एसआईआर मुद्दा : राज्यसभा में सत्ता पक्ष, विपक्ष के बीच तीखी नोंकझोंक
अविनाश सुभाष
- 11 Aug 2025, 07:42 PM
- Updated: 07:42 PM
नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) राज्यसभा में सोमवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच उस समय तीखी नोंकझोंक हुई, जब नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने निवार्चन आयोग के खिलाफ विपक्षी दलों के प्रदर्शन का मुद्दा उठाना चाहा, लेकिन उच्च सदन के नेता जेपी नड्डा ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यह सदन के मौजूदा कार्य से संबंधित नहीं है।
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मुद्दे पर उच्च सदन में हंगामा जारी रहा और बैठक पूर्वाह्न 11 बजे शुरू होने के कुछ देर बाद ही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी।
दोपहर दो बजे जब सदन की कार्यवाही फिर शुरू हुई तो मणिपुर बजट और मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025 पर चर्चा शुरू हुई।
चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्य सदन में आए और खरगे ने निर्वाचन आयोग तक अपने विरोध मार्च का मुद्दा उठाने की कोशिश की। इस पर सत्ता पक्ष की ओर से हंगामा शुरू हो गया और सदन के नेता नड्डा ने आसन से आग्रह किया कि ऐसी कोई बात कार्यवाही का हिस्सा नहीं बने जो मणिपुर विधेयकों से संबंधित नहीं है।
पीठासीन अध्यक्ष सस्मित पात्रा ने कहा कि जो बात विधेयक से संबंधित नहीं है, उसे रिकॉर्ड में नहीं रखा जाएगा। इस पर विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नारेबाजी के बीच विधेयकों पर चर्चा का जवाब दिया।
राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच तीन विधेयकों को ध्वनिमत से मंजूरी दिए जाने पर विपक्ष के नेता खरगे ने विरोध जताया। वहीं सदन के नेता नड्डा ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा जरूर होनी चाहिए लेकिन सदन को बंधक भी नहीं बनाया जा सकता।
सदन में मणिपुर बजट तथा मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2025 पर संक्षिप्त चर्चा होने के दौरान विपक्षी दलों के सांसद चाहते थे कि विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को बोलने दिया जाए। ये सदस्य बिहार में जारी एसआईआर की कवायद के खिलाफ हंगामा और नारेबाजी कर रहे थे।
वित्त मंत्री सीतारमण ने मणिपुर के बजट का विरोध करने के लिए विपक्ष की आलोचना की। उन्होंने कहा कि विपक्ष मणिपुर के बारे में तो बोलता है, लेकिन जब उसके बजट और जीएसटी विधेयक पर चर्चा हो रही होती है, तो वह न केवल किसी अन्य मुद्दे पर विरोध कर रहा होता है, बल्कि उसके खिलाफ मतदान भी करता है।
विधेयक पर ध्वनिमत से हुए मतदान के दौरान विपक्षी सांसद "नहीं" कहते सुने गए।
इसके बाद, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने ‘वाणिज्य पोत परिवहन विधेयक, 2025’ को चर्चा एवं पारित करने के लिए पेश किया।
इसी बीच, आसन की ओर से खरगे को बोलने की अनुमति दी गई। खरगे ने कहा कि सदन में व्यवस्था नहीं है, हंगामा हो रहा है फिर भी महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया जा रहा है। उन्होंने कहा ‘‘लोकतंत्र में ऐसा नहीं होता।’’
इस पर सदन के नेता जे पी नड्डा ने कहा ‘‘लोकतंत्र की रक्षा होनी चाहिए। बेशक होनी चाहिए। लेकिन सदन को बंधक भी नहीं बनाया जा सकता।’’
नड्डा ने कहा कि कार्य मंत्रणा समिति में विधेयक पारित करने की सहमति जताने वाले विपक्ष ने इसमें बाधा डाली। उन्होंने कहा कि दो साल से मणिपुर में शांति लाने के प्रयास किए जा रहे हैं और आज जब मणिपुर के दो विधेयकों पर सदन में चर्चा हुई तो विपक्ष का आचरण देख कर हैरानी हो रही है।
नड्डा की इस बात पर विपक्षी सदस्यों ने कड़ा विरोध जताया और हंगामा तेज हो गया। पीठासीन अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नागर ने दो बज कर 50 मिनट पर बैठक को तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
तीन बजे जब बैठक पुन: शुरू हुई तो आसन की अनुमति से खरगे ने अपनी बात रखना शुरू किया। उन्होंने एसआईआर के मुद्दे पर विपक्ष द्वारा आज निकाले गए मार्च का जिक्र किया और कहा कि यह महत्वपूर्ण मुद्दा है।
खरगे अपनी बात पूरी कर भी नहीं पाए कि सत्ता पक्ष के सदस्यों ने विरोध शुरू कर दिया। विपक्षी सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताई। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष को नहीं बोलने देने का आरोप लगाते हुए सदन से बहिर्गमन कर दिया।
नड्डा ने कहा ‘‘विपक्ष का यह आचरण निंदनीय है। सरकार हर विषय पर चर्चा करने के लिए तैयार है। सत्र की शुरुआत में ही हमने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले के मुद्दे पर हम चर्चा के लिए तैयार हैं। इन मुद्दों पर चर्चा के दौरान सबने देखा कि विपक्ष का रवैया कैसा था।’’
केंद्रीय मंत्री ने कहा ‘‘दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि जो लोग मणिपुर के पैरोकार बने हुए थे उन्होंने आज मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा करने के बजाय कड़ा विरोध जताया। उनका रवैया यह है कि या तो उनकी बात सुनी जाए या फिर वह लोग व्यवधान डालेंगे। यह सही नहीं है।’’
भाषा
अविनाश मनीषा
अविनाश