शीर्ष अदालत ने झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को लंबित फैसले लिखने के लिए छुट्टी पर जाने को कहा
देवेंद्र दिलीप
- 08 Aug 2025, 09:45 PM
- Updated: 09:45 PM
नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने एक अजीबोगरीब घटनाक्रम में, शुक्रवार को झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को लंबित फैसले लिखने के लिए अवकाश लेने का सुझाव दिया, क्योंकि न्यायालय ने पाया कि ऐसे दर्जनों मामले हैं, जिनमें फैसला नहीं सुनाया गया है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने न्यायाधीशों से कहा कि वे अपनी स्वीकृत छुट्टियां लें और लंबित कार्य पूरा करें।
पीठ ने झारखंड उच्च न्यायालय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत सिन्हा से कहा, ‘‘61 मामले लंबित हैं। झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों से कहिए कि वे 10-12 सप्ताह की अपनी स्वीकृत छुट्टियां लेकर फैसले लिखें। आजकल न्यायाधीशों के पास काफी छुट्टियां बची हैं। बस इन मामलों से छुटकारा पा लीजिए। लोगों को फैसलों की जरूरत है, उन्हें न्यायशास्त्र या किसी और चीज की चिंता नहीं है। राहत देने से इनकार किया जाए या नहीं, इस पर तर्कपूर्ण आदेश दें।’’
सिन्हा 31 जनवरी तक के आंकड़ों का हवाला दे रहे थे और उन्होंने कहा कि तब से कई मामलों में आदेश पारित किए गए हैं।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि 61 मामले बड़ी संख्या है और उन्होंने उनसे कहा कि वे अदालत के सुझाव को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तक पहुंचाएं।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, ‘‘यह हमारा अनुरोध है। बस इसे कीजिए। हमारे सुझाव को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तक पहुंचाइए।’’
पीठ ने आदेश में कहा, ‘‘उच्च न्यायालय के न्यायाधीश तत्काल कदम उठाएंगे। मामले को तीन महीने बाद आगे के विचार के लिए रखा जाएगा। उस समय तक आवश्यक कार्य पूरा कर लिया जाए।’’
शीर्ष अदालत ने यह आदेश उन याचिकाओं पर दिया जिनमें झारखंड के दूरदराज के आदिवासी क्षेत्रों के छात्रों ने होमगार्ड की नियुक्तियों के मामलों में 2023 से फैसला नहीं सुनाए जाने की शिकायत की थी।
हालांकि, सिन्हा ने कहा कि उच्च न्यायालय ने छात्रों के मामले में आदेश सुना दिया है।
झारखंड उच्च न्यायालय वर्षों से फैसले नहीं सुनाने के कारण उच्चतम न्यायालय की जांच के दायरे में आ गया है, विशेषकर मृत्युदंड और आजीवन कारावास समेत आपराधिक मामलों में।
उच्चतम न्यायालय ने 16 मई को उच्च न्यायालय से उन लंबित मामलों को लेकर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था, जिनमें आपराधिक और दीवानी दोनों मामलों में 31 जनवरी को या उससे पहले फैसला सुरक्षित रखा गया था।
छात्रों ने शिकायत की थी कि उनके मामले की अंतिम सुनवाई छह अप्रैल, 2023 को हुई थी, लेकिन कोई फैसला नहीं सुनाया गया।
अधिवक्ता वान्या गुप्ता के माध्यम से दायर याचिकाओं के अनुसार, होमगार्ड पदों के अभ्यर्थियों ने अपने मामलों में फैसला सुनाने के लिए उच्च न्यायालय को निर्देश देने का अनुरोध किया है।
याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय का रुख तब किया, जब झारखंड सरकार ने 2017 में विज्ञापित होमगार्ड के 1,000 से अधिक पदों के लिए भर्ती को रद्द कर दिया, जबकि उनके नाम सूची में थे।
उच्च न्यायालय ने 2021 से मामले की सुनवाई करने के बाद 70 से अधिक अभ्यर्थियों द्वारा दायर याचिकाओं को छह अप्रैल, 2023 को आदेश के लिए सुरक्षित रख लिया था।
भाषा
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