उच्चतम न्यायालय ने आजम खान के बेटे अब्दुल्ला से जुड़े दो मामलों की सुनवाई पर रोक लगाई
खारी माधव
- 29 Jul 2025, 01:01 PM
- Updated: 01:01 PM
नयी दिल्ली, 29 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें रामपुर की सांसद-विधायक अदालत को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक आजम खान के बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान से जुड़े दो मामलों में सुनवाई आगे बढ़ाने को कहा गया था।
न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने अब्दुल्ला द्वारा दायर एक अपील पर उत्तर प्रदेश सरकार को भी नोटिस जारी किया।
उच्च न्यायालय ने 23 जुलाई को अब्दुल्ला आजम की उन दो याचिकाओं को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की सुनवाई को चुनौती दी थी। पहला मामला अब्दुल्ला के कथित फर्जी पासपोर्ट और दूसरा मामला उनके दो पैन कार्ड प्राप्त करने से संबंधित है।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, मेरे विचार से यह आवेदन निराधार है और खारिज किए जाने योग्य है।’’
अब्दुल्ला ने दोनों मामलों को लेकर उच्च न्यायालय में अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं और रामपुर की सांसद/विधायक अदालत में चल रहे मुकदमों की पूरी आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने का अनुरोध किया।
भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने 30 जुलाई 2019 को रामपुर में अब्दुल्ला के खिलाफ के खिलाफ एक मामला दर्ज कराया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि अब्दुल्ला ने गलत जन्मतिथि बताकर कर पासपोर्ट हासिल किया जो धोखाधड़ी और पासपोर्ट अधिनियम का उल्लंघन है।
शिकायत के अनुसार अब्दुल्ला को 10 जनवरी 2018 को पासपोर्ट जारी किया गया। पासपोर्ट में जन्मतिथि 30 सितंबर 1990 दर्ज है, जबकि उनके शैक्षिक प्रमाणपत्रों में जन्मतिथि एक जनवरी 1993 बताई गई है।
सक्सेना ने छह दिसंबर 2019 को रामपुर के सिविल लाइंस थाने में अब्दुल्ला और उनके पिता आजम खान के खिलाफ एक प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी।
सक्सेना ने आरोप लगाया कि अब्दुल्ला ने 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान अपने चुनावी हलफनामे में गलत पैन नंबर दिया था। सक्सेना ने आजम खान पर धोखाधड़ी करने और झूठा होने का भी आरोप लगाया और दावा किया कि सपा के वरिष्ठ नेता ने अपने बेटे को चुनाव लड़ाने के लिए धोखाधड़ी से दो पैन कार्ड बनवाए।
उनके अनुसार, अब्दुल्ला ने निर्वाचन आयोग को दिए हलफनामे में कथित तौर पर यह तथ्य छिपाया। अब्दुल्ला ने हलफनामे में एक पैन नंबर दिखाया, लेकिन अपने आयकर रिटर्न दस्तावेजों में दूसरा नंबर इस्तेमाल किया।
भाषा खारी