आपदाग्रस्त धराली में तलाश एवं राहत कार्य जारी, राज्यपाल ने की समीक्षा
राजकुमार
- 14 Aug 2025, 10:30 PM
- Updated: 10:30 PM
उत्तरकाशी (उत्तराखंड), 14 अगस्त (भाषा) आपदाग्रस्त धराली में लगातार 10 दिन से जारी तलाश और राहत अभियान की बृहस्पतिवार को उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) गुरमीत सिंह ने समीक्षा की तथा कठिन स्थिति का कुशलता से मुकाबला करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सराहना करते हुए उन्हें 'फ्रंटलाइन लीडर' बताया ।
मलबे से भागीरथी नदी का जल प्रवाह रूकने से हर्षिल में बनी अस्थायी झील का निरीक्षण करने के बाद अधिकारियों ने कहा कि इससे जल निकासी हो रही है और फिलहाल उससे किसी बड़े खतरे की आशंका नहीं है
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के सहायक कमांडेंट आर एस धपोला ने बताया कि धराली में मलबे में लापता लोगों को ढूंढने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे ‘ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (जीपीआर)’ से मिली तस्वीरों से जानकारी मिली है कि आपदा प्रभावित क्षेत्र में करीब आठ से 10 फीट नीचे होटल और लोग दबे हुए हैं।
उन्होंने बताया कि जीपीआर मलबे में करीब 40 मीटर नीचे तक दबे किसी भी तत्व की मौजूदगी की जानकारी दे सकता है। धपोला ने बताया कि संकेतों के आधार पर कुछ स्थानों पर खुदाई की जा रही है।
हर्षिल क्षेत्र में आपदा के दौरान आए भारी मलबे से बनी अस्थायी झील का लगातार निरीक्षण कर जायजा ले रहे उत्तरकाशी के जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने बृहस्पतिवार को कहा कि फिलहाल झील से किसी बड़े खतरे की कोई आशंका नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘झील के मुहाने से वर्तमान में जल का प्रवाह सुचारू रूप से हो रहा है जिससे तात्कालिक रूप से किसी बड़े खतरे की आशंका नहीं है। ’’
हालांकि, जिलाधिकारी ने कहा कि नदी के किनारे बहाव में अवरोध पैदा कर रहे मलबे को हटाने के लिए युद्धस्तर पर काम चल रहा है । उन्होंने कहा कि दलदल युक्त स्थल होने के कारण वहां भारी मशीनों की तैनाती संभव नहीं हो पा रही है और प्रशासन द्वारा स्थानीय संसाधनों और श्रमिकों की सहायता से सतत सफाई की जा रही है।
उन्होंने वहां तैनात अधिकारियों को क्षेत्र में सतर्क निगरानी रखने, समय-समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने तथा किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूर्व तैयारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए ।
आपदा के बाद से उत्तरकाशी-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग जगह-जगह मलबा आने और सड़कों के बहने के कारण बंद है जिससे धराली में राहत एवं बचाव कार्य में खासी दिक्कतें आ रही हैं।
जिलाधिकारी ने कहा कि डबरानी, सोनगाड़, लोहारीनाग, हर्षिल और धराली में मलबा आने एवं भू-धंसाव से सड़क पिछले नौ दिन से बंद है। उन्होंने कहा कि गंगोत्री धाम तक रास्ता खोलने में तीन से चार दिन और लगेंगे। हांलांकि, उन्होंने कहा कि यात्रा फिलहाल बंद रहेगी।
उन्होंने बताया कि धराली आपदा प्रभावित परिवारों को जिला प्रशासन आवश्यक खाद्य सामग्री एवं कंबल, तिरपाल समेत दैनिक उपयोग की वस्तुओं का वितरण कर रहा है ।
अधिकारियों ने बताया कि त्रासदी में धराली और हर्षिल क्षेत्र में किसी भी सरकारी विद्यालय भवन या छात्र-छात्राओं को नुकसान नहीं पहुंचा। उन्होंने बताया कि धराली और हर्षिल के आसपास 11 सरकारी स्कूल हैं जो सुरक्षित हैं। उन्होंने बताया कि उक्त विद्यालयों में अध्ययनरत सभी छात्र-छात्राएं भी अपने अभिभावकों के साथ सुरक्षित हैं।
राज्यपाल ने देहरादून में राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र पहुंचकर धराली में चल रहे राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा की । इस दौरान उन्होंने आपदा प्रभावितों की मदद तथा पुनर्वास हेतु किए जा रहे कार्यों की भी जानकारी ली ।
उन्होंने मौके पर किए जा रहे तलाश एवं राहत कार्यों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से देखा तथा विषम परिस्थितियों में वहां कार्य में जुटे सेना, वायु सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और कई अन्य केंद्रीय एवं राज्य एजेंसियों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की पीठ थपथपाई ।
राज्यपाल ने कहा कि धराली आपदा बहुत भीषण थी और इस कठिन स्थिति को मुख्यमंत्री धामी ने फ्रंटफुट पर आकर अत्यंत कुशलता से संभाला। उन्होंने धामी की सराहना करते हुए उन्हें 'फ्रंटलाइन लीडर' बताया तथा कहा कि उन्होंने देश और दुनिया के सामने उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि विपदा के समय एक असल ‘लीडर’ की भूमिका क्या होती है।
उन्होंने कहा कि आपदा प्रभावितों के पुनर्वास और राहत कार्यों की निगरानी मुख्यमंत्री स्वयं कर रहे हैं और उसमें कोई कमी नहीं रहेगी, इसे लेकर वह पूरी तरह आश्वस्त हैं।
भाषा सं दीप्ति