सिर्फ विशेष सॉफ्टवेयर के जरिए ही इस तक पहुंच संभव है, जबकि ‘वीपीएन’ के इस्तेमाल से ऑनलाइन गतिविधियां छिप जाती हैं।
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘डार्क वेब का पता लगाना, शीशों से भरे कमरे में परछाईं का पीछा करने जैसा है। जैसे ही आपको लगता है कि आपको कोई सुराग मिल गया है, वह गुमनामी की एक और परत के पीछे गायब हो जाता है।’’
पिछले तीन दिन में राष्ट्रीय राजधानी के नौ स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी वाले दस ईमेल मिले हैं। इसी साल फरवरी में राजधानी के एक निजी स्कूल और दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज को बम की धमकी वाले ईमेल मिले थे। हालांकि गहन तलाशी के बाद कुछ भी संदिग्ध वस्तु नहीं मिलने के बाद अधिकारियों ने इन्हें महज अफवाह घोषित कर दिया।
ऐसी धमकियों को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच, शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों में बम की धमकियों से निपटने के लिए मई में एक व्यापक 115-सूत्री मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की थी।
सूत्रों ने बताया कि हाल में मिले सभी ईमेल एक जैसे थे: जिनमें अस्पष्ट लेकिन धमकी भरी भाषा होती है, जिन्हें स्कूल शुरू होने के समय से पहले और अक्सर अंतरराष्ट्रीय सर्वर के माध्यम से भेजा जाता है।
पुलिस का मानना है कि धमकी भेजने वाला या संबंधित समूह पहचान से बचने के लिए स्रोत छिपाने वाले उपकरणों और साइबर रणनीतियों का कुशलता से इस्तेमाल कर रहा है।
एक सूत्र ने कहा, ‘‘‘प्रॉक्सी सर्वर’ के माध्यम से भेजे गए ईमेल के स्रोत का पता लगाना आसान नहीं होता। वे अपनी लोकेशन को कई देशों में दिखाने करने के लिए ‘वीपीएन’ और ‘डार्क वेब’ पर टूल्स का उपयोग कर रहे हैं। ऐसे मामलों में, सेवा प्रदाता भी अक्सर असहाय होते हैं।’’
दिल्ली पुलिस के एक साइबर विशेषज्ञ ने कहा कि जांच अधिकारी अब इन धमकियों को महज शरारत के रूप में नहीं ले रहे हैं।
नाम न उजागर करने की शर्त पर विशेषज्ञ ने कहा, ‘‘कई जांच एजेंसियां इस मामले की जांच में लगी हुई हैं। ये धमकियां बच्चों, अभिभावकों और स्कूल कर्मचारियों को मानसिक रूप से प्रभावित कर रही हैं।’’
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ईमेल भेजने वाले द्वारा ‘वीपीएन’ का उपयोग मामले को सुलझाने के प्रयासों को महत्वपूर्ण रूप से बाधित कर रहा है।
भाषा खारी