कर्नाटक में पूर्व मंत्री के ‘वोट खरीद’ के दावे पर भाजपा ने की जांच की मांग
सुमित मनीषा
- 13 Aug 2025, 12:47 PM
- Updated: 12:47 PM
बेंगलुरु, 13 अगस्त (भाषा) भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य लहर सिंह सिरोया ने निर्वाचन आयोग को एक पत्र लिखकर पूर्व केंद्रीय मंत्री सी एम इब्राहिम द्वारा किए गए कथित ‘वोट खरीद’ के दावे का संज्ञान लेने का आग्रह किया है।
इब्राहिम ने आरोप लगाया था कि 2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को बदामी सीट से जिताने के लिए वोट खरीदे गए थे।
दशकों तक सिद्धरमैया के करीबी सहयोगी और सलाहकार रहे इब्राहिम ने मंगलवार को भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को लिखे एक पत्र में कहा है कि उन्होंने और वरिष्ठ कांग्रेस नेता बीबी चिमनकट्टी ने मिलकर 3000 वोट खरीदने में मदद की थी ताकि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया 2018 में बदामी सीट से विधानसभा चुनाव जीत सकें।
सिद्धरमैया ने इब्राहिम के आरोपों का खंडन किया है।
सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में सिरोया ने कहा, ‘‘अंतिम गणना में बदामी सीट से सिद्धरमैया की जीत का अंतर मात्र 1696 वोट था। एक मौजूदा मुख्यमंत्री के लिए यह अंतर अपमानजनक था। ‘नोटा’ वोटों की संख्या भी 2007 थी जो उनके जीत के अंतर से अधिक थी।
सिरोया ने कहा इब्राहिम, ‘‘2018 में कांग्रेस के एक प्रमुख नेता और सभी संदर्भों, दावों के अनुसार अपने मित्र (सिद्धरमैया) के चुनाव के प्रभारी भी थे,’’ को कथित ‘वोट खरीद’ के स्त्रोत और तरीकों का खुलासा करना चाहिए।
उन्होंने कहा ‘‘दोस्त को बचाने के लिए उन्होंने 3000 वोट किससे और कैसे खरीदे, यह बताकर इब्राहिम हम पर एक बहुत बड़ा एहसान करेंगे। उन्होंने यह भी कहा है कि सिद्धरमैया ने ही इस ‘वोट खरीद’ के लिए भुगतान किया था लेकिन उन्हें ऐसा करने में छह महीने का समय लगा।’’
सिरोया ने याद दिलाया कि सिद्धरमैया ने बदामी सीट पर भाजपा प्रत्याशी बी श्रीरामुलु को हराया था।
उन्होंने कहा, ‘‘शायद श्रीरामुलु को भी 3000 वोट खरीदे जाने के बारे में कुछ जानकारी और अंतदृष्टि है। अगर वह इस पर बोलेंगे तो हमें, 2018 में क्या हुआ था इसके विषय में अधिक पता चलेगा, जब उन्होंने (श्रीरामुलु ने) दो सीटों से चुनाव लड़ा था और यदि यह ‘वोट खरीद’ नहीं हुई होती तो वे व्यावहारिक रूप से दोनों ही सीटों पर चुनाव जीत सकते थे।’’
सिरोया ने 2006 के चामुंडेश्वरी उपचुनाव में सिद्धरमैया की मामूली अंतर से मिली जीत पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सिद्धरमैया ने कांग्रेस में शामिल होने के बाद 2006 में अपना पहला चुनाव लड़ा था और उनकी जीत का अंतर केवल 257 वोट था।
उन्होंने पूछा, ‘‘क्या तब भी वोट खरीदे गए थे? दिल्ली में कांग्रेस सत्ता में थी। क्या उन्होंने तब सिद्धरमैया को जीत दिलाई थी? वे अधिकारी कौन थे जिन्होंने वह चुनाव कराया था?’’
कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘‘राहुल गांधी ने कुछ दिन पहले बेंगलुरु आकर मतदाता सूची के बारे में बेबुनियाद आरोप लगाए थे लेकिन उनके मुख्यमंत्री सहित उनकी पार्टी के लोग किसी भी अन्य की तुलना में अधिक प्रभावित हैं। हमें राहुल गांधी को धन्यवाद देना चाहिए क्योंकि उन्होंने अपनी ही सरकार को अस्थिर कर दिया।’’
सिरोया ने कहा कि राहुल अपनी ही पार्टी को मुसीबत में डालने के लिए जाने जाते हैं और यह घटनाक्रम इनमें से ही एक होगा।
उन्होंने कहा, "सहकारिता मंत्री के.एन. राजन्ना को अलोकतांत्रिक तरीके से बर्खास्त किया गया, क्योंकि उन्होंने राहुल गांधी के बयान का खंडन किया था। यह घटनाक्रम कर्नाटक में कांग्रेस के पतन की शुरुआत है।"
के.एन. राजन्ना को सोमवार को सहकारिता मंत्री के पद से बर्खास्त कर दिया गया, क्योंकि उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में फर्जी मतदान के लिए कांग्रेस सरकार को दोषी ठहराया था।
भाषा
सुमित