जींद में बंधुआ मजदूरी का मामला: हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया
देवेंद्र नरेश
- 21 Aug 2025, 03:46 PM
- Updated: 03:46 PM
चंडीगढ़, 21 अगस्त (भाषा) हरियाणा मानवाधिकार आयोग (एचएचआरसी) ने जींद जिले में बंधुआ मजदूर बनाकर रखे गए 15 वर्षीय एक लड़के के संबंध में एक खबर का स्वतः संज्ञान लिया है और कहा है कि यह उन सुरक्षात्मक तंत्रों का पूर्णतः विफल होना है, जो बच्चों को शोषण से बचाने के लिए होने चाहिए।
खबर के अनुसार, बिहार में किशनगंज जिले के निवासी लड़के को जींद जिले में एक नियोक्ता ने रोजगार का झूठा वादा करके बंधुआ मजदूरी के लिए मजबूर किया था।
ऐसा बताया जा रहा है कि बच्चा बहादुरगढ़ रेलवे स्टेशन पर अपने साथियों से बिछड़ गया था, जहां उसकी मुलाकात एक अनजान व्यक्ति से हुई जिसने उसे भैंस डेयरी में 10,000 रुपये प्रति माह की नौकरी का प्रस्ताव दिया था।
रोजगार के बजाय, नाबालिग को दो महीने तक जबरन मजदूरी और शारीरिक शोषण का शिकार होना पड़ा। स्थिति तब और बिगड़ गई जब चारा काटते समय बच्चे का बायां हाथ कट गया।
नियोक्ता ने पिछले महीने उसे बिना किसी सहायता के एक सुनसान जगह पर कथित तौर पर छोड़ दिया था। किसी तरह, घायल लड़का अपनी बांह पर एक पट्टी बांधकर अकेले ही पैदल चल पड़ा और बिहार में अपने घर लौटने का उसका इरादा मजबूत था।
जब लड़का नूंह पहुंचा तो उसे एक शिक्षक ने देखा, जो उसकी मदद के लिए आगे आया और उन्होंने उसे स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई और पुलिस को सूचित किया।
आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा और सदस्यों कुलदीप जैन तथा दीप भाटिया ने इस घटना को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की।
आयोग ने 13 अगस्त के अपने आदेश में कहा, ‘‘आयोग बच्चे की दुर्दशा पर बहुत चिंतित है। प्रस्तुत तथ्य न केवल शारीरिक क्षति और बुनियादी मानवीय गरिमा के हनन की ओर इशारा करते हैं, बल्कि उन सुरक्षात्मक तंत्रों के पूर्णतः ध्वस्त होने की ओर भी इशारा करते हैं जो बच्चों को ऐसे शोषण से बचाने के लिए होने चाहिए।’’
पूर्ण आयोग का नेतृत्व कर रहे न्यायमूर्ति ललित बत्रा ने कहा कि नाबालिग के साथ ऐसा व्यवहार अंतरराष्ट्रीय कानूनी दायित्वों, विशेष रूप से बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अनुच्छेद 32 का स्पष्ट उल्लंघन है, जो बच्चों को आर्थिक शोषण से बचाने और उनके स्वास्थ्य, शिक्षा या विकास के लिए खतरनाक या हानिकारक कृत्य करने से रोकने से संबंधित है।
एचएचआरसी के सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी डॉ. पुनीत अरोड़ा ने कहा कि आयोग के प्रमुख निर्देशों में आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी तथा डेयरी प्रतिष्ठान में बंधुआ मजदूरी प्रथाओं का सत्यापन शामिल है।
आयोग ने घायल बच्चे की विस्तृत चिकित्सा रिपोर्ट प्रस्तुत करने तथा पुनर्वास योजना तैयार करने के अलावा श्रम कानूनों के संभावित उल्लंघन की गहन जांच की भी मांग की।
मामले की अगली सुनवाई चार नवंबर को होगी।
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