काकोरी ट्रेन एक्शन : काकोरी थाने में अब भी महफूज हैं मामले से जुड़े दस्तावेज
अरुणव सलीम अमित
- 12 Aug 2025, 12:25 AM
- Updated: 12:25 AM
(अरुणव सिन्हा)
लखनऊ, 11 अगस्त (भाषा) उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के काकोरी थाने में पुलिस ने एक सदी पहले ब्रिटिश सरकार से बगावत करते हुए 4600 रुपये की 'डकैती' डालने के आरोप में लगभग 20 लोगों पर मामला दर्ज किया था। उसी थाने के पुलिसकर्मी अब इसे आजादी की क्रांति की ऐतिहासिक घटना के रूप में याद करते हैं और इसमें शामिल लोगों को नायक मानते हैं।
काकोरी थाने में हेड मुहर्रिर के पद पर तैनात 44 वर्षीय राम आधार ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, ''मुझे ऐसा लग रहा है कि जैसे मैं इतिहास का हिस्सा हूं। क्योंकि आज 11 अगस्त 2025 को काकोरी कांड मामले में मुकदमा दर्ज किये जाने के 100 साल पूरे हो रहे हैं।''
वर्ष 2021 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इस क्रांतिकारी घटना का नाम बदलकर 'काकोरी ट्रेन एक्शन' कर दिया, जिसे पहले 'काकोरी ट्रेन डकैती' या 'काकोरी कांड' कहा जाता था।
राम आधार कहते हैं, ''मैंने अपने स्कूल के दिनों में काकोरी ट्रेन एक्शन के बारे में पढ़ा था लेकिन कभी नहीं सोचा था कि मुझे काकोरी पुलिस थाने में तैनात किया जाएगा, जहां आज भी लोग स्वतंत्रता आंदोलन की इस ऐतिहासिक घटना के बारे में जानने के लिए आते हैं।''
राम आधार उन 140 पुलिसकर्मियों में से एक हैं जो वर्ष 1903 में बने काकोरी थाने में तैनात हैं। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को ट्रेन एक्शन मामले में 20-25 लोगों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की एक प्रति भी दिखायी।
थाने में अभी भी रखी हुई जी. ए. खान द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के मूल उर्दू अनुवाद के अनुसार, यह घटना 9 अगस्त 1925 को हुई थी। दो दिन बाद, 11 अगस्त को पुलिस को इसकी सूचना दी गई और भारतीय दंड संहिता की धारा 396 (हत्या एवं डकैती) के तहत मामला दर्ज किया गया।
काकोरी थाने में रखे दस्तावेज के अनुसार काकोरी ट्रेन एक्शन में क्रांतिकारियों ने '4,601 रुपये 15 आने और छह पाई' लूटे थे। भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी क्रांति के लिए हथियार खरीदने के वास्ते ब्रिटिश सरकार का खजाना लूटा था।
वर्ष 1927 में पंडित राम प्रसाद 'बिस्मिल', अशफाक उल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह को काकोरी ट्रेन एक्शन में शामिल होने के लिए मृत्युदंड दिया गया था।
काकोरी थाने में राजेंद्र नाथ लाहिड़ी, महात्मा गांधी, भीमराव आंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री की तस्वीरों के साथ उनकी तस्वीरें भी प्रमुखता से प्रदर्शित की गयी हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस ऐतिहासिक घटना के उपलक्ष्य में 'काकोरी ट्रेन एक्शन शताब्दी महोत्सव' का आयोजन किया, जो अब भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की लोककथाओं का हिस्सा बन गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गत शुक्रवार को शताब्दी समारोह के अंतिम दिन इस क्रांतिकारी घटना में शामिल स्वतंत्रता सेनानियों का विस्तार से जिक्र किया।
‘काकोरी ट्रेन एक्शन’ मामले में एक साल की सजा काटने वाले क्रांतिकारी रामकृष्ण खत्री के पौत्र रोहित खत्री ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, ''पहली ट्रेन डकैती मूल रूप से आठ अगस्त 1925 को होने वाली थी लेकिन बाद में इसे अगले दिन के लिए टाल दिया गया।''
भाषा अरुणव सलीम