आपदाग्रस्त धराली में दो शव बरामद, 190 लोग सुरक्षित निकाले गए, कई लापता
जोहेब
- 06 Aug 2025, 10:54 PM
- Updated: 10:54 PM
उत्तरकाशी, छह अगस्त (भाषा) उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में आपदाग्रस्त धराली गांव में बचाव दलों ने बुधवार को दो शव बरामद किए और 190 लोगों को बाहर निकाल लिया। हालांकि अंधेरा होने के साथ ही मलबे में फंसे लोगों को लेकर चिंताएं बढ़ गईं।
मंगलवार दोपहर बाद बादल फटने से खीरगंगा नदी में आयी भीषण बाढ़ में आधा धराली गांव तबाह हो गया। उत्तराखंड सरकार ने कहा कि हादसे में चार व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी।
प्रदेश के आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि बुधवार को दो शव बरामद किये गये तथा 15 लोग लापता हैं।
देहरादून के सहस्त्रधारा हेलीपैड पर दो चिनूक हेलीकॉप्टर पहुंच गए हैं जिनमें एनडीआरएफ के 50 जवानों को बचाव उपकरणों के साथ घटनास्थल पर भेजा जाएगा। भारतीय वायुसेना के पांच एएन-32 हेलीकॉप्टर भी घटनास्थल पर जाने के लिए हेलीपैड पर पहुंच गए हैं।
घटनास्थल पर कई टन मलबा फैला हुआ है और लगातार बारिश के बीच आईटीबीपी, सेना और एसडीआरएफ के जवान उसमें दबे लोगों की तलाश में जुटे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष फरवरी में माणा में हुए हिमस्खलन में बचाव कार्यों में मदद करने वाली सेना की आईबेक्स ब्रिगेड लापता लोगों की तलाश के लिए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और खोजी कुत्तों की मदद लेने की तैयारी कर रही है।
एनडीआरएफ की दो और टीम धराली जाने के लिए रवाना हो चुकी हैं लेकिन लगातार भूस्खलन के कारण ऋषिकेश-उत्तरकाशी राजमार्ग के अवरुद्ध होने से वहां पहुंच नहीं पा रही हैं।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) ऑपरेशन मोहसिन शहीदी ने बताया कि एनडीआरएफ की दो टीमों को देहरादून से हवाई मार्ग से ले जाया जाना है लेकिन खराब मौसम इसमें अड़चन पैदा कर रहा है।
सुबह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बातचीत करके धराली में आयी प्राकृतिक आपदा और वहां जारी बचाव एवं राहत कार्यों की जानकारी ली। उन्होंने उन्हें केंद्र सरकार की ओर से हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
मोदी ने संसद भवन में उत्तराखंड के सांसदों अनिल बलूनी, माला राज्य लक्ष्मी शाह, त्रिवेंद्र सिंह रावत और अजय भट्ट से भी मुलाकात की। सांसदों ने मोदी को धराली की वर्तमान स्थिति और वहां जार बचाव कार्यों के बारे में जानकारी दी।
धामी ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण करके स्थिति का जायजा लिया। बाद में उन्होंने प्रभावितों से मुलाकात की और उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिलाया।
मुख्यमंत्री ने ‘पीटीआई वीडियोज़’ से कहा, “190 लोगों को बाहर निकाला गया है। सभी सुरक्षित हैं और सुरक्षित स्थानों पर हैं।”
उन्होंने कहा, “घायलों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है जबकि कुछ को सैन्य शिविरों और उच्च स्वास्थ्य केंद्रों में भेजा गया है।”
धराली, देहरादून से लगभग 140 किलोमीटर दूर है और आमतौर पर सड़क मार्ग से वहां पहुंचने में पांच घंटे लगते हैं।
धामी ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, “धराली में राहत एवं बचाव कार्यों की सघन निगरानी के लिए आज उत्तरकाशी में ही प्रवास करूंगा। अधिकारियों के साथ बैठक करके बचाव आपरेशन की लगातार समीक्षा भी कर रहा हूं।”
उन्होंने कहा, “एसडीआएफ, एनडीआरएफ, सेना, आईटीबीपी एवं स्थानीय प्रशासन पूरी तत्परता के साथ बचाव अभियान चला रहे हैं।”
भूस्खलन से धराली जाने वाली सड़कें अवरुद्ध हैं, जिससे वहां फंसे लोगों तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है।
उत्तरकाशी जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, मलबे से बरामद हुए शवों में से एक की पहचान धराली के रहने वाले 32 वर्षीय आकाश पंवार के रूप में हुई है।
लापता लोगों में निकटवर्ती हर्षिल में प्रभावित हुए सेना के एक शिविर के 11 सैनिक भी शामिल हैं। केरल के रहने वाले पर्यटकों का 28 सदस्यीय दल भी आपदा में लापता बताया जा रहा है।
एक लापता व्यक्ति के रिश्तेदार ने बताया, “उन्होंने बताया था कि उसी दिन सुबह साढ़े आठ बजे वह उत्तरकाशी से गंगोत्री के लिए रवाना हो रहे हैं। जब से वे गए, उनसे हमारा संपर्क नहीं हो पा रहा है।”
धराली गंगोत्री धाम से लगभग 20 किलोमीटर पहले पड़ता है और यात्रा का प्रमुख पड़ाव है।
एक व्यक्ति ने 'पीटीआई वीडियो' को बताया कि वह मंगलवार दोपहर दो बजे से अपने भाई और उसके परिवार से संपर्क नहीं कर पाया है।
उसने कहा, “मेरा छोटा भाई, उसकी पत्नी और बेटा है। धराली में हमारा एक होटल और एक घर था। सब कुछ बह गया। मैंने उनसे आखिरी बार कल दोपहर दो बजे बात की थी। मुख्यमंत्री ने मुझे आश्वासन दिया है कि अगर मौसम ठीक रहा तो बृहस्पतिवार को उनकी तलाश के लिए एक हेलीकॉप्टर भेजा जाएगा।”
उत्तरकाशी में जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र के एक अधिकारी ने बताया कि गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग विभिन्न स्थानों पर अवरुद्ध है और 200 से अधिक बचाव कर्मियों की एक संयुक्त टीम भटवाड़ी में मार्ग खुलने का इंतजार कर रही है।
उन्होंने बताया कि गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर गंगनानी से आगे लिमच्छा गाड़ बरसाती नाले पर बना एक पुल बाढ़ में बह गया, जिससे धराली जा रही बचाव कर्मियों की एक टीम रास्ते में ही फंस गयी है।
धामी ने दिन में उत्तरकाशी आपदा नियंत्रण कक्ष से राहत एवं बचाव कार्यों की गहन समीक्षा की।
उन्होंने प्रदेश के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों और सेना के प्रतिनिधियों से भी स्थिति की जानकारी ली और उन्हें राहत कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाने के निर्देश दिए।
धामी ने ‘पीटीआई-वीडियो’ को बताया, ‘‘बचाव कार्य तेजी से चलाया जा रहा है। सेना, आईटीबीपी और एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंच गयी है। करीब 70-80 लोगों को बचा लिया गया है...एक सड़क अवरुद्ध है। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी घटनास्थल की ओर रवाना हो चुके हैं। यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है क्योंकि अब भी वहां बारिश हो रही है।’’
धामी ने कहा कि भोजन और दवाइयों की व्यवस्था की गयी है, राशन बांटने और उस पर निगरानी के लिए तीन पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारियों समेत 160 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के तीन वरिष्ठ अधिकारियों को राहत और बचाव कार्य के लिए नोडल अधिकारी बनाया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमारे लिए एक-एक जान कीमती है।’’
प्रदेश के गृह सचिव शैलेश बगौली ने बताया कि आईटीबीपी, बीआरओ और एसडीआरएफ के 100 से ज़्यादा जवान घटनास्थल पर बचाव अभियान में लगे हुए हैं तथा कई और कर्मी जल्द ही इसमें शामिल होने वाले हैं।
फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए भारतीय सेना ने एमआई-17 औैर चिनूक हेलीकॉप्टरों को तैयार रखा हुआ है जो मौसम साफ होते ही उड़ान भरेंगे।
स्थानीय लोगों के अनुसार, बाढ़ में 50 से अधिक लोग लापता हो सकते हैं क्योंकि वहां जारी हर दूध मेले में आसपास के लोग भी वहां आए हुए थे और मलबे के अचानक आने से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने का मौका ही नहीं मिला।
इस बीच, विशेषज्ञों का कहना है कि मंगलवार को उत्तरकाशी में हुई बारिश की मात्रा इतनी नहीं थी कि उसे “बादल फटने” की श्रेणी में रखा जा सके।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “हमारे पास उपलब्ध आंकड़े बादल फटने की घटना की ओर इशारा नहीं करते।”
उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी में मंगलवार को 27 मिलीमीटर बारिश हुई, “जो कि बादल फटने की घटना या इतनी विनाशकारी बाढ़ के लिहाज से बहुत कम है।”
‘14 राज रिफ’ के कमांडिंग अधिकारी कर्नल हर्षवर्धन 150 सैनिकों की अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर राहत व बचाव अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं।
सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि लापता लोगों में 11 सैनिक भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सैनिकों के लापता होने और बेस के प्रभावित होने के बावजूद टीम पूरे साहस और दृढ़ संकल्प के साथ काम कर रही है।
अधिकारियों ने यहां बताया कि आपदा में हुए जानमाल के भारी नुकसान को देखते हुए राहत एवं बचाव कार्यों तथा क्षतिग्रस्त परिसंपत्तियों की तत्काल मरम्मत के लिए राज्य आपदा मोचन निधि से 20 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गयी है।
प्रदेश की स्वास्थ्य महानिदेशक सुनीता टम्टा ने पांच विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम को तत्काल उत्तरकाशी पहुंचने के निर्देश दिए हैं ताकि प्रभावितों को समय से उचित इलाज उपलब्ध कराया जा सके। इन डॉक्टरों में एक जनरल शल्यचिकित्सक और दो हड्डीरोग शल्यचिकित्सक शामिल हैं।
आपदा के मद्देनजर देहरादून और ऋषिकेश के प्रमुख अस्पतालों में आईसीयू सहित बिस्तर आरक्षित कर दिए गए हैं। प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव आर. राजेश कुमार ने बताया कि देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज, कोरोनेशन अस्पताल और ऋषिकेश एम्स में 280 जनरल बेड तथा 90 आईसीयू बेड आरक्षित कर दिए गए हैं ताकि आपदाग्रस्त क्षेत्र से लाए जाने वाले घायलों को तत्काल उपचार मिल सके।
कुमार ने बताया कि आपदा प्रभावित लोगों में मानसिक तनाव और अवसाद की संभावना को देखते हुए धराली में तीन मनोचिकित्सकों को भी तैनात किया गया है जो राहत शिविरों में भी जाकर लोगों से संवाद करेंगे।
उधर, प्रदेश में विभिन्न जगहों पर बारिश हो रही है जिससे नदियां और नाले उफान पर हैं। हरिद्वार में गंगा नदी खतरे का निशान पार कर गयी है। अधिकारियों ने बताया कि पहाड़ों और मैदानी इलाकों में लगातार बारिश होने से हरिद्वार में गंगा 294 मीटर के अपने खतरे के निशान से आधा मीटर उपर बह रही है।
उन्होंने बताया कि गंगा के किनारे बाढ़ चौकियों को सतर्क कर दिया गया है तथा लोगों से फिलहाल नदी से दूरी बनाए रखने की अपील की गयी है।
राजाजी बाघ अभयारण्य की मोतीचूर रेंज से गुजरने वाली रेलवे पटरी पर मंगलवार देर शाम भूस्खलन हो गया, जिससे हरिद्वार से ऋषिकेश और देहरादून की ओर जाने वाली ट्रेनों की आवाजाही ठप हो गई।
अधिकारियों ने बताया कि यात्रियों के लिए हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर एक हेल्प डेस्क स्थापित किया गया है।
उधर, पिथौरागढ़ जिले के लिपुलेख दर्रे के जरिए कैलाश—मानसरोवर की यात्रा पर जा रहे श्रद्धालुओं के चौथे जत्थे को गुंजी के रास्ते में भूस्खलन होने के कारण धारचूला में ही रोक लिया गया।
भाषा दीप्ति