न्यायालय ने कुत्तों के काटने से रेबीज की घटनाओं संबंधी एक खबर पर स्वत: संज्ञान लिया
गोला प्रशांत
- 28 Jul 2025, 04:35 PM
- Updated: 04:35 PM
नयी दिल्ली, 28 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कुत्तों के काटने से रेबीज होने की घटनाओं के बारे में मीडिया में आयी एक खबर पर सोमवार को स्वत: संज्ञान लिया और कहा कि खबर में कुछ ‘‘चिंताजनक और परेशान करने वाले आंकड़े हैं।’’
न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने अंग्रेजी दैनिक अखबार ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के दिल्ली संस्करण में सोमवार को प्रकाशित समाचार को ‘‘बहुत परेशान करने वाला और चिंताजनक’’ बताया।
यह समाचार रिपोर्ट राष्ट्रीय राजधानी में एक पागल आवारा कुत्ते के हमले में छह वर्षीय लड़की की मौत के बारे में थी।
खबर पर स्वत: संज्ञान लेते हुए पीठ ने कहा, ‘‘समाचार में कुछ चिंताजनक और परेशान करने वाले आंकड़े और तथ्य हैं।’’
इसमें कहा गया है कि हर दिन शहर और इसके बाहरी इलाकों में कुत्तों के काटने की सैकड़ों घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे रेबीज हो रहा है और अंततः बच्चे एवं बुजुर्ग इस भयानक बीमारी का शिकार हो रहे हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘हम इस समाचार पर स्वत: संज्ञान लेते हैं।’’
उसने उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री को इसे जनहित में स्वत: संज्ञान याचिका के रूप में दर्ज करने को कहा।
उसने कहा, ‘‘उचित आदेश के लिए इस निर्णय को समाचार रिपोर्ट के साथ भारत के प्रधान न्यायाधीश के समक्ष पेश किया जाए।’’
उच्चतम न्यायालय ने नोएडा में आवारा कुत्तों को खाना देने पर परेशान किए जाने का आरोप लगाने वाली एक याचिका पर 15 जुलाई को सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से पूछा, ‘‘आप उन्हें अपने घर में खाना क्यों नहीं देते हैं?’’
न्यायालय ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, ‘‘क्या हमें इन बड़े दिल वाले लोगों के लिए हर गली, हर सड़क खुली छोड़ देनी चाहिए? इन जानवरों के लिए तो पूरी जगह है, लेकिन इंसानों के लिए कोई जगह नहीं है। आप उन्हें अपने घर में खाना क्यों नहीं देते? आपको कोई नहीं रोक रहा है।’’
यह याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मार्च 2025 के आदेश से संबंधित है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसे परेशान किया जा रहा है और वह पशु जन्म नियंत्रण नियमों के अनुसार सड़कों पर रहने वाले कुत्तों को भोजन देने में असमर्थ है।
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