एसआईआर पर न्यायालय के आदेश ने भाजपा की नापाक साजिश का पर्दाफाश किया: तेजस्वी
पारुल पवनेश
- 14 Aug 2025, 10:14 PM
- Updated: 10:14 PM
पटना, 14 अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि उच्चतम न्यायालय का वह आदेश, जिसमें निर्वाचन आयोग को बिहार में मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों का विवरण प्रकाशित करने का निर्देश दिया गया है, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व उसके सहयोगियों की लोगों को मताधिकार से वंचित करने की “नापाक साजिश” का पर्दाफाश करता है।
तेजस्वी ने इस आदेश को संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए जारी लड़ाई, विपक्षी दलों की एकता एवं संघर्ष और बिहार की जनता की एकजुटता की जीत करार दिया।
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी ने पटना में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “बिहार में एसआईआर को लेकर शीर्ष अदालत के आज के अंतरिम आदेश ने भाजपा, उसके सहयोगियों की लोगों को मताधिकार से वंचित करने की नापाक साजिश का पर्दाफाश कर दिया है। हमारी लड़ाई जारी रहेगी और हम एसआईआर की प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों पर नजर रखेंगे।”
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि वह बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख मतदाताओं का विवरण प्रकाशित करे और साथ ही उन्हें शामिल न करने के कारण भी बताए।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कराने के निर्वाचन आयोग के 24 जून के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।
तेजस्वी ने कहा, “सभी विपक्षी दलों ने संसद, विधानसभा, विधान परिषद और सड़क से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक एसआईआर के संबंध में न्याय के लिए लड़ाई लड़ी। हम जो मांग लगातार उठा रहे थे, उन्हें अब उच्चतम न्यायालय ने भी स्वीकार कर लिया है। शीर्ष अदालत का यह फैसला लोकतंत्र और संविधान को मजबूत करेगा।”
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, 65 लाख से अधिक मतदाता, जिनके नाम हटा दिए गए थे, निर्वाचन आयोग अब उनसे संबंधित जानकारी बूथ-वार प्रदान करेगा, जिसमें मृत मतदाताओं, स्थानांतरित व्यक्तियों और उन लोगों के बारे में डेटा शामिल होगा, जिनके नाम गलती से “लापता” श्रेणी में जोड़ दिए गए थे या हटा दिए गए थे।
राजद नेता ने कहा कि एसआईआर कराने के निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद यह मामला पहली बार 27 जून को उठाया गया था और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को पत्र लिखे गए थे।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा का कभी भी लोकतंत्र या लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में विश्वास नहीं रहा है।
तेजस्वी ने कहा, “अंतरिम आदेश ने निर्वाचन आयोग की बेईमानी, धोखाधड़ी और जानकारी छिपाने की प्रवृत्ति को भी उजागर कर दिया है। अब आयोग के कामकाज का सच सामने आ गया है। हम निर्वाचन आयोग के अधिकारियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रहे हैं और इस तरह की गड़बड़ियों को उजागर करते रहेंगे।”
तेजस्वी ने दावा किया कि उनकी पार्टी अब “हाईटेक” हो गई है।
उन्होंने राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का एकजुट होकर विरोध करने के लिए विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेताओं, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, ममता बनर्जी, हेमंत सोरेन और शरद पवार का आभार जताया।
राजद नेता ने कहा कि लोग जानते हैं कि जब यह खुलासा हुआ कि बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सांसद वीणा देवी, जदयू के विधान परिषद सदस्य दिनेश सिंह, मुजफ्फरपुर के महापौर और अन्य भाजपा नेताओं के पास “एक से अधिक मतदाता पहचान पत्र” हैं, तब निर्वाचन आयोग कैसे चुप रहा।
उन्होंने कहा, “मेरा मजाक उड़ाया गया और उन्होंने (राजग नेताओं ने) मेरे रुख के लिए मुझे गालियां दीं। लेकिन निर्वाचन आयोग मूकदर्शक बना रहा; मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने एक शब्द भी नहीं कहा। मैं राजग नेताओं को बिहार में मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करने की उनकी साजिश में कामयाब नहीं होने दूंगा।”
तेजस्वी ने खुद की तरफ इशारा करते हुए कहा, “एक बिहारी, सब पर भारी।”
उन्होंने कहा, “आगामी चुनावों में राजग को अपमानजनक हार का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि उसने निर्वाचन आयोग का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए और बिहार की जनता को परेशान करने के लिए किया। लेकिन जनता ने अपनी एकता से यह स्पष्ट कर दिया है कि वह लोकतंत्र की रक्षा के लिए दृढ़ है।”
तेजस्वी ने कहा कि “लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश” तब उजागर हुई, जब एसआईआर पर सुनवाई के दौरान मृत मतदाताओं को शीर्ष अदालत के समक्ष यह साबित करने के लिए पेश किया गया कि वे जीवित हैं।
उन्होंने दावा किया कि अज्ञात स्रोतों का इस्तेमाल करके झूठी खबरें चलाई गईं, लोगों को घुसपैठिया बताया गया और ‘मीडिया ट्रायल’ के दौरान व्यक्तिगत हमले किए गए।
तेजस्वी ने कहा, “एक बार बूथवार सूची सार्वजनिक हो जाए, तो पूरी सच्चाई सामने आ जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लोगों को घुसपैठिया बताने की राजनीति का भी पर्दाफाश हो गया है।”
राजद नेता ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने अपने हलफनामे में एक भी घुसपैठिये का जिक्र नहीं किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि गुजरात के मतदाताओं को बिहार में पंजीकृत किया जा रहा है।
तेजस्वी ने कहा कि भाजपा के बिहार प्रभारी भीखूभाई दलसानिया, जो गुजरात के रहने वाले हैं, पटना में मतदाता बन गए हैं, जबकि उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में गांधीनगर में मतदान किया था।
उन्होंने कहा कि 17 अगस्त से राहुल गांधी और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के सभी नेता बिहार के रोहतास जिले से ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ शुरू करेंगे, ताकि लोगों में जागरूकता बढ़ाई जा सके और उन्हें सच्चाई बताई जा सके।
भाषा पारुल