सोनिया गांधी भारतीय नागरिकता लेने से पहले ही मतदाता बन गईं: भाजपा का आरोप
प्रशांत नेत्रपाल
- 13 Aug 2025, 07:24 PM
- Updated: 07:24 PM
नयी दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा) विपक्ष द्वारा सरकार और निर्वाचन आयोग पर लगाए गए “वोट चोरी” के आरोपों के बीच भाजपा ने अपना जवाबी हमला तेज करते हुए बुधवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भारतीय नागरिक बनने से पहले ही मतदाता के रूप में पंजीकृत हो गई थीं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने ‘एक्स’ पर कहा, “भारत की मतदाता सूची के साथ सोनिया गांधी का रिश्ता चुनावी कानूनों के घोर उल्लंघन से भरा पड़ा है। शायद यही कारण है कि राहुल गांधी अयोग्य और अवैध मतदाताओं को नियमित करने के पक्ष में हैं तथा विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान का विरोध कर रहे हैं।”
उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आधिकारिक निवास की मतदाता सूची की एक प्रति पोस्ट की, जिसमें दावा किया गया कि उनका (सोनिया गांधी) नाम मतदाता सूची में संशोधन के दौरान जोड़ा गया था और एक जनवरी, 1980 को अर्हक तिथि माना गया था।
मालवीय ने दावा किया, “उनका नाम पहली बार 1980 में मतदाता सूची में आया था - भारतीय नागरिक बनने से तीन साल पहले और उस समय तक उनके पास इतालवी नागरिकता थी।”
उन्होंने कहा कि उस समय तक उस पते पर पंजीकृत मतदाताओं में इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, संजय गांधी और मेनका गांधी शामिल थे तथा संशोधन के दौरान सोनिया गांधी का नाम जोड़ा गया।
मालवीय ने कहा, “यह प्रविष्टि कानून का स्पष्ट उल्लंघन है, जिसके अनुसार मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के लिए किसी व्यक्ति का भारतीय नागरिक होना आवश्यक है। 1982 में विरोध के बाद उनका नाम सूची से हटा दिया गया था - जो 1983 में पुनः सामने आया।”
उन्होंने कहा, “यहां तक कि उनकी (नाम) बहाली ने भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। उस वर्ष मतदाता सूची के नए संशोधन में, सोनिया गांधी का नाम मतदान केंद्र 140 के क्रम संख्या 236 पर दर्ज था। पंजीकरण की अर्हता तिथि एक जनवरी, 1983 थी - जबकि उन्हें भारतीय नागरिकता 30 अप्रैल, 1983 को ही प्रदान की गई।”
मालवीय ने दावा किया कि नागरिकता की बुनियादी आवश्यकता को पूरा किए बिना उनका नाम दो बार मतदाता सूची में दर्ज किया गया। उन्होंने कहा, “हम यह भी नहीं पूछ रहे हैं कि राजीव गांधी से शादी करने के बाद उन्हें भारतीय नागरिकता स्वीकार करने में 15 साल क्यों लग गए। अगर यह चुनावी भ्रष्टाचार नहीं है, तो और क्या है?”
वहीं, एक संवाददाता सम्मेलन में भाजपा नेता अनुराग ठाकुर ने रायबरेली, वायनाड, डायमंड हार्बर और कन्नौज संसदीय सीटों पर मतदाता पंजीकरण में अनियमितताओं का दावा किया तथा राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाद्रा, अभिषेक बनर्जी और अखिलेश यादव से लोकसभा सदस्य के रूप में इस्तीफा देने को कहा। उन्होंने आरोप लगाया कि इन लोगों ने “वोट चोरी” के जरिए चुनाव में जीत हासिल की।
ठाकुर की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस को एक विधानसभा सीट के लिए आंकड़े जुटाने में छह महीने लग गए और भाजपा नेता द्वारा इतने सारे लोकसभा क्षेत्रों का जिक्र करना दिखाता है कि सत्तारूढ़ पार्टी निर्वाचन आयोग से कितनी जुड़ी हुई है।
उन्होंने कहा, “हम यह भी बताना चाहते हैं कि उन्होंने (ठाकुर ने) आज जो सबूत जारी किए हैं, वे एक अपराध के सबूत हैं। हम मांग करते हैं कि ये सबूत 24 घंटे के भीतर सौंपे जाएं ताकि हम जांच आगे बढ़ा सकें। हम वाराणसी की इलेक्ट्रॉनिक मतदाता सूची भी चाहते हैं, जहां प्रधानमंत्री बहुत कम अंतर से जीते थे।”
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