न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर प्राधिकारों को सड़कों से आवारा कुत्तों को पकड़ने का निर्देश दिया
आशीष सुरेश
- 11 Aug 2025, 07:40 PM
- Updated: 07:40 PM
(फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) आवारा कुत्तों के काटने से, विशेष रूप से बच्चों में होने वाली रेबीज की समस्या के कारण "अत्यंत गंभीर" स्थिति के मद्देनजर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर के प्राधिकारों को निर्देश दिया कि वे सभी आवारा कुत्तों को "शीघ्रतापूर्वक" उठाएं और उन्हें आश्रय स्थलों में रखें।
न्यायालय ने कहा कि समय के साथ कुत्तों के लिए आश्रय स्थलों की संख्या बढ़ानी होगी। न्यायालय ने दिल्ली के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे छह से आठ सप्ताह के भीतर लगभग 5,000 कुत्तों के लिए आश्रय स्थल बनाएं।
आवारा कुत्तों की समस्या को ‘‘अत्यधिक गंभीर’’ बताते हुए न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन ने कई निर्देश पारित किए और चेतावनी दी कि यदि कोई व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों को उठाने के काम में बाधा डालेगा, तो उसके खिलाफ अदालत अवमानना की कार्यवाही शुरू करेगी।
पीठ ने कहा, ‘‘यदि कोई व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों को उठाने और उन्हें पकड़ने के काम में बाधा डालता है और इसकी सूचना हमें दी जाती है, तो हम ऐसी किसी भी बाधा के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।’’
पीठ ने कहा कि क्या पशु कार्यकर्ता और ‘‘कथित पशु प्रेमी’’ उन बच्चों को वापस ला पाएंगे जो रेबीज का शिकार हो गए। अदालत ने कहा, ‘‘क्या वे उन बच्चों की जिंदगी वापस ला पाएंगे? जब स्थिति की मांग होती है, तो आपको कार्रवाई करनी ही होती है।’’
उच्चतम न्यायालय 28 जुलाई को स्वतः संज्ञान में लिये गए उस मामले की सुनवाई कर रहा था, जो राष्ट्रीय राजधानी में आवारा कुत्तों के काटने से रेबीज फैलने को लेकर था।
शीर्ष अदालत ने सोमवार को दिल्ली सरकार और गुरुग्राम, नोएडा एवं गाजियाबाद के नगर निकायों को सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर आश्रय स्थलों में रखने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने आदेश दिया कि कुत्तों के लिए आश्रय स्थलों में पर्याप्त कर्मचारी हों, जो कुत्तों के बधियाकरण और टीकाकरण के साथ-साथ उनकी देखभाल भी करें। इन केंद्रों पर सीसीटीवी निगरानी होगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी कुत्ता न तो छोड़ा जाए या न बाहर ले जाया जाए।
न्यायालय ने कहा कि चूंकि यह एक ‘‘क्रमिक प्रक्रिया’’ है, तो भविष्य में आश्रय स्थलों की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया जाता है।
न्यायालय ने कहा कि अधिकारी ‘‘जल्द से जल्द सभी इलाकों, विशेष रूप से शहर के संवेदनशील क्षेत्रों और बाहरी हिस्सों से आवारा कुत्तों को पकड़ना शुरू करें।’’
पीठ ने कहा, ‘‘यह कैसे करना है, यह अधिकारियों को देखना है। इसके लिए यदि उन्हें एक बल बनाना पड़े तो वे इसे जल्द से जल्द करें।’’
पीठ ने जोर दिया कि शहर और बाहरी इलाकों को आवारा कुत्तों से मुक्त करना ‘‘सबसे पहला और प्रमुख’’ कार्य है।
इस बीच, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से अनुरोध किया कि नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद के संबंधित अधिकारियों को भी अदालत के निर्देशों का पालन करने के लिए कहा जाए। पीठ ने इस सुझाव से सहमति जताई और कहा कि इस कार्य में कोई समझौता नहीं होना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि ये निर्देश केवल ‘‘वृहद जनहित’’ को ध्यान में रखते हुए जारी किए जा रहे हैं।
न्यायालय ने कहा, ‘‘शिशुओं और छोटे बच्चों को किसी भी कीमत पर आवारा कुत्तों से बचाना होगा, जिनके काटने से रेबीज होता है। कार्रवाई ऐसी होनी चाहिए, जिससे लोगों, चाहे वे छोटे हों या बड़े, के मन में यह विश्वास पैदा हो कि वे सड़कों पर आवारा कुत्तों के काटने के डर के बिना घूम सकते हैं।’’
शीर्ष अदालत ने इस प्रक्रिया में किसी भी भावनात्मक हस्तक्षेप से बचने की सलाह दी।
पीठ ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि रोजाना पकड़े गए और आश्रय स्थल में रखे गए आवारा कुत्तों का रिकॉर्ड रखा जाए और अगली सुनवाई में पेश किया जाए।
पीठ ने चेतावनी दी, ‘‘जो भी कुत्ता किसी भी इलाके से पकड़ा जाए, उसे किसी भी हालत में दोबारा सड़कों/सार्वजनिक स्थानों पर नहीं छोड़ा जाएगा, वरना यह पूरा अभियान व्यर्थ हो जाएगा।’’
अधिकारियों को एक हफ्ते के भीतर कुत्ते के काटने की घटनाओं की तत्काल सूचना देने के लिए एक हेल्पलाइन बनाने और शिकायत मिलने के चार घंटे के भीतर कुत्ते को पकड़ने का निर्देश दिया गया।
प्राधिकारियों को पीड़ितों को तुरंत चिकित्सीय सहायता उपलब्ध कराने के बारे में जानकारी देने के लिए भी निर्देश दिया गया।
न्यायालय ने कहा, ‘‘रेबीज वैक्सीन की उपलब्धता, खासकर असली वैक्सीन, एक बड़ी चिंता है। संबंधित अधिकारी, विशेषकर दिल्ली सरकार को यह विस्तृत जानकारी सार्वजनिक करनी होगी कि कहां-कहां वैक्सीन उपलब्ध है, कितना भंडार है और हर महीने कितने लोग इलाज के लिए आते हैं।’’
पीठ ने कहा कि इन निर्देशों का कड़ाई से पालन और क्रियान्वयन होना चाहिए।
मामले की सुनवाई छह सप्ताह बाद तय करते हुए पीठ ने अधिकारियों से वस्तु स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।
भाषा आशीष