एनसीएलएटी ने सुपरटेक रियल्टर्स के खिलाफ दिवाला कार्यवाही का रास्ता किया साफ
निहारिका अजय
- 14 Aug 2025, 02:32 PM
- Updated: 02:32 PM
नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने सुपरनोवा परियोजना बनाने वाली कंपनी सुपरटेक रियल्टर्स के खिलाफ दिवाला कार्यवाही का रास्ता साफ कर दिया है।
‘सुपरनोवा परियोजना’ में आवासीय अपार्टमेंट, कार्यालय, खुदरा स्थान और एक लक्जरी होटल शामिल हैं।
दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता अपीलीय न्यायाधिकरण ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की दिल्ली पीठ द्वारा पारित पिछले आदेश को बरकरार रखा है। पीठ ने 12 जून, 2024 को बैंक ऑफ महाराष्ट्र द्वारा दायर याचिका पर कंपनी के खिलाफ कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) शुरू करने का निर्देश दिया था।
एनसीएलएटी की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि इसके प्रवर्तक राम किशोर अरोड़ा द्वारा समाधान के लिए प्रस्तुत संशोधित प्रस्ताव को बैंकों के गठजोड़ ने स्वीकार नहीं किया है।
एनसीएलएटी ने कहा, ‘‘ हमारा मानना है कि वर्तमान मामला ऐसा है जिसमें कॉरपोरेट देनदार (सुपरटेक रियल्टर्स) का समाधान, दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) तथा कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया 2016 के अनुसार कानून के तहत किया जाना चाहिए। इस प्रकार, हम धारा सात के आवेदन को स्वीकार करने और अपील को खारिज करने के एनसीएलटी के आदेश को बरकरार रखते हैं।’’
अपीलीय न्यायाधिकरण ने एनसीएलटी द्वारा नियुक्त अंतरिम समाधान पेशेवर को सीओसी (ऋणदाताओं की समिति) का गठन करने और कानून के अनुसार सीआईआरपी के साथ आगे बढ़ने की भी अनुमति दे दी।
सुपरटेक रियल्टर्स, रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक की अनुषंगी कंपनी है। यह समूह की कुछ अन्य कंपनियों के साथ दिवाला कार्यवाही का सामना कर रही है।
इससे पहले, एनसीएलएटी ने प्रवर्तक राम किशोर अरोड़ा की याचिका पर ऋणदाताओं के गठजोड़ सीओसी के गठन की प्रक्रिया पर तीन जुलाई, 2024 तक रोक लगा दी थी।
सुपरटेक रियल्टर्स, नोएडा के सेक्टर-94 में 70,002 वर्ग मीटर भूमि पर 2,326.14 करोड़ रुपये की लागत से ‘सुपरनोवा परियोजना’ का विकास कर रही है। इस फैसले से इस परियोजना पर असर पड़ सकता है।
भाषा निहारिका