ओएनओएस योजना के तहत पात्र संस्थानों में से 4,000 को इसका लाभ नहीं मिला : संसदीय समिति
अविनाश सुरेश
- 12 Aug 2025, 09:25 PM
- Updated: 09:25 PM
नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) संसद की एक समिति ने मंगलवार को चिंता जताते हुए कहा कि शिक्षा मंत्रालय की ‘एक राष्ट्र एक सदस्यता’ (ओएनओएस) योजना के तहत 7,008 पात्र संस्थानों में से करीब 4,000 को इसका लाभ नहीं मिला है।
शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल संबंधी स्थायी संसदीय समिति की एक रिपोर्ट में यह चिंता जतायी गयी है। राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली इस समिति की रिपोर्ट मंगलवार को संसद में पेश की गयी।
समिति ने ओएनओएस की वर्तमान स्थिति को लेकर अद्यतन सूचना जमा कराने का निर्देश दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति ने नोट किया कि ओएनओएस योजना को मंजूरी दी गई है और उसे लागू कर दिया गया है। समिति की सिफारिश में ओएनओएस योजना के त्वरित कार्यान्वयन का आह्वान किया गया था। हालांकि, जैसा कि समिति ने उच्चतर शिक्षा विभाग की अनुदान मांगों (वित्त वर्ष 24-25) पर अपनी 364वीं रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि 7,008 पात्र संस्थानों में से लगभग 4,000 को अब भी ओएनओएस का लाभ नहीं मिला है।’’
इसमें कहा गया है कि समिति विभाग को ओएनओएस की पहुंच की वर्तमान स्थिति के बारे में अद्यतन जानकारी देने और योजना के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने का निर्देश देगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति ने नोट किया कि अनुसंधान राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान (एएनआरएफ) अधिनियम, 2023 को अक्षरशः लागू किया गया था। प्रावधानों के अनुसार, एक कार्यकारी परिषद
का गठन किया गया था, जिसमें उच्च-स्तरीय रणनीतिक निर्देश दिए गए, कार्य-निष्पादन की निगरानी की गई और प्रतिष्ठान के उद्देश्यों के कार्यान्वयन की परिकल्पना की गई।’’
लेकिन वित्त वर्ष 2024-25 में उच्चतर शिक्षा विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान, समिति को सूचित किया गया कि एएनआरएफ पिछले वित्त वर्ष के लिए अपने बजट में से कोई भी धनराशि खर्च नहीं कर पाया है।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इस संबंध में, समिति को एएनआरएफ के कामकाज की वर्तमान स्थिति और आगे की पहल, यदि कोई हो, से अवगत कराया जाना आवश्यक है।’’
सरकार ने ‘एक राष्ट्र एक सदस्यता’ योजना को मंजूरी दी है, जिसके तहत जरूरतमंद शोधकर्ताओं को किफायती दर पर मूल्यवान प्रकाशनों तक पहुंच प्रदान की जाती है। इस योजना के कार्यान्वयन का समन्वय भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के द्वारा किया जा रहा है।
भाषा अविनाश