एम्स-दिल्ली के शोधकर्ताओं ने ई-सिगरेट पर प्रतिबंध पर पुनर्विचार का आह्वान किया
नोमान माधव
- 09 Aug 2025, 06:17 PM
- Updated: 06:17 PM
(पायल बनर्जी)
नयी दिल्ली, नौ अगस्त (भाषा) दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के शोधकर्ताओं ने भारत में ई-सिगरेट पर लगे प्रतिबंध की पुनः समीक्षा करने का सुझाव दिया है।
ई-सिगरेट बैटरी से चलते हैं और इन्हें ‘इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम’ (ईएनडीएस) भी कहा जाता है। भारत ने 2019 में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम (पीईसीए) के जरिए ऐसे उपकरणों की बिक्री, भंडारण और निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया।
वर्तमान साक्ष्यों के आलोक में इस प्रतिबंध के प्रभावों की पड़ताल करते हुए, एम्स-दिल्ली के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक शंकर और डॉ. वैभव साहनी ने इस महीने ‘जेसीओ ग्लोबल ऑन्कोलॉजी’ में प्रकाशित एक लेख में कहा कि ऐसे उत्पादों पर पूर्ण प्रतिबंध "मांग को अवैध विपणन की ओर ले जा सकता है (और ले भी चुका है)।
शोधकर्ताओं ने कहा कि भारत में कुछ राज्यों में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध के कारण कुछ भयावह परिणाम देखने को मिले हैं, जिसके कारण अवैध व्यापार बढ़ा है और नकली उत्पादों के सेवन से मौतें हुई हैं।
डॉक्टरों ने कहा कि उत्पादों पर पूर्ण प्रतिबंध से प्रशासन को राजस्व की हानि भी हो सकती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रतिबंध के बावजूद, ईएनडीएस स्थानीय दुकानों और ऑनलाइन मंचों पर बिक्री के लिए उपलब्ध हैं, जो बिक्री से पहले खरीदार की उम्र की पुष्टि भी नहीं करते हैं और यहां तक कि इसे घर पर पहुंचाने की पेशकश करते हैं।
एम्स-दिल्ली के डॉक्टरों ने बताया कि ई-सिगरेट लोगों को धूम्रपान छोड़ने में मदद करती है, जैसा कि धूम्रपान छोड़ने की बढ़ी हुई दरों के आंकड़ों से पता चलता है। इस बात के भी पर्याप्त प्रमाण हैं कि निकोटीन वाली ई-सिगरेट से धूम्रपान छोड़ने की संभावना, बिना निकोटीन वाली ई-सिगरेट से ज्यादा होती है।
डॉक्टरों ने यह भी कहा कि जिन ई-सिगरेट में निकोटीन होता है, वे बिना किसी इलाज के या सामान्य देखभाल की तुलना में ज्यादा फायदेमंद साबित हुई हैं, लेकिन, इसमें कुछ गलत जानकारी होने का खतरा हो सकता है।
डॉक्टरों ने सिफारिश की कि निश्चित रूप से, कम से कम ईएनडीएस से संबंधित संपूर्ण प्रतिबंध नीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता प्रतीत होती है।”
उन्होंने कहा कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि जनस्वास्थ्य से जुड़ी नीतियां आधुनिक और जानकारी पर आधारित बनी रहें, और जो लोग धूम्रपान छोड़ने के लिए सही मदद चाहते हैं, उन्हें उचित कानूनों के दायरे में वह मदद मिल सके।
एम्स-दिल्ली के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. शंकर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए कहा कि उपलब्ध साक्ष्यों से पता चलता है कि भारत में ईएनडीएस पर पूर्ण प्रतिबंध नीति पर पुनर्विचार की आवश्यकता है।
भाषा नोमान