निर्वाचन आयोग ने बंगाल के मुख्य सचिव को तलब कर ‘दागी’ अधिकारियों को न हटाने पर स्पष्टीकरण मांगा
नेत्रपाल सिम्मी
- 12 Aug 2025, 04:56 PM
- Updated: 04:56 PM
कोलकाता, 12 अगस्त (भाषा) निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत को मंगलवार को समन जारी किया और कहा कि वह ‘दागी’ अधिकारियों को न हटाने पर दिल्ली आकर स्पष्टीकरण दें।
यह घटनाक्रम तब हुआ जब पश्चिम बंगाल सरकार ने एक दिन पहले आयोग को पत्र लिखकर कहा कि मतदाता सूची पुनरीक्षण में कथित ‘‘अनियमितताओं’’ को लेकर अभी अपने अधिकारियों को निलंबित करने का उसका कोई इरादा नहीं है।
राज्य के शीर्ष नौकरशाह को बुधवार को शाम पांच बजे तक निर्वाचन सदन में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया।
चुनाव निकाय का निर्देश ऐसे समय आया जब पंत ने सोमवार को उसे पत्र भेजकर कहा था कि निर्वाचन आयोग द्वारा चिह्नित किए गए अधिकारियों को निलंबित करना और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करना ‘‘कठोर’’ होगा तथा बंगाल के अधिकारी समुदाय पर इसका ‘‘निराशाजनक प्रभाव’’ पड़ेगा।
इसके बजाय, सरकार ने निर्वाचन आयोग द्वारा चिह्नित पांच अधिकारियों में से दो को फिलहाल सक्रिय चुनाव ड्यूटी से हटाने और मामले की ‘‘आंतरिक जांच’’ शुरू करने का फैसला किया।
विश्लेषकों ने कहा कि ममता बनर्जी सरकार और निर्वाचन आयोग के बीच जारी टकराव में यह एक नया विवाद है।
राज्य सचिवालय ‘नबन्ना’ के सूत्रों ने बताया कि मुख्य सचिव के बुधवार को दिल्ली जाकर निर्देशानुसार आयोग से मुलाकात करने की संभावना है।
निर्वाचन आयोग ने पांच अधिकारियों-दो निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) और दो सहायक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (एईआरओ) तथा एक अस्थायी डेटा प्रविष्टि ऑपरेटर को हटाने को कहा था। इन अधिकारियों पर दक्षिण 24 परगना और पूर्वी मेदिनीपुर जिलों के बरुईपुर पूर्वी और मोयना विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूची तैयार करते समय अनियमितताएं बरतने का आरोप है।
चुनाव निकाय ने मुख्य सचिव को सभी पांच आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था और शीर्ष नौकरशाह से जल्द से जल्द कार्रवाई रिपोर्ट मांगी थी।
मुख्य सचिव ने आयोग को अपने जवाब में लिखा कि राज्य सरकार के उन अधिकारियों पर गहन जांच किए बिना कोई भी अनुशासनात्मक कार्रवाई करना ‘‘अनुपातहीन रूप से कठोर’’ होगा, जिन्होंने ‘‘लगातार ईमानदारी और क्षमता का प्रदर्शन किया है।’’
सरकार ने आयोग को सूचित किया कि उसने दो कर्मियों - मोयना निर्वाचन क्षेत्र के एईआरओ सुदीप्त दास और बरुईपुर पूर्वी निर्वाचन क्षेत्र के डाटा एंट्री ऑपरेटर सुरजीत हलदर को कथित अनियमितता को लेकर ‘‘पहले कदम’’ के रूप में चुनावी पुनरीक्षण और चुनाव संबंधी कर्तव्यों से हटा दिया है।
राज्य के जवाब में निर्वाचन आयोग द्वारा चिह्नित तीन अन्य अधिकारियों, जिनमें से दो डब्ल्यूबीसीएस (कार्यकारी) रैंक के अधिकारी हैं, के खिलाफ की गई किसी कार्रवाई का उल्लेख नहीं किया गया तथा कहा गया कि ‘‘जांच पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी’’।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आयोग के अधिकार क्षेत्र और इस कदम की वैधता पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया था कि भाजपा राज्य सरकार के अधिकारियों को डराने के लिए निर्वाचन आयोग का इस्तेमाल कर रही है।
बनर्जी ने पिछले हफ़्ते झाड़ग्राम में एक जनसभा में कहा, ‘‘हम उन्हें निलंबित नहीं करेंगे; हम आपकी रक्षा करेंगे। मैं आपकी ‘पहरेदार’ बनी रहूंगी।’’
उन्होंने निर्वाचन आयोग पर निशाना साधते हुए उस पर भाजपा के ‘‘बंधुआ मजदूर’’ की तरह काम करने का आरोप लगाया।
भाषा नेत्रपाल