भारतीय टेबल टेनिस को लगातार चैंपियन देने के लिए एक व्यवस्था की जरूरत: शरत कमल
सुधीर
- 27 Jul 2025, 11:36 AM
- Updated: 11:36 AM
(हिमांक नेगी)
नयी दिल्ली, 27 जुलाई (भाषा) अनुभवी टेबल टेनिस खिलाड़ी शरत कमल का मानना है कि भारतीय टेबल टेनिस को युवा प्रतिभाओं को सीनियर स्तर पर सफलतापूर्वक आगे बढ़ने में मदद करने के लिए एक सुस्पष्ट प्रणाली की आवश्यकता है।
हालांकि हाल के परिणाम उत्साहजनक रहे हैं लेकिन 43 वर्षीय शरत का कहना है कि दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा देने वाली प्रणाली के बिना केवल प्रतिभा ही पर्याप्त नहीं है।
शरत ने ‘पीटीआई वीडियो’ को बताया, ‘‘हम एक-दो सितारों पर निर्भर नहीं रह सकते, हमें एक ऐसी संरचना की आवश्यकता है जो लगातार चैंपियन तैयार करे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘युवा प्रतिभाएं तो बहुत हैं लेकिन मुख्य समस्या बदलाव के दौर की है... जब तक हम सही व्यवस्था नहीं अपनाते, हम जूनियर चैंपियन को सीनियर चैंपियन बनते नहीं देख पाएंगे।’’
भारत ने 2024 एशियाई चैंपियनशिप में तीन कांस्य पदक जीते जिसमें आयहिका और सुतीर्था मुखर्जी ने महिला युगल में ऐतिहासिक पहला पदक जीता जबकि महिला टीम स्पर्धा में भी पहली बार कांस्य पदक मिला।
पेरिस ओलंपिक में महिला टीम पहली बार क्वार्टर फाइनल में पहुंची और प्री क्वार्टर फाइनल में दुनिया की चौथे नंबर की रोमानियाई टीम को हराया।
एकल मुकाबलों में मनिका बत्रा और श्रीजा अकुला दोनों ही प्री क्वार्टर फाइनल में जगह बनाने में सफल रहीं।
शरत ने कहा, ‘‘असली चुनौती निरंतरता की है। एक पदक को दो होना चाहिए और उसे पांच या छह तक बढ़ाना होगा।’’
शरत के अनुसार यह निरंतरता एक व्यवस्थित योजना से आएगी जिसकी शुरुआत 11 साल की उम्र के बच्चों से होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘2036 को देखते हुए हमें उन बच्चों से शुरुआत करनी होगी जो अभी 11 या 12 साल के हैं। हम सभी इसी दिशा में प्रयास कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि हम जल्द ही एक व्यवस्थित बदलाव देखेंगे।’’
भारतीय ओलंपिक संघ के खिलाड़ी आयोग के उपाध्यक्ष शरत ने नए खेल विधेयक की भी प्रशंसा की जिसमें खिलाड़ियों को तवज्जो देने वाला ढांचा है।
विधेयक के डोपिंग रोधी प्रावधानों पर शरत ने एक बेहद जरूरी बदलाव की ओर इशारा किया।
उन्होंने कहा, ‘‘इस बार सिर्फ खिलाड़ियों को ही सजा नहीं मिलेगी बल्कि कोच और अन्य संलिप्त लोगों को भी सजा मिलेगी। अक्सर खिलाड़ी ही पकड़ा जाता है जबकि अन्य बिना जांच के चलते रहते हैं। अब यह बदलाव होगा।’’
भाषा