धामी ने उत्तराखंड के 13 जिलों में चयनित 13 आदर्श संस्कृत ग्रामों की शुरुआत की
दीप्ति नोमान
- 10 Aug 2025, 08:21 PM
- Updated: 08:21 PM
देहरादून, 10 अगस्त (भाषा) संस्कृत को जनभाषा बनाने तथा उसका गौरव वापस दिलाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में चयनित 13 आदर्श संस्कृत ग्रामों की विधिवत शुरुआत की ।
इस मौके पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने देहरादून में भोगपुर गांव, टिहरी के मुखेम गांव, उत्तरकाशी के कोटगांव, रुद्रप्रयाग के बैंजी गांव, चमोली के डिम्मर गांव, पौड़ी के गोदा गांव, पिथौरागढ़ के उर्ग गांव, अल्मोड़ा के जैंती पाण्डेकोटा गांव, बागेश्वर के शेरी गांव, चंपावत के खर्ककार्की गांव, हरिद्वार के नूरपुर पंजनहेडी गांव , नैनीताल के पाण्डे गांव एवं ऊधमसिंहनगर के नगला तराई गांव की आदर्श संस्कृत ग्राम के रूप में शुरुआत की।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने विभिन्न संस्कृत ग्रामों के लोगों से डिजिटल माध्यम से संवाद भी किया।
उन्होंने इस मौके पर कहा कि राज्य सरकार प्रत्येक जिले में आदर्श संस्कृत ग्राम की स्थापना कर देववाणी संस्कृत को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य कर रही है ।
धामी ने कहा, “देवभूमि उत्तराखंड सदियों से देववाणी संस्कृत के अध्ययन और शोध का केंद्र रहा है । राज्य सरकार का प्रयास है कि देववाणी संस्कृत की पवित्र ज्योति को उत्तराखंड में प्रज्ज्वलित रखा जाए।”
मुख्यमंत्री ने कहा “आदर्श संस्कृत ग्रामों में लोग अपने दैनिक जीवन में संस्कृत का प्रयोग करेंगे जिससे देववाणी पुनः हमारे जीवन में बोलचाल, व्यवहार और संवाद का हिस्सा बन सकेगी।”
धामी ने कहा कि उत्तराखंड पहला राज्य है जो इस तरह की पहल से संस्कृत के संरक्षण एवं संवर्धन पर कार्य कर रहा है।
उन्होंने कहा, “संस्कृत भाषा हमारी संस्कृति, परंपरा, ज्ञान और विज्ञान का मूल आधार है जिसके आधार पर ही प्राचीन मानव सभ्यताओं का विकास संभव हो सका है ।”
धामी ने कहा कि वैदिक संस्कृति में वेदों, ग्रंथों, पुराणों और उपनिषदों की रचना संस्कृत में ही की गई है तथा संस्कृत भाषा अनादि और अनंत है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति में संस्कृत को आधुनिक और व्यावहारिक भाषा के रूप में स्थापित करने के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के विद्यालयों में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विशेष छात्रवृत्ति प्रदान कर रही है और संस्कृत भाषा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को संस्कृत छात्र प्रतिभा सम्मान योजना से सम्मानित किया जा रहा है।
प्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने संस्कृत को अपनी दूसरी आधिकारिक भाषा घोषित किया है ।
उन्होंने संस्कृत विश्वविद्यालय के आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए मुख्यमंत्री द्वारा 75 करोड़ रुपये दिए जाने पर भी आभार जताया।
भाषा दीप्ति