किश्तवाड़ बादल फटने की घटना: परिजनों के लिए हृदय विदारक पल, बचावकर्मी जिंदा बचे लोगों की तलाश में
शफीक सुरेश
- 15 Aug 2025, 09:47 PM
- Updated: 09:47 PM
(अंकुर सेठी और तारिक सोफी)
चशोती (जम्मू कश्मीर), 15 अगस्त (भाषा) जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चशोती गांव में बृहस्पतिवार दोपहर बादल फटने से आई विनाशकारी बाढ़ के बाद माहौल शोक से भरा हुआ है और लापता लोगों के परिजन बेसब्री से अपने प्रियजनों के मिलने की आस लगा रहे हैं।
इस त्रासदी में 60 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें से अधिकतर तीर्थयात्री हैं और अज्ञात संख्या में लोग लापता हैं। बचावकर्मी मलबे में दबे लोगों का पता लगाने के लिए लगातार अभियान चला रहे हैं।
दो पुजारियों सहित कम से कम 13 स्थानीय ग्रामीणों के इस बाढ़ में मारे जाने की आशंका है। बादल फटने से अचानक आई बाढ़ में विशाल पत्थर, लकड़ियां और भारी मात्रा में गाद बहकर आई है, जिससे पहाड़ों से घिरा यह सुरम्य गांव खंडहर में तब्दील हो गया है।
गमगीन निर्मला देवी ने शुक्रवार को कहा, ‘‘मेरे पिता बोध राज और चाचा दीनानाथ स्थानीय मंदिर में पुजारी का काम करते थे। वे दोनों, लगभग 15 लोगों के साथ, अचानक आई बाढ़ में बह गए। उन्होंने (बोध राज ने) मुझे माथे पर तिलक लगाने के लिए कहा था, लेकिन मैंने मना कर दिया और त्रासदी आने से पहले ही वहां से चली गई।’’
घटनाक्रम को याद करते हुए, उन्होंने बताया कि वह गेहूं पिसाने के लिए एक चक्की पर गई थी और घर लौटते समय मंदिर गई।
निर्मला ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मैंने उन्हें (बोध राज को) लगभग 20 भक्तों के बीच बैठे देखा। वह उनके माथे पर तिलक लगा रहे थे और मुझे भी आगे आने को कहा। मैंने बताया कि मेरे चाचा ने सुबह मेरे माथे पर तिलक लगाया था। अगर मैं वहां चाय-नाश्ते या दोपहर के भोजन के लिए रुकती, तो मैं भी हादसे का शिकार हो जाती।’’
गांव और निचले इलाकों में अचानक आई बाढ़ में इस मंदिर के अलावा 10 से अधिक आवासीय मकान, छह सरकारी भवन, दो अन्य मंदिर, चार पवन चक्की, एक पुल और एक दर्जन से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।
निर्मला ने कहा, ‘‘एक जोरदार धमाके की आवाज सुनकर, मुझे लगा जैसे भूकंप आ गया हो। मैं रो पड़ी और ऊपर जाकर देखने लगी कि क्या हो रहा है। मंदिर के विनाश सहित, तबाही का मंजर देखकर मैं डर गई।’’
किश्तवाड़ जिले के एक सुदूर पहाड़ी गांव चशोती में बृहस्पतिवार को बादल फटने से यह हादसा हुआ। मचैल माता मंदिर जाने वाले मार्ग में पड़ने वाले चशोती गांव में यह आपदा अपराह्न 12 बजकर 25 मिनट पर आई। जिस समय हादसा हुआ, उस समय मचैल माता मंदिर यात्रा के लिए वहां बड़ी संख्या में लोग एकत्र थे। यह यात्रा 25 जुलाई को आरंभ हुई थी और पांच सितंबर को समाप्त होनी थी।
त्रासदी में अपना घर गंवाने वाले पीड़ितों में से एक बिलु कुमार ने बताया कि इस घटना में गांव के कम से कम 13 स्थानीय लोगों की जान चली गई। कुमार ने कहा, ‘‘उनमें से 10 के शव बरामद कर लिये गए, जबकि तीन का अब भी पता नहीं चल पाया है।’’
जम्मू-कश्मीर पुलिस के हेड कांस्टेबल रमेश चंदर ने बताया कि वह यात्रा मार्ग में लंगर स्थल पर तैनात थे और बादल फटने की आवाज सुनकर डर गए थे।
चंदर ने कहा, ‘‘मेरे पैरों तले जमीन हिलने लगी... मैंने देखा कि जो लोग समय पर भाग नहीं पाए, वे दब गए या बह गए। मंजर बहुत भयावह था।’’
भाषा शफीक