डॉ. वेस पेस की अंतिम यात्रा में शामिल हुए गांगुली और टिर्की
आनन्द नमिता
- 17 Aug 2025, 08:27 PM
- Updated: 08:27 PM
कोलकाता, 17 अगस्त (भाषा) ओलंपिक कांस्य पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के सदस्य और दिग्गज टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस के पिता डॉ. वेस पेस की रविवार को हुई अंत्येष्टि में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप टिर्की शामिल हुए।
डॉ. पेस 1972 में म्यूनिख ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा थे। उनका पार्किंसन रोग और उम्र संबंधी बीमारियों के कारण बृहस्पतिवार को निधन हो गया। वह 80 वर्ष के थे।
डॉ. पेस के पार्थिव शरीर को जब मैदान टेंट में अंतिम दर्शन के लिए लाया जा रहा था तब युवा खिलाड़ी सड़क के दोनों ओर कतार में खड़े होकर अपनी हॉकी स्टिक उठाकर को अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे थे। इस मौके पर देश में हॉकी के सबसे पुराने संघ, हॉकी बंगाल के अधिकारी भी मौजूद थे।
इस मौके पर भावुक हुए लिएंडर पेस को गांगुली ने ढांढस बंधाया। उन्होंने लिएंडर के कंधे पर हाथ रख कर उनकी हिम्मत बढ़ाने की कोशिश की।
यह प्रार्थना सभा मिडिलटन रो स्थित सेंट थॉमस चर्च में आयोजित की गई थी।
इस मौके पर शोकाकुल परिवार, दोस्तों और खेल जगत के सदस्यों के साथ शामिल हुए जिसमें भारत के पूर्व क्रिकेटर अरुण लाल और तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ'ब्रायन भी थे।
डॉ. पेस के शव को इसके बाद ए.जे.सी. बोस रोड स्थित लोअर सर्कुलर रोड कब्रिस्तान में दफनाया गया।
इससे पहले अंतिम दर्शन के लिए उनके शव को हॉकी बंगाल के टेंट में लाया गया जहां टिर्की भी मौजूद थे।
उनके ताबूत पर ईस्ट बंगाल, मोहन बागान और हॉकी बंगाल के झंडे लगे थे। डॉ. पेस ने अपने पेशेवर हॉकी करियर का आगाज ईस्ट बंगाल के साथ किया था। उन्होंने मोहन बागान के साथ बिघटन कप के नौ खिताब जीते थे।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी वेस पेस विभिन्न भूमिकाओं में लंबे समय तक भारतीय खेलों से जुड़े रहे। वह भारतीय हॉकी टीम में मिडफील्डर थे। उन्होंने फुटबॉल, क्रिकेट और रग्बी जैसे खेल भी खेले और 1996 से 2002 तक भारतीय रग्बी फुटबॉल संघ के अध्यक्ष भी रहे।
टिर्की ने पेस को एक अविश्वसनीय शख्सियत करार देते हुए कहा कि उन्होंने एक खिलाड़ी के साथ-साथ खेल चिकित्सा विशेषज्ञ के रूप में भी बहुत योगदान दिया है।
उन्होंने ‘पीटीआई-वीडियो’ से कहा, ‘‘ डॉ. पेस की कमी हमेशा खेल प्रेमियों, खेल बिरादरी, और कई अन्य हॉकी खिलाड़ियों के दिलों में रहेगी। एक खिलाड़ी के तौर पर, एक चिकित्सक के तौर पर उन्होंने खिलाड़ियों का बहुत समर्थन किया।
उन्होंने कहा, ‘‘वह शिविर के दौरान टीम के साथ रहते थे, खिलाड़ियों का ख्याल रखते थे, उनका इलाज करते थे। वह कई वर्षों तक यह सेवाएं मुफ्त में देते रहे थे।’’
उन्होंने खेलों में योगदान के लिए पेस परिवार की तारीफ की। टिर्की ने कहा, ‘‘ भारतीय खेलों के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब एक ही परिवार के पिता और बेटे ने ओलंपिक पदक जीते (डॉ. पेस ने हॉकी में और फिर लिएंडर ने टेनिस में)। उनकी मां भी भारतीय बास्केटबॉल टीम की कप्तान थीं। इस तरह उनका पूरा परिवार खेल को समर्पित था।’’
डॉ. पेस ने एशियाई क्रिकेट परिषद, भारतीय क्रिकेट बोर्ड और भारतीय डेविस कप टीम सहित कई खेल निकायों के साथ सलाहकार के रूप में काम किया।
हॉकी करियर को अलविदा कहने के बाद डॉ. पेस एक दशक तक भारतीय डेविस कप टीम के टीम डॉक्टर और लिएंडर पेस के मैनेजर भी रहे।
भाषा आनन्द