राज्यसभा में एसआईआर के मुद्दे पर हंगामा, बैठक दिन भर के लिए स्थगित
मनीषा माधव
- 08 Aug 2025, 12:40 PM
- Updated: 12:40 PM
नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण शुक्रवार को राज्यसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर बारह बज कर तीन मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
हंगामे की वजह से उच्च सदन में आज भी शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो पाया।
एक बार के स्थगन के बाद दोपहर बारह बजे बैठक शुरू होने पर सदन में विपक्षी सदस्यों ने एसआईआर के मुद्दे पर हंगामा पुन: शुरू कर दिया और इस पर चर्चा की मांग करते हुए नारे लगाने लगे। कुछ सदस्य अपने स्थानों से उठ कर आगे आ गए।
कुछ सदस्यों ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया। इस पर पीठासीन अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि प्रश्नकाल के दौरान व्यवस्था का प्रश्न कैसे उठाया जा सकता है। उन्होंने सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और प्रश्नकाल चलने देने का अनुरोध किया।
सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने कार्यवाही को सोमवार 11 अगस्त को पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
इससे पहले बैठक शुरू होने पर ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की 83 वर्षगांठ के अवसर पर देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी गई। यह आंदोलन 1942 में महात्मा गांधी की अगुवाई में शुरू किया गया था और पांच साल बाद, 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ था।
स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के बाद आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए गए।
उपसभापति हरिवंश ने बताया कि उन्हें विभिन्न मुद्दों पर आज के लिए नियत कामकाज स्थगित कर नियम 267 के तहत चर्चा करने के लिए 20 नोटिस मिले हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ध्यान देने की बात है कि सदस्य विभिन्न विषयों पर चर्चा के लिए बार-बार कार्य स्थगन नोटिस दे रहे हैं। आज मिले नोटिसों में पांच अलग-अलग मुद्दों पर कार्य स्थगित कर चर्चा की मांग की गई है। प्रतीत होता है कि नियम 267 के तहत नोटिस सदन में अव्यवस्था उत्पन्न करने के उपकरण के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे हैं।’’
उपसभापति ने कहा कि एक ही पार्टी के विभिन्न सदस्य विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए नोटिस देते हैं और इतने नोटिस पर एक साथ कैसे चर्चा हो सकती है।
उन्होंने नियम 267 तथा नोटिस के संबंध में उच्च सदन के पूर्व सभापतियों हामिद अंसारी और एम वेंकैया नायडू द्वारा पूर्व में दी गई व्यवस्था का जिक्र करते हुए बताया कि ये नोटिस आसन की ओर से अस्वीकार कर दिए गए हैं।
विपक्षी सदस्यों ने इस पर विरोध जताते हुए हंगामा शुरू कर दिया। हरिवंश ने सदस्यों से शांत रहने और कार्यवाही चलने देने की अपील की।
आसन की अनुमति से तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि विपक्षी सदस्य सोमवार को एसआईआर के मुद्दे पर ही नोटिस देंगे और उस पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सदस्यों का लोकतांत्रिक अधिकार है कि हम मुद्दे उठाएं।
माकपा के जॉन ब्रिटॉस ने राज्यसभा की कार्य संचालन नियमावली का हवाला देते हुए कहा कि नियम 267 में स्पष्ट कहा गया है कि सदस्य कैसे अपने मुद्दे इस नियम के तहत उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि या तो इस नियम के तहत चर्चा की अनुमति दी जाए या इस नियम को समाप्त कर दिया जाए।
कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने कहा कि पूरा विपक्ष चाहता है कि सदन में शांति से कामकाज चले और विपक्ष की बात सुनी जानी चाहिए।
द्रमुक के तिरुचि शिवा ने कहा कि सदन की कार्यवाही से संबंधित नियम स्पष्ट हैं। उन्होंने कहा ‘‘हर दिन आप बताते हैं कि नोटिस खारिज किए गए। आप साफ-साफ कारण बता दें कि क्यों नोटिस खारिज किए गए।’’
उन्होंने कहा कि नियम सिर्फ कागज़ों तक सीमित नहीं होने चाहिए, उन्हें लागू भी किया जाना चाहिए।
हरिवंश ने कहा कि उन्होंने पहले दी गई व्यवस्था में स्पष्ट उल्लेख किया था कि नोटिस क्यों अस्वीकार किए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान सत्र में सदस्यों के पास आज तक 195 तारांकित प्रश्न, शून्यकाल के तहत लोक महत्व से जुड़े 195 मुद्दे तथा विशेष उल्लेख के जरिये 195 महत्वपूर्ण मुद्दे उठाने का अवसर था लेकिन अब तक केवल 13 तारांकित प्रश्न, शून्यकाल के तहत सिर्फ पांच मुद्दे तथा विशेष उल्लेख के जरिये मात्र 17 मुद्दे ही उठाए गए हैं।
उपसभापति ने कहा कि सदन में लगातार व्यवधान होने की वजह से वर्तमान सत्र में आज तक 56 घंटे 49 मिनट का समय बर्बाद हो चुका है।
इस बीच विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा और उनमें से कुछ सदस्य अपने स्थान से आगे आकर नारेबाजी कर रहे थे। हरिवंश ने सदस्यों से शून्यकाल चलने देने की अपील की। अपनी बात का असर न होते देख उन्होंने 11 बजकर बीस मिनट पर बैठक बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हुआ है और तब से आज तक विपक्षी सदस्यों के हंगामे की वजह से उच्च सदन में एक बार भी शून्यकाल तथा प्रश्नकाल नहीं हो पाया है।
पिछले सप्ताह मंगलवार और बुधवार को ऑपरेशन सिंदूर पर सदन में चर्चा हुई जिसका गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया। बुधवार को सदन में, 'समुद्र द्वारा माल वहन विधेयक, 2025' पारित हुआ। बृहस्पतिवार को ‘तटीय पोत परिवहन विधेयक 2025’ को सदन में पारित किया गया। दोनों ही विधेयकों को बिहार में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों के विरोध और नारेबाजी के बीच ध्वनिमत से मंजूरी दी गई।
भाषा
मनीषा