श्वेत क्रांति 2.0 के तहत पांच साल में दूध खरीद 50 प्रतिशत बढ़ाने का लक्ष्य: अमित शाह
रमण प्रेम
- 05 Aug 2025, 10:45 PM
- Updated: 10:45 PM
नयी दिल्ली, पांच अगस्त (भाषा) केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि सरकार सहकारिता-आधारित 'श्वेत क्रांति 2.0' के तहत अगले पांच वर्षों में दूध की खरीद में 50 प्रतिशत वृद्धि के लिए काम कर रही है।
शाह ने संसदीय सलाहकार समिति की दूसरी बैठक की अध्यक्षता करते हुए सहकारी क्षेत्र के लिए सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं की रूपरेखा पेश की। इसमें दो लाख बहुउद्देशीय सहकारी समितियों की स्थापना का लक्ष्य भी शामिल है।
इस पहल के तहत अब तक 35,395 नई सहकारी समितियों का गठन किया जा चुका है।
शाह ने कहा, ‘‘सहकारिता मंत्रालय सहकारी समितियों को जीवंत और सफल व्यावसायिक इकाइयों में बदलने के लिए प्रतिबद्ध है। सहकारी क्षेत्र भूमिहीन और गरीब लोगों की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।’’
उन्होंने कहा कि श्वेत क्रांति 2.0 के तहत डेयरी क्षेत्र को मजबूत करने में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। कुल 15,691 नई डेयरी सहकारी समितियों का पंजीकरण हुआ है, जबकि 11,871 मौजूदा समितियों को मजबूत किया गया है।
एक बयान के मुताबिक, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और 15 राज्यों के 25 दुग्ध संघों ने डेयरी सहकारी समितियों में बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं।
सहकारिता मंत्री ने इस क्षेत्र के विकास के लिए स्थापित राष्ट्रीय स्तर की तीन सहकारी समितियों का भी उल्लेख किया।
राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक लि. (एनसीओएल) किसानों के जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण, ब्रांडिंग, पैकेजिंग और विपणन का कार्य करती है।
राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लि. (एनसीईएल) किसानों के उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्यात करने की सुविधा प्रदान करती है जबकि भारतीय बीज सहकारी समिति लि. (बीबीएसएसएल) भारत के पारंपरिक बीजों के संरक्षण, भंडारण और उत्पादन पर केंद्रित है।
इस दौरान शाह ने कहा कि मोदी सरकार पारंपरिक बीजों के लिए छोटे किसानों के साथ अनुबंध करेगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें इन पहलों का लाभ मिले।
मंत्रालय ने पिछले चार वर्षों में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स), डेयरी, मत्स्य पालन, सहकारी बैंकों, चीनी सहकारी समितियों और शासन प्रणालियों को मजबूत करने के लिए 100 से अधिक पहल की हैं। इनमें डिजिटल सुधार, नीतिगत बदलाव, वित्तीय सहायता और संस्थागत क्षमता निर्माण शामिल हैं।
बैठक के दौरान सहकारिता मंत्रालय ने पिछले चार साल में की गई विभिन्न पहलों पर समिति को जानकारी दी।
भाषा रमण