झारखंड: शिबू सोरेन के पैतृक गांव में उनके श्राद्ध के लिए व्यापक व्यवस्थाएं की गईं
खारी नेत्रपाल
- 16 Aug 2025, 09:52 AM
- Updated: 09:52 AM
रांची, 16 अगस्त (भाषा) झारखंड के रामगढ़ में स्थित पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के पैतृक गांव नेमरा में शनिवार को होने जा रहे श्राद्ध कर्म के लिए व्यापक व्यवस्थाएं की गई हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
राज्य की राजधानी रांची से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव में होने जा रहे श्राद्ध कर्म में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई गणमान्य लोगों के शामिल होने की उम्मीद है।
शिबू सोरेन का दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया था।
इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा, ‘‘लोगों की संभावित भारी भीड़ को देखते हुए, सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए हैं। लोगों की सुरक्षा और यातायात व्यवस्था के प्रबंधन के लिए नेमरा में एक समर्पित नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सुरक्षा के लिए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 10 अधिकारी, 60 पुलिस उपाधीक्षक, 65 निरीक्षक और 2,500 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। पुलिस, प्रशासनिक कर्मचारियों और स्वयंसेवकों वाली बहु-एजेंसी टीम प्रभावी भीड़ प्रबंधन, आपातकालीन परिस्थिति और कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए चौबीसों घंटे कार्यरत रहेंगी।’’
श्राद्ध कर्म के लिए आदिवासी रीति-रिवाजों के अनुसार व्यवस्थाएं भी की जा रही हैं।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पांच अगस्त से ही गांव में हैं।
उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को परिवहन, स्वच्छता, भोजन वितरण, स्वास्थ्य सेवा, आवास और जन सुरक्षा जैसी सेवाओं के लिए निर्बाध समन्वय सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘सुविधाजनक आवाजाही के लिए 300 से अधिक ई-रिक्शा निर्धारित पार्किंग क्षेत्रों और कार्यक्रम स्थल के बीच चलाए जाएंगे। तीन बड़े पार्किंग क्षेत्र विकसित किए गए हैं, जिनमें से प्रत्येक में जैव शौचालय बनाए गए हैं। सके अलावा, आगंतुकों की सुविधा के लिए विश्राम स्थल और विशेष पैदल मार्ग भी बनाए गए हैं।’’
तीन बड़े भोजन पंडालों में खानपान की व्यवस्था की गई है, जहां पारंपरिक श्राद्ध भोजन और प्रसाद परोसा जाएगा।
गुरुजी के नाम से प्रख्यात रहे शिबू सोरेन के जीवन और योगदान की स्मृति में एक विशेष प्रदर्शनी और स्मृति दीर्घा भी स्थापित की जा रही है।
इस प्रदर्शनी में दुर्लभ तस्वीरें, ऐतिहासिक दस्तावेज और उनके राजनीतिक जीवन के प्रमुख पड़ाव प्रदर्शित किए जाएंगे, जिनमें आदिवासी कल्याण और जनसेवा में उनके योगदान पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
श्राद्ध कर्म में बड़ी संख्या में लोगों के शामिल होने की उम्मीद है।
भाषा खारी